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आंकड़े बताते हैं: दूध उत्पादन बढ़ने से रोजगार के अवसर बढ़ते हैं, जानिए कैसे

देश में हर साल दूध का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। पिछले 10 सालों में दूध उत्पादन में 8.4 करोड़ टन की बढ़ोतरी हुई है। आज भारत दुनिया में दूध उत्पादन में नंबर वन है। कई बड़े देश भारत से बहुत पीछे हैं। हमारे देश में गाय, भैंस, भेड़ और बकरियों की संख्या करीब 30 करोड़ है।
 

देश में हर साल दूध का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। पिछले 10 सालों में दूध उत्पादन में 8.4 करोड़ टन की बढ़ोतरी हुई है। आज भारत दुनिया में दूध उत्पादन में नंबर वन है। कई बड़े देश भारत से बहुत पीछे हैं। हमारे देश में गाय, भैंस, भेड़ और बकरियों की संख्या करीब 30 करोड़ है। लेकिन आपको सुनकर हैरानी होगी कि जब भी देश में एक लाख लीटर दूध की प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ती है या कोई नई डेयरी इकाई शुरू होती है, तो इससे हजारों नौकरियों के दरवाजे खुल जाते हैं। और उसमें भी सबसे ज्यादा रोजगार के अवसर गांवों में रहने वाले लोगों को मिलते हैं।

डेयरी विशेषज्ञों की मानें तो हर 25 साल में दूध का उत्पादन तीन गुना बढ़ जाता है। भारतीय डेयरी उत्पादों की मांग न सिर्फ देश के घरेलू बाजार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ रही है। दुनिया के 125 से ज्यादा देशों में भारतीय घी की लोकप्रियता है। देश का डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर भी ऐसा है कि चाहे रोजाना कितना भी दूध आए, उसकी एक बूंद भी बर्बाद नहीं होती। देश में दूध उत्पादन 5 गुना की दर से बढ़ रहा है

डेयरी एवं पशुपालन मंत्रालय का कहना है कि अकेले डेयरी क्षेत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में पांच प्रतिशत का योगदान देता है। आज देश में 8 करोड़ से अधिक किसानों को डेयरी क्षेत्र से सीधे रोजगार मिल रहा है। भारत आज दुनिया के दूध उत्पादन में 23 प्रतिशत का योगदान देता है। पिछले आठ वर्षों में देश में दूध उत्पादन में 51.05 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2014-15 के दौरान दूध उत्पादन 146.3 मिलियन टन था, जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 236 मिलियन टन हो गया है। खुशी की बात यह है कि दुनिया में जहां दूध उत्पादन 1.2 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है, वहीं भारत में यह गति 6.4 प्रतिशत है।

देश में हर साल 50 हजार करोड़ रुपये का घी खपता है
भारतीय डेयरी संघ के अध्यक्ष और अमूल के पूर्व एमडी डॉ. आरएस सोढ़ी ने किसान तक को बताया कि देश में घी का कारोबार करीब 50 हजार करोड़ रुपये का है। यह आंकड़ा भी इस कारोबार से जुड़े सिर्फ बड़े ब्रांड का है। स्थानीय स्तर पर छोटे-छोटे खिलाड़ियों का काम भी कम नहीं है। 50 हजार करोड़ में से 1500 करोड़ रुपये का घी निर्यात किया जाता है। कई बड़े देश भारतीय घी के दीवाने हैं।

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संयुक्त अरब अमीरात ने वर्ष 2022-23 में भारत से 28 मिलियन डॉलर का घी खरीदा। कई अन्य देश हैं जो सालाना 6 मिलियन डॉलर से अधिक का घी खरीदते हैं। ब्रिटेन और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। गौरतलब है कि ब्रिटेन ने अपने सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी (एसपीएस) नियमों के तहत भारतीय डेयरी उत्पादों पर प्रतिबंध लगा रखा है। भारतीय अधिकारी इस प्रतिबंध को हटवाने के लिए बातचीत कर रहे हैं।

सात साल में आ सकती हैं 72 लाख नौकरियां- आरएस सोढ़ी
आरएस सोढ़ी ने किसान तक से बातचीत में कहा कि देश में खाद्य पदार्थों का 50 लाख करोड़ का बाजार है। उम्मीद है कि 2030 तक यह 170 लाख करोड़ हो जाएगा। अभी 50 लाख करोड़ के बाजार में से सिर्फ 7 लाख करोड़ ही संगठित है। इसमें से 3.5 लाख करोड़ अकेले डेयरी का है। अगर डेयरी की बात करें तो यह सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है। 50 साल पहले दूध का उत्पादन 2.4 करोड़ टन था और अब 23.6 करोड़ टन है। आज हमारे देश में हर दिन 60 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है। इसमें से 12 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन संगठित तरीके से हो रहा है।

यह 12 करोड़ लीटर दूध सात साल बाद 24 करोड़ लीटर हो जाएगा। अब अगर इंडस्ट्री के लिहाज से बात करें तो संगठित तरीके से एक लाख लीटर दूध की प्रोसेसिंग में 50 करोड़ रुपए का खर्च आता है। इस आंकड़े के मुताबिक सात साल में अकेले डेयरी सेक्टर में एक लाख करोड़ का निवेश आएगा। मतलब प्रोसेसिंग पर 60 हजार करोड़ रुपए और मशीनों पर 40 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। देश में हर व्यक्ति के गिलास में दूध की मात्रा बढ़ती जा रही है।

दो काम करने से खुलेंगे डेयरी में नौकरियों के दरवाजे आरएस सोढ़ी कहते हैं कि अगर डेयरी में नौकरियों और कारोबार की बात करें तो एक लाख लीटर दूध की प्रोसेसिंग से छह हजार लोगों के लिए नौकरियों और कारोबार के दरवाजे खुलते हैं।

इसमें ऊपर से नीचे तक सभी तरह की नौकरियां शामिल हैं। इसका बड़ा हिस्सा यानी पांच हजार नौकरियां गांवों में और एक हजार शहरों में होंगी। उनका यह भी कहना है कि हम आने वाले सात सालों में 72 लाख नौकरियों और एक लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए हमें दो बेहद जरूरी काम करने होंगे। पहला, प्रति पशु दूध की उत्पादकता बढ़ानी होगी और साथ ही, आज देश में चारे की कमी है, इसे दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करने होंगे।

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