स्वरोजगार ने बदली ग्रामीण महिला की किस्मत, आज कमा रही हैं लाखों
भारत विश्व में सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। लेकिन फलों और सब्जियों का प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन विकसित देशों की तुलना में बहुत कम है। प्रसंस्करण (मूल्य संवर्धन सहित) में सकल घरेलू उत्पाद, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और उद्यमियों के लिए व्यवसाय के अवसरों में योगदान देने की जबरदस्त क्षमता है। इसी क्रम में आज हम आपको एक ऐसी किसान महिला के बारे में बताएंगे, जिसने स्वरोजगार अपनाकर अपनी जिंदगी पूरी तरह बदल दी है। हम जिस महिला की बात कर रहे हैं, उसका नाम वंदना है, जो गांव धोलापलाश, तहसील मालाखेड़ा, जिला अलवर की रहने वाली है। वंदना और उसका परिवार पूरी तरह से कृषि कार्य से जुड़ा हुआ है, उसका पूरा परिवार कृषि कार्य से प्राप्त आय पर निर्भर था।
भारत विश्व में सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। लेकिन फलों और सब्जियों का प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन विकसित देशों की तुलना में बहुत कम है। प्रसंस्करण (मूल्य संवर्धन सहित) में सकल घरेलू उत्पाद, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और उद्यमियों के लिए व्यवसाय के अवसरों में योगदान देने की जबरदस्त क्षमता है। इसी क्रम में आज हम आपको एक ऐसी किसान महिला के बारे में बताएंगे, जिसने स्वरोजगार अपनाकर अपनी जिंदगी पूरी तरह बदल दी है। हम जिस महिला की बात कर रहे हैं, उसका नाम वंदना है, जो गांव धोलापलाश, तहसील मालाखेड़ा, जिला अलवर की रहने वाली है। वंदना और उसका परिवार पूरी तरह से कृषि कार्य से जुड़ा हुआ है, उसका पूरा परिवार कृषि कार्य से प्राप्त आय पर निर्भर था।
चूंकि वंदना एक शिक्षित महिला है, इसलिए उसने कृषि के अलावा अन्य कृषि संबंधी कार्य करके परिवार की आय बढ़ाने का निर्णय लिया, इस संदर्भ में उसने कृषि विज्ञान केंद्र अलवर-1 के वैज्ञानिकों से संपर्क किया और कृषि कार्य के अलावा आय अर्जित करने के लिए अन्य व्यवसाय करने के बारे में जानकारी प्राप्त की। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने उन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा प्रायोजित आर्या परियोजना के बारे में बताया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करना और स्वरोजगार की ओर अग्रसर करना है।
आर्या योजना के तहत उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र अलवर में फल एवं सब्जी प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन का गहन व्यावहारिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके अलावा उन्होंने कृषि शोध पत्रिकाओं के माध्यम से अपने ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि की।
तकनीकी हस्तक्षेप
कृषि विज्ञान केंद्र अलवर-1 ने वंदना को फल एवं सब्जी प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन की विभिन्न वैज्ञानिक तकनीकों का प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न प्रकार के अचार, जैम, चटनी आदि का सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया, जिससे फल एवं सब्जी प्रसंस्करण के सभी पहलुओं की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने में मदद मिली। इसके बाद वंदना ने वर्ष 2021 से कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की तकनीकी देखरेख एवं मार्गदर्शन में अचार एवं जैम के रूप में फलों एवं सब्जियों का प्रसंस्करण शुरू किया।
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सफलता की कहानी
कृषि विज्ञान केंद्र अलवर-1 से प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन तकनीक का ज्ञान एवं विशेषज्ञता प्राप्त कर वंदना वर्तमान में विभिन्न फलों एवं सब्जियों जैसे आंवला, नींबू, लाल एवं हरी मिर्च, हल्दी, केरी, लहसुन, टिट, लहसुन, कमरख आदि का 120 क्विंटल अचार बना रही हैं तथा इन्हें बेचकर प्रतिवर्ष लगभग 6.57 लाख रुपए का शुद्ध लाभ कमा रही हैं। वंदना ने संस्था को वंदना ग्रामोद्योग के नाम से पंजीकृत कराया है तथा तैयार उत्पादों को वंदना अचार एवं मुरब्बा के नाम से बेच रही हैं।
सफलता का प्रभाव
वंदना आज एक सशक्त महिला उद्यमी के रूप में जानी जाती हैं। वे अब एक महिला किसान के साथ-साथ एक महिला उद्यमी भी हैं तथा क्षेत्र की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा एवं मार्गदर्शक हैं।
क्षेत्र में योगदान
वंदना के अथक प्रयासों एवं मेहनत के परिणामस्वरूप वे अपने तैयार उत्पादों को न केवल स्थानीय क्षेत्र एवं जिले में बल्कि जयपुर एवं दिल्ली जैसे शहरों में भी बेच रही हैं। एक महिला उद्यमी के रूप में काम करते हुए, वंदना कई महिला किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं और विकास के पथ का एक आदर्श उदाहरण हैं।