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 Farmer Success Story: ड्रैगन फ्रूट की खेती से किसान कर रहा करोड़ों की कमाई!

असम के प्रगतिशील किसान अकबर अली अहमद ने ड्रैगन फ्रूट की खेती में सफलता पाई है। उनके फार्म पर नई तकनीकों और जैविक खेती के साथ 1 करोड़ रुपये का टर्नओवर हो रहा है। जानें उनकी प्रेरणादायक कहानी।
 

असम के चिरांग जिले के प्रगतिशील किसान अकबर अली अहमद ने ड्रैगन फ्रूट की खेती में सफलता की अनूठी मिसाल कायम की है। अकबर अली ने पारंपरिक खेती से हटकर राज्य में कृषि और फल उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से लोकप्रिय हो रही ड्रैगन फ्रूट की फसल को चुना। उनके प्रयासों ने न केवल उन्हें आर्थिक तरक्की दी है, बल्कि अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है।

शुरुआत और चुनौतियां

अकबर अली अहमद ने करीब छह साल पहले ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का फैसला किया। शुरुआत में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। असम के किसानों के लिए ड्रैगन फ्रूट एक नई फसल थी, इसलिए इसकी जानकारी और सही तरह की कृषि तकनीकों का इस्तेमाल एक चुनौती थी। ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उचित भूमि, जलवायु और तकनीकी ज्ञान जरूरी है, लेकिन अकबर अली ने इसे पूरी लगन और मेहनत से सीखा और लागू किया।

"खिदमत एग्रो नर्सरी एंड फार्म" का निर्माण

अपने सपने को साकार करने के लिए अकबर अली ने "खिदमत एग्रो नर्सरी एंड फार्म" की स्थापना की, जो अब असम में ड्रैगन फ्रूट उत्पादन के क्षेत्र में एक अग्रणी ब्रांड बन गया है। अकबर अली का फार्म 2 हेक्टेयर जमीन पर फैला हुआ है, जहां वे ड्रैगन फ्रूट की एलडी-1 किस्म की खेती कर रहे हैं। यह किस्म उच्च गुणवत्ता और बेहतर उपज के लिए जानी जाती है और अकबर का मानना ​​है कि कृषि के क्षेत्र में नए अवसरों को खोलना महत्वपूर्ण है।

शुरुआती लागत और दीर्घकालिक लाभ

ड्रैगन फ्रूट की खेती में शुरुआती निवेश थोड़ा अधिक है। अकबर अली के अनुसार, एक हेक्टेयर भूमि में लगभग 15,000 पौधे लगाए जाते हैं और प्रति पौधे की लागत लगभग 30 रुपये होती है। पहले वर्ष में प्रति हेक्टेयर लागत लगभग 14-15 लाख रुपये होती है, जिसमें खंभे लगाने, पौधे खरीदने और सिंचाई व्यवस्था की लागत शामिल होती है। हालांकि, एक बार निवेश करने के बाद, यह फसल अगले 20 वर्षों तक उपज देती है, जिससे यह दीर्घकालिक लाभदायक फसल बन जाती है।

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उपज और लाभ

ड्रैगन फ्रूट के पौधे एक साल के भीतर ही फल देना शुरू कर देते हैं। अकबर अली कहते हैं कि एक खंभे से एक साल में लगभग 15-20 किलो फल प्राप्त होता है और एक साल में लगभग 8 बार फल तोड़े जाते हैं। इससे उन्हें प्रति हेक्टेयर लगभग 25-30 टन उपज मिलती है, जो पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक लाभ देती है। उनके खेत का सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से ज़्यादा हो गया है, जो उनकी कड़ी मेहनत और लगन का नतीजा है।

तकनीकी नवाचार और पर्यावरण के अनुकूल फसल

अकबर अली ने ड्रैगन फ्रूट की खेती में तकनीकी नवाचार के महत्व को समझा और इसे अपने खेत में लागू किया। सिंचाई के लिए वे ड्रिप सिंचाई प्रणाली का इस्तेमाल करते हैं, जिससे पानी की बचत होती है। इसके अलावा वे पौधों को पोषक तत्व प्रदान करने और उन्हें कीटों से बचाने के लिए सिर्फ़ जैविक खाद और जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं। उनका मानना ​​है कि ऐसी तकनीकें न सिर्फ़ पैदावार बढ़ाती हैं, बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव डालती हैं।

स्थानीय युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर

अकबर अली के खेत पर स्थानीय युवाओं को रोज़गार के अवसर मिल रहे हैं। 20 से ज़्यादा लोग खेती के अलग-अलग कामों में लगे हुए हैं। इससे न सिर्फ़ अकबर अली की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है, बल्कि उनके खेत के ज़रिए उनके आस-पास के लोगों को भी रोज़गार मिला है। इस तरह अकबर अली अपने खेत के ज़रिए गांव के युवाओं को रोज़गार दे रहे हैं, जिससे उनके गांव के लोगों का जीवन स्तर सुधर रहा है।

दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा

अकबर अली अहमद की सफलता की कहानी असम के किसानों के लिए प्रेरणा है। उनके पास अन्य किसान और कृषि विशेषज्ञ आते हैं, जो उनसे ड्रैगन फ्रूट की खेती के विभिन्न पहलुओं के बारे में सीखते हैं। अकबर अली न केवल अपने अनुभव साझा करते हैं, बल्कि वे ड्रैगन फ्रूट की खेती से जुड़ी तकनीकी जानकारी भी देते हैं, ताकि किसान फसल के लाभों को समझ सकें और इस फसल को अपनाने के लिए प्रोत्साहित हों।

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लाभ

ड्रैगन फ्रूट की खेती से कई लाभ मिलते हैं। एक बार पौधा लगाने के बाद यह करीब 20 साल तक उपज देता है। यह फसल सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी उगाई जा सकती है, क्योंकि इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। ड्रैगन फ्रूट के पोषण और स्वास्थ्य लाभों के कारण, बाजार में इसकी काफी मांग भी है, जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। यह फल एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी और आयरन से भरपूर होता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है।

भविष्य की योजनाएँ

अकबर अली का कहना है कि आने वाले समय में वे अपनी खेती को और आगे बढ़ाने और इसमें अन्य तकनीकी सुधार लाने के बारे में सोच रहे हैं। वे ड्रैगन फ्रूट की अन्य किस्मों का भी परीक्षण कर रहे हैं, ताकि उन्हें अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता मिल सके। इसके अलावा, वह अपने खेत पर एक नर्सरी खोलने की भी योजना बना रहे हैं, ताकि अन्य किसानों को भी पौधों की उपलब्धता हो सके और वे आसानी से इस फसल को उगा सकें।

निष्कर्ष
अकबर अली अहमद की यह कहानी साबित करती है कि कृषि के क्षेत्र में कुछ नया करके और आधुनिक तकनीकों को अपनाकर किसान उच्च लाभ प्राप्त कर सकते हैं। अपनी मेहनत, लगन और अभिनव सोच के बल पर उन्होंने न केवल अपना जीवन संवारा है, बल्कि अन्य किसानों के लिए भी एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया है।

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