भेड़-बकरी व मवेशियों के इलाज के लिए चलेगी मोबाइल पशु चिकित्सा वैन, एक कॉल पर घर बैठे होगा पशुओं का इलाज
पशुपालकों की आर्थिक तंगी दूर करने के लिए केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही है। भेड़, बकरी, गाय, भैंस व अन्य पशुओं के तत्काल उपचार के लिए पशु चिकित्सा वैन उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके लिए केंद्र सरकार के सहयोग से 536 वैन चलाई जाएंगी। पशुपालकों के लिए टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया है। ताकि जरूरत पड़ने पर वे तुरंत कॉल कर सकें और पशुओं को उपचार मिल सके।
केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने कहा कि वर्तमान में परंपरागत खेती व पशुपालन के स्थान पर उन्नत किस्म की खेती व पशुपालन अपनाने की जरूरत है, ताकि पशुपालकों की आय बढ़ाई जा सके। बीकानेर के अविकानगर स्थित केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य किसान की आय दोगुनी करना है। इसके लिए नई तकनीक व कृषि के उन्नत तरीकों का इस्तेमाल करना होगा। गायों में सेक्स सॉर्टेड सीमन के इस्तेमाल पर जोर
केन्द्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि पशुपालकों को उन्नत नस्लों का चयन करने और वैज्ञानिकों को नस्लों का विकास करने की जरूरत है। उन्होंने गायों में सेक्स सॉर्टेड सीमन के इस्तेमाल पर भी जोर दिया, ताकि देश का दूध उत्पादन बढ़े और आवारा पशुओं से निजात मिल सके। उन्होंने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान परिषद और भारतीय मत्स्य अनुसंधान परिषद की स्थापना की जरूरत बताई। पशुपालन और मछली पालन इन दोनों क्षेत्रों में अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
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राजस्थान में चलेंगी 536 पशु चिकित्सा वैन
राजस्थान सरकार में पशुपालन कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि हम जल्द ही केन्द्र सरकार के सहयोग से राज्य के पशुपालकों के लिए 536 मोबाइल पशु चिकित्सा वैन जारी करेंगे। किसानों की मदद के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा वैन के लिए टोल फ्री नंबर 1962 भी होगा। पशुपालक टोल फ्री नंबर पर कॉल करके पशु चिकित्सा वैन को घर पर बुला सकेंगे, ताकि बीमार पशु को तुरंत उपचार मिल सके। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गौ-कार्ड योजना के तहत राज्य के पशुपालकों को बैंक से ब्याज मुक्त पैसा मिलेगा।
पशुओं के लिए बीमा पोर्टल शुरू होगा
केंद्र और राजस्थान सरकार जल्द ही पशुओं के लिए बीमा पोर्टल शुरू करेगी। इससे किसान का आर्थिक नुकसान कम होगा। इस दौरान आर्थिक रूप से कमजोर 30 परिवारों को पशुपालन के लिए जरूरी सामान के साथ सिरोही नस्ल की बकरी पालन इकाई दी गई। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई मशीनें दी गईं। कार्यक्रम में 12 राज्यों के 1000 से ज्यादा किसानों ने हिस्सा लिया।