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गाय- भैंस के लिए खेत में उगाएं ये पांच हरे चारे, पशु देंगे बाल्टी भर भर के दूध

भारत को कृषि प्रधान देश माना जाता है और हमारे देश में खेती के अलावा पशुपालन को आय का अच्छा जरिया माना जाता है, लेकिन पशुपालन करने वाले किसानों के लिए साल भर चारे का प्रबंध करना सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है, क्योंकि पशुओं के अच्छे पोषण के लिए हरा चारा खिलाना जरूरी है।
 
Green Fodder: भारत को कृषि प्रधान देश माना जाता है और हमारे देश में खेती के अलावा पशुपालन को आय का अच्छा जरिया माना जाता है, लेकिन पशुपालन करने वाले किसानों के लिए साल भर चारे का प्रबंध करना सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है, क्योंकि पशुओं के अच्छे पोषण के लिए हरा चारा खिलाना जरूरी है। ऐसे में पशुपालकों की समस्या का भी समाधान हो गया है। दरअसल, एक ही खेत में ज्वार, मक्का, लोबिया और ग्वार की खेती करके हरे चारे की कमी को पूरा किया जा सकता है। ये सभी फसलें पशुओं के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती हैं।

एक ही खेत में उगाएं पांच तरह का चारा ( Grow five types of fodder in the same field )

पशुपालक ( animal keeper ) अगर ज्यादा चारे की खेती करना चाहते हैं तो वो एक ही खेत में ज्वार, मक्का, लोबिया और ग्वार उगा सकते हैं। इसके लिए किसान अपने खेतों में इन सभी की खेती दो-एक के अनुपात में कर सकते हैं। इन चारे  को एक साथ लगाने से ज्यादा पौष्टिक और अच्छा चारा प्राप्त होता है जो पशुओं के लिए काफी फायदेमंद होता है।

किसान किसी भी मौसम में हरे चारे की खेती कर सकते हैं। इस फसल को अगेती या देर से उगाने पर भी चारे की अच्छी पैदावार प्राप्त होती है. वहीं, इनकी खेती में प्रति हेक्टेयर करीब 20 से 25 किलो चारे की जरूरत होती है. इसका सही तरीका सेल ड्रिल है. इसमें बीजों को 20 से 25 सेमी की दूरी पर पंक्तियों में बोना चाहिए.

इस विधि से खेती करने पर किसानों को अधिक मात्रा में चारा मिलता है. फसल बोने से पहले प्रति हेक्टेयर खेत में 50 किलो नाइट्रोजन, 30 किलो फास्फोरस और 30 किलो पोटाश डालना चाहिए.

बुवाई के 1 महीने बाद 30 किलो नाइट्रोजन खड़ी फसल के बीच में छिड़क देना चाहिए. कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में 20 से 30 किलो नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए.

बारिश के 30 से 35 दिन बाद इसे डालना चाहिए. जानिए हरे चारे के फायदे हरे चारे में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और खनिज लवण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.

प्रोटीन पशुओं को कई तरह की बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं. हरे चारे में कैरोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो कि विटामिन ए का भरपूर रूप माना जाता है जो पशुओं में अंधेपन की बीमारी से निजात दिलाता है।

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पशुओं को हरा चारा खिलाने से पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर रहता है। हरा चारा खाने से पशुओं में खून की कमी नहीं होती और पशु स्वस्थ रहते हैं। हरा चारा स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पाचन क्रिया में भी मदद करता है जिससे पशुओं की पाचन शक्ति बढ़ती है और वह मजबूत बनते हैं।

हरा चारा खिलाने से पशुओं की त्वचा मुलायम और चिकनी हो जाती है जिससे पशु आराम महसूस करते हैं। हरा चारा खिलाने से दुधारू पशुओं में दूध की मात्रा भी बढ़ती है। हरा चारा ( green fodder ) खिलाने से पशु समय पर गर्मी में आने लगते हैं और उनकी गर्भधारण करने की क्षमता भी बढ़ती है। इस प्रकार हरा चारा पशुओं के लिए कई तरह से फायदेमंद होता है।

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