Goat Farming: अगर आप बिजनेस करना चाहते हैं तो 10 से 15 हजार रुपए में मिल जाएंगे शुद्ध नस्ल के बकरे
बकरी पालन अब वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है। खान-पान से लेकर रहने की जगह और वहां क्या बदलाव किए जाएं, यह सब वैज्ञानिक तरीकों पर निर्भर करता है। इतना ही नहीं बकरी पालक और खरीदार दोनों ही बकरी की शुद्ध नस्ल पर ध्यान देते हैं। खरीदी जा रही बकरी शुद्ध नस्ल की है या नहीं,
यह भी वैज्ञानिक तरीके से कम समय में पता चल सकता है। क्योंकि पाली गई बकरियां अगर शुद्ध नस्ल की होंगी तो बाजार में उनके अच्छे दाम मिलते हैं। दूध उत्पादन और मांस की वृद्धि भी अच्छी होती है। लेकिन किसी भी नस्ल की शुद्ध बकरियां मिलना आसान नहीं है। शुद्ध नस्ल की बकरियां या तो सरकारी प्रजनन केंद्रों पर मिलती हैं या किसी अच्छे और बड़े निजी बकरी फार्म पर।
केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा में पशुपालकों को शुद्ध नस्ल की बकरियां दी जाती हैं। सीआईआरजी में बकरियों और भेड़ों की शुद्ध नस्ल पर भी शोध किया जाता है। इसके साथ ही बकरी पालन के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है। यहां बरबरी, जमनापारी, जखराना नस्ल की बकरियों और मुजफ्फरनगरी नस्ल की भेड़ों के पालन का प्रशिक्षण दिया जाता है। ट्रेनिंग कैसे की जा सकती है, इसकी पूरी जानकारी सीआईआरजी की वेबसाइट पर दी गई है।
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सीआईआरजी से ऐसे पाएं ऐसी शुद्ध नस्ल की बकरियां
सीआईआरजी के वैज्ञानिक डॉ. एके दीक्षित के मुताबिक सीआईआरजी से बकरियां लेने के लिए पहली शर्त यह है कि संस्थान के निदेशक के नाम से आवेदन पत्र जमा करना होता है। जिस नस्ल के लिए आप आवेदन कर रहे हैं, अगर उस समय संस्थान में उस नस्ल की बकरियां मौजूद हैं, तो प्रक्रिया पूरी करने के बाद जल्द से जल्द उन्हें आवेदक को दे दिया जाता है। अन्यथा आवेदक को इंतजार करने के लिए कहा जाता है। क्या सीआईआरजी से बकरी पालन की ट्रेनिंग लेने वालों को ही बकरियां दी जाएंगी?
इस बारे में डॉ. दीक्षित कहते हैं कि यह जरूरी नहीं है कि सीआईआरजी से ट्रेनिंग लेने वाले आवेदक को ही बकरियां दी जाएंगी। यह जरूर हो सकता है कि कई बार हम ट्रेनिंग लेने वाले को ही प्राथमिकता देते हैं। यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में रहने वालों को प्राथमिकता दी जाती है। जानिए किस नस्ल की कितनी मिलती हैं बकरियां
सीआईआरजी में मौजूद बरबरी, जखराना, जमनापारी, सिरोही नस्ल की बकरियां और मुजफ्फरनगरी भेड़ें आवेदन करने पर दी जाती हैं। एक साल, दो साल या इससे अधिक उम्र की बकरियां आवेदन करने पर दी जाती हैं। जमनापारी और जखराना नस्ल जैसी बड़ी साइज की बकरियां 12 हजार से 15 हजार रुपये तक दी जाती हैं।
वहीं बरबरी जैसी छोटी साइज की बकरियां 10 से 12 हजार रुपये में मिल जाती हैं। बकरियों की उपलब्धता के आधार पर पशुपालकों को एक या दो बकरियां दी जाती हैं। लेकिन एक योजना के तहत, जिसका लाभ साल में दो या तीन लोगों को ही मिलता है, आठ से दस बकरियां दी जाती हैं। बाजार में ऐसी बकरियों की न्यूनतम कीमत 20 से 25 हजार रुपये है।