Dairy Animal: बढ़ती हुई ठंड के प्रकोप से दुधारू पशुओं को कैसे बचाएं! जानें बचाव के आसान उपाय
Dairy Animal: इन दिनों देशों के कई राज्यों में शीतलहर चल रही है। मौसम विभाग ने कुछ राज्यों में ठंडे दिनों के लिए अलर्ट भी जारी किया है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली एनसीआर, गुजरात, उत्तर प्रदेश आदि में शीतलहर का बड़ा प्रकोप डेली के जनजीवन को काफी प्रभावित कर रहा है, वहीं इसका असर सुअर पालन पर भी देखने को मिल रहा है।
कड़ाके की ठंड में गाय-भैंस जैसे दुधारू पशुओं के बीमार होने की आशंका भी बढ़ रही है, इसके साथ ही उनमें पथरी का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में आज हम आपको इस बारे में जानकारी देंगे कि पशुओं में पथरी क्यों होती है और इसके लिए क्या करना चाहिए।
कम पानी पीने से बढ़ जाता है पथरी का खतरा
पशु चिकित्सा के अनुसार ठंड के दिनों में दुधारू पशुओं में पथरी का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसके पीछे कारण यह है कि सर्दियों में उनकी भूख तो बढ़ जाती है लेकिन वे पानी बहुत कम पीते हैं। पशुओं को इस समस्या से बचाने के लिए किसानों और पशुपालकों को पशु चिकित्सक की सलाह पर रोजाना 20 ग्राम नौसादर भी खिलाना चाहिए।
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पशुओं को पथरी होने पर उनका पेशाब नली में फंस जाता है और पेट फूलने लगता है। पेशाब न कर पाने के कारण पशुओं की मौत भी हो सकती है। इसलिए आपको अपने पशुओं की उचित देखभाल करनी चाहिए।
पशु को पथरी होने पर डॉक्टर को दिखाएं।
पशु में बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। पथरी होने पर उसका इलाज कराएं। सर्दियों के मौसम में किसानों और पशुपालकों को गाय और भैंसों के स्वास्थ्य को लेकर बहुत सतर्क रहने की जरूरत होती है। इन दिनों ही पशुओं में ठंड के कारण उत्पादन कम होने की समस्या होती है। ऐसे में इनके रख-रखाव और खान-पान का पूरा ध्यान रखना जरूरी है।
केवल हरा चारा खिलाने से बचना चाहिए
किसानों और पशुपालकों को सर्दियों में गाय और भैंसों को केवल हरा चारा नहीं खिलाना चाहिए, उनके आहार में गेहूं की भूसी और भूसा भी शामिल करना चाहिए। हरे चारे में 90% पानी होता है, जिससे पशु के शरीर का तापमान कम होने लगता है। गायों की तुलना में भैंसों के सर्दियों में बीमार पड़ने की संभावना अधिक होती है। इसके लिए पशुओं को गर्म रखने के लिए सरसों का तेल भी पशुओं को देना चाहिए, इससे उनके शरीर में गर्मी बनी रहती है।
पशुओं के शेड को ताजा रखें ताकि पशुओं को बिल्कुल भी ठंड न लगे। गोबर हटाने के बाद यदि फर्श गीला हो तो पशु के मूत्र को सूखी राख से सुखाएं तथा भूसे से बने बिस्तर का उपयोग करें। साथ ही सभी स्थानों पर रोशनदान की व्यवस्था रखें तथा सप्ताह में कम से कम एक बार महिलाओं को पशुओं को अवश्य नहलाना चाहिए।