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Advisory for Farmers: इतने तापमान पर फैलता है पीला भूरा और काला रतुआ रोग, जानें कैसे बचाएं अपनी फसल को

 
Advisory for Farmers: इतने तापमान पर फैलता है पीला भूरा और काला रतुआ रोग, जानें कैसे बचाएं अपनी फसल को
Advisory for Farmers:  पूसा इंस्टीट्यूट ने गेहूं, सरसों और सब्जियों की खेती को लेकर किसानों के लिए नई एडवाइजरी जारी की है. इसमें कहा गया है कि गेहूं की फसल में पीले, भूरे और काले रतुआ के लिए तापमान इष्टतम है। तदनुसार, विभिन्न क्षेत्रों के किसानों को बीमारी की निगरानी करनी चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पीले रतुआ के लिए 10-20 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त होता है. 25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर यह रोग नहीं फैलाता है. जबकि भूरे रतुआ के लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान वाली आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। काले चूहे के लिए 20°C से अधिक तापमान तथा नमी रहित जलवायु की आवश्यकता होती है। Also Read: Wheat Production: तापमान बढ़ने से गेहूं के उत्पादन में कमी आने के बढ़े संकेत, अच्छी पैदावार के लिए तुरंत अपनाएं ये उपाय
गेहूं के फूल का यह रोग बहुत घातक है, दाने बढ़ने पर ही चलता है पता, ऐसे करें  उपचार - This disease of wheat flower is very fatal known only when the
Advisory for Farmers:  निगरानी करनी चाहिए
किसानों को मौसम को ध्यान में रखते हुए सभी सब्जियों एवं सरसों की फसलों में चेपा के प्रकोप की निगरानी करनी चाहिए। इस कीट के नियंत्रण के लिए उन्हें सब्जियों की कटाई के बाद सब्जियों में इमिडाक्लोप्रिड 0.25-0.5 मिली/लीटर पानी की दर से छिड़काव करना चाहिए। छिड़काव के बाद एक सप्ताह तक सब्जी की फसल को न तोड़ें। बीज वाली सब्जियों पर चेपा के आक्रमण पर विशेष ध्यान दें।
Advisory for Farmers:  प्याज की फसल पर थ्रिप्स का हमला हो सकता है
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को प्याज के समय से ही बोई गई फसल में थ्रिप्स के प्रकोप की लगातार निगरानी करनी चाहिए। कीट पाए जाने पर कन्फिडोर 0.5 मिली/3 लीटर पानी में टिपोल आदि चिपकने वाला पदार्थ (1.0 ग्राम प्रति लीटर घोल) मिलाकर छिड़काव करें। ब्लू स्पॉट रोग पर नजर रखें। रोग के लक्षण दिखाई देने पर डायथेन-एम-45 3 ग्राम/लीटर पानी में टिपोल आदि चिपकने वाला पदार्थ (1 ग्राम प्रति लीटर घोल) मिलाकर छिड़काव करें।
Advisory for Farmers:  मार्च में मूंग एवं उड़द की बुआई करें
मूंग एवं उड़द की फसल मार्च में बोने की सलाह दी जाती है। किसानों से कहा गया है कि वे प्रमाणित स्रोत से ही उन्नत बीज खरीदें। पूसा विशाल, पूसा बैसाखी, पीडीएम-11 और एसएमएल-32 मूंग और पंत उड़द-19, पंत उड़द-30, पंत उड़द-35, पीडीयू-1 उड़द की बुआई की सिफारिश की जाती है। बुआई से पहले बीजों को फसल विशिष्ट राइजोबियम और फास्फोरस घुलनशील बैक्टीरिया से उपचारित करना चाहिए। Also Read: nishu deshwal news: हरियाणा के स्टंटमैन YouTuber नीशू की दर्दनाक मौत, ट्रैक्टर पर स्टंट दिखाते वक्त बीच में फंसने से गई जान
ध्यान दें क‍िसान, गेहूं में लगने वाले ये रोग पहुंचा सकते हैं फसल को नुकसान  - Wheat diseases and methods of prevention -
Advisory for Farmers:  यह भिंडी की अगेती बुआई का मौसम
मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को भिंडी की अगेती बुआई के लिए ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि किस्मों का चयन करने की सलाह दी जाती है। बुआई से पहले खेतों में पर्याप्त नमी सुनिश्चित कर लें। बीज दर 10-15 किलोग्राम प्रति एकड़ होनी चाहिए। फ़्रांसबीन, ग्रीष्मकालीन मूली आदि की सीधी बुआई के लिए यह समय अनुकूल बताया गया है क्योंकि यह तापमान बीज के अंकुरण के लिए उपयुक्त है। किसान इस सप्ताह टमाटर, मिर्च, कद्दूवर्गीय सब्जियों के तैयार पौधे लगा सकते हैं।