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सरकारी नौकरी नहीं मिलने पर शुरू किया ये कारोबार, अब सालाना कमा रहे है 25 लाख रुपए

क्या आपने कभी सुना है कि किसी ने लीज पर डैम लेकर उससे अपना करियर बनाया हो? आज हम आपको बिहार के तीन ऐसे दोस्तों की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने सरकारी नौकरी में सफलता न मिलने के बाद एक ऐसा आइडिया निकाला, जो दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन गया है।
 

क्या आपने कभी सुना है कि किसी ने लीज पर डैम लेकर उससे अपना करियर बनाया हो? आज हम आपको बिहार के तीन ऐसे दोस्तों की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने सरकारी नौकरी में सफलता न मिलने के बाद एक ऐसा आइडिया निकाला, जो दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन गया है।

बिहार के बांका जिले के फुलीडुमर गांव के रहने वाले तीन दोस्तों श्रवण कुमार यादव, श्यानंद यादव और अजवाला मंडल ने सरकारी नौकरी की असफलता को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। आज ये तीनों मछली पालन से हर साल 25 लाख रुपये तक कमा रहे हैं।

बेरोजगारी ने दिखाई नई राह

रिपोर्ट के मुताबिक, श्रवण कुमार, श्यानंद और अजवाला बेरोजगार थे और उन्होंने मछली पालन में अपना भविष्य संवारा। पढ़ाई पूरी करने के बाद तीनों लंबे समय तक सरकारी नौकरी की तलाश करते रहे। कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल रही थी। ऐसे में एक दिन तीनों दोस्त बैठकर अपने करियर की योजना बना रहे थे और चर्चा कर रहे थे कि ऐसा कौन सा काम शुरू किया जाए, जो उनके लिए फायदेमंद हो। इसी चर्चा में उन्हें मछली पालन का आइडिया आया। लेकिन तीनों में से किसी को नहीं पता था कि इस दिशा में कैसे आगे बढ़ना है. इसके बाद उन्हें एक लेख के जरिए मदद मिली.

सरकारी योजना का लाभ

इस लेख से उन्हें पता चला कि सरकार रोजगार के लिए बांधों को पट्टे पर देती है. यहीं से इन तीनों को कुछ करने का रास्ता मिल गया. तीनों दोस्त बांका स्थित मत्स्य कार्यालय पहुंचे और बांध को पट्टे पर लेने के बारे में सारी जानकारी हासिल की. फिर उन्होंने राजधानी पटना से मत्स्य पालन का प्रशिक्षण लिया. साल 2018 में उन्होंने मत्स्य पालन का काम शुरू किया. ये तीनों बंगाल से 100 ग्राम मछली खरीदकर बांध में डालते हैं. फिर मछली को 90 दिनों तक खिलाया जाता है. इससे मछली का विकास होता है और 90 दिनों में मछली का आकार 250 ग्राम तक पहुंच जाता है. इसके बाद मछली को कोई चारा नहीं दिया जाता.

एक मछली का खर्च 65 रुपये

उन्होंने जो बांध पट्टे पर लिया है, वह 18 हेक्टेयर में फैला है. मत्स्य विभाग इसे 1 साल के लिए 3.62 लाख रुपये में पट्टे पर देता है. तीनों दोस्त 6 लाख रुपए की लागत से रोहू, ग्लासकार्फ, मृगहन, रूपचंदा जैसी IMC प्रजाति की मछलियाँ पाल रहे हैं। एक किलोग्राम मछली पर सिर्फ़ 65 रुपए खर्च होते हैं। बाज़ार में इसकी कीमत 230 रुपए प्रति किलो तक है। तीनों दोस्त इस काम से हर साल 25 लाख रुपए तक कमा रहे हैं।

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