आंदोलन कर रहे किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, मिला उपराष्ट्रपति का साथ कही- ये बड़ी बात
Farming News: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ( ice President Jagdeep Dhankhar ) ने मंगलवार को किसानों को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल खडे़ किए और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ( Agriculture Minister Shivraj Singh Chouhan ) पर भी निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि विकसित भारत का रास्ता किसानों के दिलों से होकर गुजरता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि अगर आज किसान आंदोलित कर रहे हैं तो उस समिति को आकलन समिति बनाना बहुत बड़ी गलतफहमी और गलती होगी।
उन्होंने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सवाल करते हुए कहा, मुझे समझ में नहीं आता कि किसानों बातचीत क्यों नहीं हो रही है। उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने कहा, मुझे समझ में नहीं आता कि हम अर्थशास्त्रियों से सलाह-मशविरा करके ऐसा फॉर्मूला क्यों नहीं बना पा रहे हैं जिससे हमारे किसानों को पुरस्कृत या सम्मानित किया जा सके।
अरे, हमने जो देय है उसका पुरस्कार भी नहीं दे रहे हैं। हम किए गए वादों पर भी कंजूसी कर रहे हैं। आपका एक-एक पल कीमती होगा। उपराष्ट्रपति ने कृषि मंत्री से पूछा कि जिन्होंने लिखित में वादे किए थे, वे पूरे क्यों नहीं हो रहे हैं। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया मुझे बताएं कि किसानों वादा किया गया था, क्यों नहीं निभाया जा रहा, वादा निभाने के लिए हम क्या प्रयास कर रहे हैं
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उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये बहुत गहरा मुद्दा ( The Vice President said that this is a very deep issue )
जगदीप धनखड़ ने कहा कि पिछले साल भी किसान आंदोलन कर रहे थे, इस साल भी आदोलन जारी है, समय बीतता जा रहा है और हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इस दौरान धनखड़ ने कहा कि पहली बार मैंने भारत को बदलते देखा है, पहली बार मुझे लग रहा है कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं बल्कि हमारा लक्ष्य होना चाहिए,
भारत दुनिया में कभी इतनी ऊंचाई पर नहीं पहुंचा, जब ऐसा हो रहा है तो मेरे किसान क्यों परेशान हो रहे हैं, यह बहुत गहरा मुद्दा है, इसे हल्के में लेना हमारी गलतफहमी होगी, हमें अपनी नीति निर्माण को सही रास्ते पर लाना होगा, व्यावहारिक नहीं।
किसानों के लिए खुले दरवाजे ( Open doors for farmers )
इससे एक दिन पहले यानी सोमवार 2 दिसंबर को भी उन्होंने किसानों को लेकर बयान दिया था, उन्होंने कहा था कि किसानों के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे, हमें सोचने की जरूरत है, जो बीत गया सो बीत गया लेकिन आगे का रास्ता सही होना चाहिए, विकसित भारत का रास्ता हमेशा खेतों से होकर गुजरता है, जिनकी समस्याओं का जल्दी समाधान होना चाहिए