kills hair lice: सिर के जूं मारने वाली दवा सरसों और ज्वार का कीट को कर सकती है खत्म, जानें कैसे प्रयोग करें
Feb 6, 2024, 14:10 IST

kills hair lice: आपने मेलाथियान दवा के बारे में सुना होगा। यह वही दवा है जिसका उपयोग बालों की जूँ को मारने के लिए किया जाता है। मेलाथियान का उपयोग बालों की जूं मारने में किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह दवा फसलों के लिए भी रामबाण साबित हो चुकी है। जहां तक इस दवा का सवाल है,
इसकी रोकथाम के लिए कृषि वैज्ञानिक सरसों में मेलाथियान का छिड़काव करने की सलाह देते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सरसों के कीटों को मारने के लिए 250 से 500 मिमी मेलाथियान 50ईसी को 250 से 500 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव किया जा सकता है। 07 से 10 दिन के अंतराल पर दूसरा छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। Also Read: Animal Husbandry: अगर पशुओं का दूध बढ़ाना है तो गर्मी में करें ये काम, दूध होगा बम्पर
kills hair lice: मेलाथियान लोशन
मेलाथियान लोशन सिर की जूँ संक्रमण के इलाज के लिए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा बताई गई एक प्रिस्क्रिप्शन दवा है। सिर की जूँ के इलाज के लिए मेलाथियान को एक सुरक्षित और प्रभावी दवा माना जाता है। लेकिन इससे फसलों को भी फायदा होता है. विशेषकर सरसों और ज्वार की खेती में। इस दवा से इन दोनों फसलों के कीट आसानी से मर जाते हैं। Also Read: Delhi ED raid: दिल्ली में 12 जगहों पर ED की छापेमारी जारी, जानें क्या है दिल्ली जल बोर्ड घोटाला?kills hair lice: सरसों की फसल
सबसे पहले सरसों की बात करें तो यह इस समय कीट प्रभाव से गुजर रही है। फूल आने के दौरान सरसों कीटों के प्रति अतिसंवेदनशील होती है। ऐसे में किसानों को इससे बचने के हर संभव उपाय ढूंढने चाहिए. यदि समय रहते कीटों पर नियंत्रण कर लिया जाए तो किसान अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। माहू कीट से सरसों सबसे अधिक प्रभावित होती है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि माहू कीट सरसों के पौधों के कोमल तने, पत्तियों, फूलों और नई फलियों से रस चूसकर उन्हें कमजोर और नष्ट कर देते हैं।kills hair lice: माहू कीट का आक्रमण
जब माहू सरसों पर हमला करता है तो मधु भी स्रावित करता है जो तनों और पत्तियों पर चिपचिपा दिखता है। इस मधु से सरसों पर फंगस का प्रकोप होता है। इससे पत्तियों की प्रकाश संश्लेषक प्रक्रिया में बाधा आती है। किसानों को ध्यान रखना चाहिए कि इस कीट का प्रकोप दिसंबर-जनवरी से मार्च तक देखा जाता है। इसलिए किसानों को अब सबसे अधिक सावधान रहना चाहिए।