किसानों ने पराली का निकाला अनोखा व सस्ता तरीका, हो रही कमाई और मिल रहा सरकार से प्रोत्साहन
पराली को जलाने की बजाय बेचते हैं शराब कंपनी को
पराली प्रबंधन मशीनों को अनुदान पर लेने के लिए 1640 किसान कर चुके आवेदन
हैप्पी सीडर व स्ट्राॅ बेलर मशीन हो रही वरदान साबित
एक तरफ जहां किसानों Farmers की पराली Stubble के कारण पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution इतना ज्यादा हो चुका है कि सुप्रीम कोर्ट तक को सख्त आदेश देनी पड़ रहे हैं और लगातार राज्य सरकारों की फजीहत की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ हरियाणा प्रदेश में कुछ ऐसे किसान भी है जिन्होंने पराली का ठोस उपाय भी ढूंढ लिया है। कई किसानों ने पराली को जलाने का विकल्प ढूंढ लिया है। इसको लेकर किसान कई तरह के प्रयोग कर रहे हैं। आज के हमारे इस आर्टिकल में आपको हम बताएंगे कि हरियाणा के करनाल जिले के कई किसानों ने किस तरह से पराली Stubble को जलाने की बजाय आमदन का एक स्रोत ढूंढा है, जिसकी हर एक प्रशासनिक अधिकारी व सरकार की तरफ से सराहना की जा रही है।

किसानों Farmers ने पेश किया अनोखा नजराना
दरअसल करनाल जिला के किसानों ने पराली Stubble को जलाने की बजाय उसे बेचकर कमाई करनी शुरू कर दी है। उपलाना गांव के किसान सुनील राणा ने एक निजी न्यूजपेपर को दिए बयान में बताया कि वह न केवल खुद की बल्कि आस-पड़ोस के करीब 20-25 किसानो की पराली Stubble को इकट्ठा करते हैं और इसे वह शराब कंपनी को बेच देते हैं, जिसकी एवज में उन्हें ₹170 प्रति क्विंटल की कमाई होती है। वहीं जिनके खेत से वह पराली उठाते हैं उन्हें सरकार की तरफ से प्रति एकड़ ₹1000 का प्रोत्साहन मिल जाता है। ऐसे में उस किसान को न केवल पराली जलाने के कारण होने वाली कानूनी अड़चनों से छुटकारा मिल रहा है बल्कि सरकार व प्रशासन की निगाह में भी वह एक अच्छा किसान बन रहा है।
50 मजदूरों को देते हैं रोजगार
एक किसान ने बताया कि वह पिछले 3 साल से धान paddy के खेतों से पराली के बंडल बनाकर फैक्ट्री में भेजते हैं जिसके लिए फैक्ट्री संचालक उन्हें प्रति क्विंटल 180 रुपए से लेकर 190 रुपए तक देते हैं। उन्होंने सब्सिडी पर बेलर मशीन ले रखी है। अपने इस कार्य को करने के लिए इस किसान ने करीब 50 मजदूरों को रोजगार भी दे रखा है। उन्होंने बताया कि जैव ईंधन की लगातार बढ़ती मांग पराली Stubble के प्रबंधन को बढ़ावा देने का काम कर रही है।
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1640 किसानों को पराली प्रबंधन मशीनरी के मिले परमिटः कृषि उपनिदेशक
अकेले करनाल जिले की बात करें तो लगातार किसानों में पराली के प्रति बढ़ती जागरूकता के चलते इस बार अब तक कुल 1640 किसानों ने पराली प्रबंधन मशीनरी खरीदने के लिए परमिट मिल चुके हैं। जल्द ही कृषि विभाग की तरफ से इनकी वेरिफिकेशन Verification करने के उपरांत इन किसानों Farmers को सब्सिडी भी मुहैया करवा दी जाएगी। करनाल के कृषि उपनिदेशक डॉक्टर वजीर सिंह ने बताया कि पिछले कुछ सालों में पराली Stubble को प्रबंध करने के लिए किसानों Farmers में जागरूकता बढ़ी है। वहीं विभाग की तरफ से भी लगातार किसानों को इस ओर मोटिवेट न केवल जुबानी तौर पर बल्कि सब्सिडी के तौर पर आर्थिक मदद भी मुहैया करवाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसके सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं।
स्ट्रॉ बेलर मशीन Straw Baler Machine के फायदे
पराली Stubble को प्रबंधित करने के लिए किसान सबसे ज्यादा स्ट्राॅ बेलर मशीन Straw Baler Machine का यूज कर रहे हैं। क्योंकि जहां इसको ऑपरेट करने का तरीका बेहद आसान है वहीं इसके अन्य कई और भी फायदे हैं। किसानों के मुताबिक यह मशीन ट्रैक्टर के साथ जोड़ दी जाती है जो की पराली को कंप्रेस करके बड़ी-बड़ी गांठों के रूप में तब्दील कर देती है। इन गांठों को एक जगह पर इकट्ठा करना और फिर इनकी ट्रांसपोर्टिंग Transporting भी बेहद आसान हो जाती है। वहीं यदि इन गांठों की पराली को चारा बनाने के रूप में बदल जाता है तो भी कार्य आसान रहता है। वहीं कटी हुई पराली Stubble पशुओं को खिलाने से काफी फायदे होते हैं।

हैप्पी सीडर Happy Seeder Machine ने आसान किया काम
पराली को प्रबंध करने के लिए स्ट्राॅ बेलर मशीन Straw Baler Machine की तरह ही हैप्पी सीडर मशीन होती है जो कि किसानों Farmers के कार्य को आसान बनाती है। हैप्पी सीडर मशीन ड्यूल काम करती है जिसकी वजह से किसान इसका ज्यादा उपयोग करता है। दरअसल हैप्पी सीडर मशीन Happy Seeder Machine से एक तरफ जहां खेत में पड़ी पराली Stubble को बेहद छोटे-छोटे टुकड़ों में कुतर दिया जाता है वहीं इसके साथ ही अगली फसल के बीज की बुवाई भी हो जाती है। ऐसे में हैप्पी सीडर मशीन Happy Seeder Machine एक साथ डबल कार्य करती है। इस से जहां किसानों Farmers के वक्त की बचत होती है वहीं आर्थिक तौर पर भी यह मशीन बेहद लाभदायक होती है।

इन 2 मशीनों Straw Baler Machine और Happy Seeder Machine के कारण ही करनाल के किसानों ने पराली Stubble के प्रबंधन को लेकर बेहद आश्चर्यजनक और लाभप्रद कार्य शुरू किया है जिसकी हर कोई प्रशंसा कर रहा है। अब दीपावली का त्यौहार आने वाला है ऐसे में पर्यावरण प्रदूषण और ज्यादा बढ़ने की संभावना है। लेकिन करनाल के इन किसानों ने जो तरीका अपनाया है अगर यही तरीका अन्य किसान Farmer भी अपनाना शुरू कर देते हैं तो पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution से वातावरण को बचाया जा सकता है। करनाल के किसानों की इस पहल को अगर आप पसंद करते हैं तो हमारे आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें ताकि धान paddy की फसल बोने वाले ज्यादातर किसानों Farmers तक यह खबर पहुंचे और वह भी इसके प्रति जागरूक हों।