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DAP Crisis: डीएपी की क्यों नहीं हो रही आपूर्ति! जानिए इसकी बड़ी वजह

देश के कई जगहों पर जो डीएपी DAP का संकट देखने को मिल रहा है, उसकी शुरुआत कुछ समय पहले सितंबर में ही हो गई थी। आंकड़े बताते हैं कि डीएपी DAP की जरूरत और आवश्यकता में 2.34 लाख मीट्रिक टन की भारी कमी थी।
 

DAP Crisis: देश के कई जगहों पर जो डीएपी DAP का संकट देखने को मिल रहा है, उसकी शुरुआत कुछ समय पहले सितंबर में ही हो गई थी। आंकड़े बताते हैं कि डीएपी DAP की जरूरत और आवश्यकता में 2.34 लाख मीट्रिक टन की भारी कमी थी। इसका असर अक्टूबर में ही दिखने लगा था। पुलिस थानों में डीएपी बांटने की तस्वीर सामने आ रही थी। मांग और आपूर्ति के आंकड़े इसकी पुष्टि कर रहे हैं।

 

इतना ही नहीं झारखंड और महाराष्ट्र जैसे चुनावी राज्यों में भी मांग के मुताबिक डीएपी नहीं पहुंच पा रही है। हालांकि, अभी तक कोई आंकड़े नहीं आए हैं कि अक्टूबर के दौरान इन दोनों राज्यों में आपूर्ति बड़ी थी या नहीं। दरअसल, एक बात तो साफ है कि साल 2021 की तरह ही मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है, जिसके चलते डीएपी का संकट गहराता जा रहा है और लोग इससे जूझते नजर आ रहे हैं।

 

भाजपा शासित राज्य हो या कांग्रेस शासित राज्य, किसानों को डीएपी के संकट का सामना करना पड़ रहा है। वजह यह है कि जरूरत के मुताबिक डीएपी नहीं पहुंचा और आयात भी कम हुआ। अक्टूबर 2021 के महीने में किसानों को डीएपी DAP का भारी संकट देखने को मिला। इतना ही नहीं, मध्य प्रदेश में भी कई जगहों पर किसानों को खाद के लिए बहुत लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ा और घंटों बाद डीएपी मिल पाई. सितंबर 2021 में देश में डीएपी की मांग और आपूर्ति में 3.44 लाख मीटर का रिकॉर्ड अंतर देखा गया. वहीं, जिन सालों में आपूर्ति मांग से ज्यादा थी, उनमें ऐसी कोई समस्या नहीं आई.

 

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डीएपी बना राजनीतिक मुद्दा ( DAP becomes a political issue )

दरअसल, इस समय गेहूं और सरसों की बुवाई का सीजन चल रहा है, ऐसे में छोटे किसान इतने महत्वपूर्ण खाद को लेकर काफी परेशान हैं. डीएपी फसल के विकास चक्र के दौरान पौधों को फास्फोरस प्रदान करता है. यह फसलों की नाइट्रोजन और सल्फर ( Nitrogen and Sulfur ) की शुरुआती जरूरत को भी पूरा करता है. डीएपी के दाम बढ़ने से बुवाई प्रभावित होने की आशंका है.

इसके साथ ही यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी बन गया है. आजादी के 70 साल बाद भी हम किसानों को खाद मुहैया नहीं करा पा रहे हैं। किसानों को उनके लिए लाठी और पुलिस की मार भी खानी पड़ रही है।

जब डीएपी की कमी हुई तो अन्य पार्टी ने सरकार गेरने में देर नहीं लगाई। कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि खाद की आपूर्ति न होने के कारण किसानों को कई दिनों तक लंबी कतारों में इंतजार करना पड़ रहा है, फिर भी उन्हें खाद नहीं मिल रही है।

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 डीएपी की क‍ितनी क‍िल्लत

राज्य आवश्यकता उपलब्धता बिक्री
छत्तीसगढ़ 10,000 6,840.1 5,002.95
गुजरात 30,000 44,654.85 40,139.2
हर‍ियाणा 60,000 64,708.06 64,345.85
झारखंड 7,000 5,127.6 4,606.55 
कर्नाटक 41.630 23,367.96 21,297.85
मध्य प्रदेश 1,57,000 69,702.9 58,332.2
महाराष्ट्र 65,000 15,671.7 14,529
पंजाब   80,000 80,154 79,880.85
राजस्थान 90,000 74,311.45 69,702.55
तेलंगाना 20,000 17,561.18 12,139.7 
यूपी 1,95,000 1,35,474.45 1,17,407.3
पश्च‍िम बंगाल 32,680 27,830.61 23,367.75
कुल 9,35,143 7,00,987.08 6,32,003.85

जानिए क्यों पैदा हुआ डीएपी संकट ( Know why the DAP crisis arose )

रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने एक बयान में डीएपी संकट की वजह बताई है। सरकार ने कहा है कि जनवरी से चल रहे लाल सागर संकट के कारण डीएपी की मांग बहुत बढ़ गई है, जिसके कारण खाद के जहाज को केप ऑफ गुड होप के जरिए 6500 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है।

उल्लेखनीय है कि डीएपी की आवश्यकता कुछ हद तक भू-राजनीतिक कारकों से प्रभावित हुई है, जिनमें से एक यह है कि उर्वरक विभाग द्वारा नवंबर 2024 की अवधि के दौरान डीएपी की आवश्यकता को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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डीएपी के लिए विदेशों पर निर्भरता ( Dependence on foreign countries for DAP )

भारत में हर साल लगभग 100 लाख टन डीएपी की खपत होती है, जिसकी अधिकांश पूर्ति आयात से होती है, इसलिए आयात शुरू होते ही संकट की संभावना भी बढ़ जाती है। डीएपी के लिए भारत की आयात पर निर्भरता बढ़ती जा रही है।

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में हमने 48.70 लाख टन डीएपी का उत्पादन किया था जो 2023-24 में बढ़कर 55.67 लाख टन हो गया है। वर्ष 2023-24 में डीएपी का उत्पादन केवल 42.93 लाख टन तक ही पहुंच पाया है।

संकट को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय बाजार में बड़ी कीमत ( Big price in international market in view of the crisis )

दूसरी ओर, उर्वरक विभाग के अनुसार, डीएपी की कीमत सितंबर 2023 में 589 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन से करीब 7.30 बढ़कर सितंबर 2024 में 632 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो गई है। हालांकि, अगर वैश्विक बाजार में डीएपी समेत उर्वरकों की कीमत भी बढ़ रही है, तो कंपनियों की खरीद क्षमता पर इसका असर नहीं पड़ता है। कीमत बढ़ाने की बजाय कोविड काल में डीएपी की एमआरपी MRP 1350 रुपये प्रति 50 किलो बैग पर कायम रखी गई।

डीएपी की मांग और उपलब्धता

साल उत्पादन आयात जरूरत उपलब्धता   ब‍िक्री
2024 3.77 3.79 9.35 7.01 6.32
2023 4.00 2.95 7.18 12.08 9.89
2022 2.94 8.55 8.26 12.23 11.00
2021 3.068 1.97  10.39 6.95 6.06
2020 3.40 6.13 8.09  18.01 13.49

जानिए अक्टूबर में कितनी डीएपी की आपूर्ति हुई ( Know how much DAP was supplied in October )

हरियाणा में सितंबर 2024 में चुनाव चल रहे थे और उस महीने वहां जरूरत से ज्यादा डीएपी बिक गई। सितंबर में 60000 मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत थी, जबकि बिक्री 64345 मीट्रिक टन बिकी। इसके बावजूद अक्टूबर में उन्हें किस संकट का सामना करना पड़ रहा है? सवाल यह है कि क्या अक्टूबर में आपूर्ति में कटौती की गई।

हरियाणा सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि 27 सितम्बर, 2024 तक पुराने स्टॉक सहित राज्य में 27,357 मीट्रिक टन डीएपी उपलब्ध है। अक्टूबर माह के दौरान भारत सरकार द्वारा 115,150 से अधिक डीएपी के लिए आवेदन किया गया, जिसमें 17 अक्टूबर तक 68929 मीट्रिक टन डीएपी उपलब्ध है।

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