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Wheat News: गेहूं की फसल के लिए पूसा ने जारी की महत्वपूर्ण सलाह, आप भी जानिए मिलेगा जबरदस्त फायदा

देश के कई राज्यों में रबी की मुख्य फसल गेहूं है, लेकिन कई किसान अभी भी इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि गेहूं की बुवाई कब करें। साथ ही जिन किसानों ने गेहूं की बुवाई कर दी है, वे सर्दी कम होने से काफी चिंतित हैं, क्योंकि सर्दी कम होने से गेहूं की फसल पर काफी असर पड़ रहा है।
 

Wheat Farming News: देश के कई राज्यों में रबी की मुख्य फसल गेहूं है, लेकिन कई किसान अभी भी इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि गेहूं की बुवाई कब करें। साथ ही जिन किसानों ने गेहूं की बुवाई कर दी है, वे सर्दी कम होने से काफी चिंतित हैं, क्योंकि सर्दी कम होने से गेहूं की फसल पर काफी असर पड़ रहा है।

ऐसे में किसानों के लिए गेहूं की फसल में क्या करें, इसको लेकर एडवाइजरी जारी की गई है। इस एडवाइजरी में गेहूं के अलावा रबी की मुख्य फसल तिलहन फसलों, सरसों की फसल का भी जिक्र किया गया है। आइए विस्तार से जानते हैं।

गेहूं की फसल में करें ये जरूरी काम

पूसा की एडवाइजरी ( Pusa's advisory ) के मुताबिक, जिन किसानों की गेहूं की फसल 21 से 25 दिन की हो गई है, उन्हें अगले 5 दिन तक मौसम सुहाना रहने की संभावना को ध्यान में रखते हुए पहली सिंचाई कर देनी चाहिए। सिंचाई के तीन से चार दिन बाद ही खाद की दूसरी मात्रा डालें, ताकि गेहूं की फसल अच्छी तरह से बढ़ सके।

पछेती गेहूं की अच्छी किस्म ( good late wheat variety )

तापमान को ध्यान में रखते हुए किसानों को एक महत्वपूर्ण सलाह दी गई है कि वे पचेती गेहूं की ही किस्म की बुवाई करें। गेहूं की जल्द से जल्द बुवाई करें, इसके लिए यह बहुत जरूरी है कि पूसा के मुताबिक बीज 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो।

अगर किस्मों की बात करें तो एचडी 3059, एचडी 3237, एचडी 3271, एचडी 3369, एचडी 317, डब्ल्यू आर 544, पीबीडब्ल्यू 373 किस्म का चयन करें

बुवाई से पहले बीज को उपचारित करें

गेहूं की बुवाई से पहले बीज को बाविस्टिन 1 ग्राम या टायरोन 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें। साथ ही जिन खेतों में दीमक का प्रकोप है, किसान उसमें क्लोरपाईरिफास (20 ईसी) / 5 लीटर  प्रति हैक्टर की दर से पलेवा या चीड़ के साथ क्लोरो पाइरिस 5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए। नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटाश उर्वरकों  150, 60 और 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की मात्रा में देना जरूरी है।

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सरसों की फसल में करें ये जरूरी काम

पूसा की एडवाइजरी के अनुसार देर से बोई गई सरसों की फसल में विरलीकरण और खरपतवार रोकथाम का काम करना बहुत जरूरी है और तापमान में कमी को देखते हुए भी किसानों को सरसों की फसल में सफेद रतुआ रोग की नियमित निगरानी करना बहुत जरूरी है।

आलू और प्याज में रोग पर विशेष ध्यान दें।

इसके अलावा इस मौसम में खेतों में प्याज लगाने से पहले गोबर की खाद और पोटाश कम्पोस्ट का इस्तेमाल करें। हवा में नमी अधिक होने के कारण आलू और टमाटर में झुलसा रोग की संभावना अधिक रहती है।

ऐसे में इस फसल की नियमित निगरानी करनी चाहिए। इस रोग के लक्षण दिखने पर एक लीटर पानी में 2 ग्राम डाइथेन एम 45 मिलाकर छिड़काव करें।

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