Wheat Farming: गेहूं की बिजाई के 2-3 दिन बाद करें ये काम, पैदावार होगी दोगुनी
Wheat Variety: खेती में खरपतवार ( weed ) एक बड़ी समस्या है। इसके प्रबंधन पर किसानों को काफी पैसा खर्च करना पड़ता है, नहीं तो यह फसल को नुकसान पहुंचाता है। पैदावार पर इसका बुरा असर पड़ता है। लेकिन, अगर बुवाई से पहले इसका प्रबंधन किया जाए तो यह ज्यादा कारगर साबित होगा। बंपर पैदावार होगी।
खेतों में फैले खरपतवारों को मजदूरों से हटवाना महंगा पड़ता है, इसलिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से जुड़े वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वे गेहूं की बुवाई से पहले रसायनों के जरिए खरपतवारों पर नियंत्रण करने का प्रयास करें। ऐसा करना आर्थिक रूप से फायदेमंद होगा।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, गेहूं की बुवाई के तीन दिन के अंदर 1000 मिली प्रति हेक्टेयर पेंडीमेथालिन को 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से चौड़ी पत्ती और घास वर्ग के खरपतवार ( weed ) नियंत्रित होते हैं।
बुवाई के 25-30 दिन बाद 175 ग्राम मेट्रिब्यूजिन को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर प्रयोग करें या फिर 25 ग्राम सल्फोसल्फ्यूरॉन को 250-300 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। या फिर 25 ग्राम सल्फोसल्फ्यूरॉन + 4 ग्राम मेटासल्फ्यूरॉन मिथाइल को 250-300 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर में प्रयोग करें।
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छिड़काव से पहले सावधानी ( Precautions before spraying )
रसायन का छिड़काव केवल धूप वाले दिनों में करें जब हवा की गति बहुत कम हो। अनुशंसित मात्रा से कम या अधिक रसायनों का प्रयोग फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार ही शाकनाशी का प्रयोग करें। छिड़काव करते समय मास्क का प्रयोग करें ताकि इसका आप पर असर न हो।
कब शुरू करें ( When to start )
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से वर्षा आधारित या असिंचित क्षेत्रों में गेहूं की बुवाई शुरू करें। गेहूं की बुवाई के लिए दिन का औसत तापमान 21-25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। गेहूं के दाने की चमक, आकार, स्वाद और उच्च बाजार मूल्य के लिए यह आवश्यक है। कम पानी और वर्षा आधारित क्षेत्रों के लिए गेहूं की कई किस्में विकसित की गई हैं। इन्हें उगाकर ऐसे क्षेत्रों के किसान अच्छी उपज और अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं।
पंक्तियों के बीच कितनी दूरी होनी चाहिए?
प्रति हेक्टेयर गेहूं की बुवाई के लिए 125 किलोग्राम बीज का प्रयोग करना चाहिए तथा पंक्तियों के बीच की दूरी 23 सेमी तथा बीज की गहराई 5-7 सेमी होनी चाहिए। उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर ही करना उचित है। वर्षा आधारित तथा सीमित सिंचाई तथा समय पर बुवाई के लिए 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30 किलोग्राम फास्फोरस तथा 20 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग करें।
हमेशा उन्नत, नई तथा विशिष्ट क्षेत्रों के लिए अनुशंसित किस्मों का ही चयन करें। वर्षा आधारित तथा सीमित सिंचाई तथा समय पर बुवाई के लिए गेहूं की उन्नत किस्में जैसे HI 1531, HI 8627, HI 1500, HD 4672, HD 2987, HW 2004 उपयुक्त हैं।