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 सरसों की खेतीः बीजाई की तैयारी से लेकर कटाई तक का जानें पूरा प्रोसेस

 - उत्तर भारत में सरसों की खेती की विशेषता और इसके फायदे के बारे में जानें।
- सरसों की खेती से जुड़ी जानकारी और इसके लिए आवश्यक दस्तावेज़।
- सरसों की खेती में उत्तर भारत की विशेष भूमिका और इसके भविष्य की संभावनाएं।
 

सरसों की खेती उत्तर भारत में, विशेष रूप से हरियाणा और राजस्थान में, एक महत्वपूर्ण फसल है। इसकी बिजाई से लेकर कटाई तक की प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण चरण होते हैं।

प्रमुख वैरायटी:

1. पीबी-911
2. पीएल-804
3. आरएच-406
4. आरएच-725
5. केआरएच-101

बिजाई से लेकर कटाई तक का प्रोसेस:

बिजाई:

1. बिजाई का समय: अक्टूबर-नवंबर
2. बीज की मात्रा: 1-2 किग्रा प्रति एकड़
3. बिजाई की गहराई: 2-3 सेमी
4. बिजाई की दूरी: 30-40 सेमी

सिंचाई:

1. पहली सिंचाई: बिजाई के 20-25 दिन बाद
2. दूसरी सिंचाई: पहली सिंचाई के 20-25 दिन बाद
3. तीसरी सिंचाई: दूसरी सिंचाई के 20-25 दिन बाद

निराई-गुड़ाई:

1. पहली निराई-गुड़ाई: बिजाई के 20-25 दिन बाद
2. दूसरी निराई-गुड़ाई: पहली निराई-गुड़ाई के 20-25 दिन बाद

उर्वरकों का प्रयोग:

1. नाइट्रोजन: 40-50 किग्रा प्रति एकड़
2. फॉस्फोरस: 20-25 किग्रा प्रति एकड़
3. पोटाश: 10-15 किग्रा प्रति एकड़

कटाई:

1. कटाई का समय: मार्च-अप्रैल
2. कटाई की विधि: मशीन से कटाई या हाथ से कटाई
3. कटाई के बाद: फसल को सुखाकर भंडारण में रखें

यह प्रोसेस हरियाणा और राजस्थान सहित उत्तर भारत में सरसों की बिजाई के लिए उपयुक्त है। लेकिन कृपया ध्यान दें कि यह प्रोसेस मौसम, मिट्टी और क्षेत्र के अनुसार भिन्न हो सकता है।

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