सरसों की पांच उन्नत किस्में: जानें फायदे और विशेषताएं
सरसों की खेती करने वाले किसानों के लिए अक्टूबर का महीना सबसे अच्छा माना जाता है। रबी सीजन में सरसों फसल एक प्रमुख तिलहन फसल है, जिसका देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है।
सरसों की पांच उन्नत किस्में
1. आरएच 725: 136-143 दिनों में पक कर तैयार होती है, फलियां लंबी होती हैं और फलियों में दानों की संख्या 17-18 तक होती है।
2. पूसा बोल्ड: राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और महाराष्ट्र में उगाई जाती है, 150 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है, उत्पादन क्षमता 18-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
3. राज विजय सरसों-2: मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के लिए उपयोगी, 120-130 दिनों में तैयार हो जाती है, अक्टूबर में बुवाई से 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से पैदावार।
4. आर एच 30: हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी राजस्थान क्षेत्रों के लिए सबसे बेहतर, सिंचित और असिंचित क्षेत्रों के लिए उपयोगी, 130-135 दिन लगते हैं पकने में।
5. आरएच-761: ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती, पाले के प्रति सहनशील, 25-27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन, 45-55 दिन में फूल आने लगते हैं.
सरसों की खेती के फायदे
- कम लागत में आसानी से की जा सकती है
- ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती
- आर्थिक लाभ की खेती है
किसान भाई सरसों की इन पांच उन्नत किस्मों में से किसी एक को अपनाकर अच्छा मुनाफा ले सकते हैं।