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Farming of potato: आलू की खेती करने वाले किसानों पर संकट, फसल को ऐसे बचाएं इन रोगों से

 
Farming of potato: आलू की खेती करने वाले किसानों पर संकट, फसल को ऐसे बचाएं इन रोगों से
Farming of potato: इस समय मौसम में बदलाव और कोहरा, तापमान में उतार-चढ़ाव और उच्च आर्द्रता होती है, जिसके कारण किसान भाइयों के खेतों में लगी आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की संभावना रहती है. यदि यह रोग खेत में उगी आलू की फसल में फैल जाए तो कुछ ही समय में पूरा खेत इस रोग से प्रभावित हो जाता है। किसान आलू में इस रोग का समय पर प्रबंधन कर नुकसान से बच सकते हैं।
Farming of potato: झुलसा रोग दो प्रकार का होता है
आलू में झुलसा रोग दो प्रकार का होता है. पहला- पिछात झुलसा और दूसरा- अगत झुलसा। Also Read: Farming: स्ट्रॉबेरी, ड्रैगन फ्रूट और पपीता की खेती पर सरकार दे रही जबरदस्त सब्सिडी, जल्दी यहां करें आवेदन
पिछात झुलसा
Farming of potato: आलू की फसल में पिछेती झुलसा रोग बहुत विनाशकारी होता है। आलू में यह रोग फाइटोफ्थोरा इन्फेस्टैन्स नामक कवक के कारण होता है। जब वायुमंडलीय तापमान 10 डिग्री से 19 डिग्री सेल्सियस होता है, तो आलू में पिछेती झुलसा रोग के लिए उपयुक्त वातावरण होता है। इस बीमारी को किसानों की परेशानी भी कहा जाता है. यदि फसल इस रोग से ग्रसित हो और बारिश हो जाए तो यह रोग बहुत ही कम समय में फसल को नष्ट कर देता है। इस रोग के कारण आलू की पत्तियां किनारों और सिर पर सूख जाती हैं। सूखे हिस्से को दो अंगुलियों के बीच रगड़ने से कट-कट की आवाज आती है। Farming of potato: आलू की खेती करने वाले किसानों पर संकट, फसल को ऐसे बचाएं इन रोगों से पिछात झुलसा
बचाव
फसल की सुरक्षा के लिए किसानों को मैन्कोजेब 75 प्रतिशत घुलनशील पाउडर को 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोलकर 10-15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए. संक्रमित फसल पर मैन्कोजेब और मेटालैक्सिल या कार्बेन्डाजिम और मैन्कोजेब का संयुक्त उत्पाद 2 ग्राम प्रति लीटर या 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोलकर छिड़काव करें। Also Read: LPG Gas KYC: गैस सिलेंडर सब्सिडी के लिए केवाईसी जरूरी, घर बैठे यहां करें केवाईसी
Farming of potato: अगत झुलसा
आलू में यह रोग अल्टरनेरिया सोलाने नामक कवक के कारण होता है। निचली पत्तियों पर गोलाकार धब्बे बनते हैं, जिनके अंदर एक गाढ़ा वलय बनता है। चित्तीदार पत्ती पीली होकर सूख जाती है। बिहार राज्य में यह रोग देर से होता है, जबकि ठंडे क्षेत्रों में इस कवक के लिए उपयुक्त वातावरण पहले बन जाता है। Farming of potato: आलू की खेती करने वाले किसानों पर संकट, फसल को ऐसे बचाएं इन रोगों से अगत झुलसा
बचाव
Farming of potato: फसल में इस रोग के लक्षण दिखाई देते ही जिनेब 75% घुलनशील चूर्ण 2.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या मैंकोजेब 75% घुलनशील चूर्ण 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% घुलनशील 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. Also Read: Advisory for Farmers: गेहूं की फसल हो चुकी है 21 दिन से ज्यादा समय की तो आपके लिए ये खबर है बड़े काम की