Farming News: हाल ही का मौसम सरसों के लिए बना वरदान! लेकिन गेहूं पर मंडराया खतरा
Farming: आमतौर पर हर साल अक्टूबर के अंत तक सर्दी शुरू हो जाती है लेकिन इस बार दिसंबर महीने तक गर्मी के हालात बने हुए हैं. यह मौसम सरसों की फसल के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है. हालांकि अधिक तापमान के कारण किसान दूसरी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं.
सब्जी की खेती भी किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है. वहीं गेहूं की फसल के लिए यह मौसम काफी खतरनाक बन रहा है क्योंकि फसल के लिए रात का न्यूनतम तापमान 3 से 4 डिग्री है. रात में भी तापमान कम नहीं होता है.
दिसंबर का महीना शुरू हो चुका है. इस वक्त दिन का तापमान 24 से 25 डिग्री के आसपास देखने को मिल रहा है. रात का तापमान 10 डिग्री के आसपास बना हुआ है. राजस्थान में सरसों की सबसे ज्यादा पैदावार अलवर दोसा भरतपुर के आसपास के क्षेत्र में होती है.
इस साल तापमान ज्यादा है, इसे सरसों की फसल के लिए काफी फायदेमंद माना जा रहा है. सरसों की फसल की खेती सितंबर की शुरुआत में की जाती है और अक्टूबर के अंत तक सरसों की बुवाई पूरी हो जाती है. सब्जियों के लिए भी फायदेमंद. अकेले अलवर जिले में 125 हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की पैदावार होती है.
दिसंबर माह में तापमान अधिक होने के कारण किसान मुख्य फसलों को छोड़कर अन्य फसलों पर ध्यान दे रहे हैं। राजस्थान से प्रतिदिन हजारों किसान दिल्ली में आसपास के राज्यों में सब्जियां पहुंचाते हैं। किसानों को सब्जियों के बेहतर दाम मिल रहे हैं, इसलिए किसान अब सब्जी उत्पादन की ओर रुख कर रहे हैं।
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पश्चिमी राजस्थान में गेहूं का काफी उत्पादन होता है और देशभर में राजस्थान से गेहूं की सप्लाई भी होती है। खास बातचीत में किसानों ने बताया कि मौसम में लगातार हो रहे बदलाव का असर खेती पर भी देखने को मिल रहा है। किसानों को अब कई अन्य विकल्पों की ओर जाना पड़ रहा है।
कुछ किसान फलों की खेती करने लगे हैं, तो कुछ सब्जियों की ओर रुख कर रहे हैं, क्योंकि मौसम की मार के कारण किसान दिन-प्रतिदिन कर्ज की ओर बढ़ रहे हैं। राजस्थान की प्रमुख फसलें सरसों, गेहूं, चना, कपास आदि हैं। राजस्थान में खरीफ फसलों की बुवाई जून-जुलाई में शुरू हो जाती है।
इसमें बाजरा, मक्का, सोयाबीन, चावल, मटर, सूरजमुखी तेल, जवाहर तिल आदि प्रमुख फसलें हैं। इसी तरह रबी फसलों की बात करें तो राजस्थान में गेहूं, सरसों, अलसी, आलू, टमाटर, अफीम आदि मुख्य फसलें मानी जाती हैं। रबी फसलों का चक्र अक्टूबर से शुरू होता है। और दिसंबर के मध्य तक चलता है।
कौन सी फसल किस क्षेत्र में उगाई जाती है
राजस्थान के जालौर, पाली, सिरोही, अजमेर, बाड़मेर, नागौर क्षेत्र में जीरे का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है। जोधपुर, अलवर, सवाई माधोपुर, टोंक, भीलवाड़ा, जयपुर क्षेत्र में मिर्च की खेती भी बड़ी मात्रा में होती है। चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, कोटा, बूंदी, जलवाड़ा क्षेत्र में अफीम की खेती बड़ी मात्रा में होती है।
इस भूगोल में सबसे ज्यादा उत्पादन जालौर, सिरोही और बाड़मेर क्षेत्र में होता है। नागौर क्षेत्र में मेथी की खेती बड़ी मात्रा में होती है। कोटा, जलवाड़ा और 12 क्षेत्रों में धनिया की खेती सबसे ज्यादा मात्रा में होती है। जलवाड़ा, गंगानगर, कोटा, जोधपुर, बीकानेर में जीरे की खेती सबसे ज्यादा होती है।
किसानों के पास दूसरे विकल्प
मौसम में तेजी से हो रहे बदलाव के कारण किसानों ने कई दूसरे विकल्प तलाशने शुरू कर दिए हैं। सब्जियों के अलावा किसान अन्य प्रकार की खेती की ओर रुख कर रहे हैं, जिसमें फलों की खेती, चंदन के पेड़, फूल, जीरा, अनानास आदि की खेती शामिल है।
ग्रीनहाउस, पोली हाउस सबसे बेहतर विकल्प
ग्रीनहाउस, पोली हाउस उन किसानों के लिए बेहतर विकल्प बन रहे हैं, जिनके लिए सरकार की ओर से फुलिया हाउस में ग्रीनहाउस पर सब्सिडी दी जाती है, इसलिए बहुत से किसान इस तकनीक को अपना रहे हैं और इसकी सहायता से खेती कर रहे हैं