बासमती चावल लगाने वाले किसान अपनाएं ये उपाय, होगा बंपर उत्पादन
कृषि विभाग के अनुसार, धान की फसल को पानी (Irrigation) की आवश्यकता होती है, लेकिन इस समय पानी की कमी नहीं है। इसके अलावा, मौसम की स्थिति भी अनुकूल है, जिससे फसल को नुकसान नहीं होगा।
किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपनी फसल की नियमित जांच करें और आवश्यक उपाय करें। इसके अलावा, किसानों को फसल बीमा (Crop Insurance) के लिए भी प्रोत्साहित किया गया है ताकि वे अपनी फसल के नुकसान से बच सकें।"
बासमती धान की खेती में कुछ खास बातें अपनाकर किसान अच्छी गुणवत्ता और अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं:
- रोपाई से पहले खेत को समतल करें और खेत का आकार छोटा रखें: इससे सिंचाई के लिए आवश्यक पानी की मात्रा में बचत होती है।
- बासमती धान की खेती के लिए अच्छी जल धारण क्षमता वाली चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है: धान की रोपाई के पहले धान की खेती के लिए 2 से 3 बार जुताई करें, इसी के साथ ही मजबूत मेंड़ भी बनाएं।
- हरी खाद की बुवाई जरूर करें: इसके लिए ढैंचा, सनई, लोबिया या मूंग की फसल की बुवाई करें। बासमती धान की रोपाई से पहले खेत में पानी भर कर हरी खाद को पडलिंग के द्वारा खेत में पलट दें, इससे जुताई की लागत भी कम की जा सकती है।
- रोपाई के लिए 20 से 25 दिन की पौध का उपयोग करें: पूसा बासमती 1509 की 18-22 दिन की पौध होने पर रोपाई करें, पौध को उपचारित करने के लिए 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम या 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा हरजेनियम प्रति लीटर पानी की दर से घोल में कम से कम एक घंटे के लिए डुबो कर रखें।
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- उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण और फसल की मांग के आधार पर करें: पूरी फसल के दौरान ऊंची बढ़ने वाली प्रजातियों के लिए प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम डी.ए.पी., 70 किलोग्राम पोटाश और 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट पर्याप्त होते हैं।
- प्रमाणित बीज का ही प्रयोग करें और बीज उपचार अवश्य करें: पौध उखाड़ने से पहले नर्सरी में पानी भरें और पौध की जड़ों को उखाड़ने के बाद ट्राइकोडर्मा अथवा कार्बेन्डाजिम के घोल में डूबोकर उपचार करें।