{"vars":{"id": "114513:4802"}}

Pashupalan: ठंड में पशुओं का रखें विशेष ध्यान, ये बीमारी है बेहद खतरनाक

 
Pashupalan: दिसंबर के आखिरी हफ्ते में पूरे उत्तर भारत और पहाड़ी इलाकों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। ठंड सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि जानवरों के लिए भी कई परेशानियां पैदा करती है। खासकर ठंड के मौसम में बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में जरूरी है कि ठंड के मौसम में पशुपालक अपने पशुओं के साथ-साथ खुद का भी ख्याल रखें ताकि उन्हें ठंड की मार से बचाया जा सके. तो आइए जानते हैं कि ठंड से जानवरों में कौन सी बीमारियों का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
Pashupalan: ठंड के मौसम ने पशुपालकों की परेशानी बढ़ाई
ठंड के मौसम ने पशुपालकों की परेशानी भी बढ़ा दी है. इससे दुग्ध उत्पादन प्रभावित होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। जानवर सर्दी, खुरपका-मुंहपका रोग और अन्य बीमारियों के प्रति भी संवेदनशील होते हैं। Pashupalan Also Read:  NH Toll Tax: बिना ट्रेवल किए 1.55 लाख यात्रियों के फास्टैग से कट गए टोल टैक्स, क्या आपके साथ भी हुआ है ऐसा
Pashupalan: पशुओं को ठंड से बचाने के लिए करें ये काम
इन दिनों मौसम काफी बदल रहा है। इसीलिए जानवरों को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें एक बंद जगह में रखें। लेकिन सुनिश्चित करें कि क्षेत्र में पर्याप्त वेंटिलेशन बना रहे। पशुओं को बांधने वाले स्थान के नीचे पुआल या सूखा पुआल रखें। उन्हें ताज़ा पानी दें, गंदा पानी नहीं। पशुओं को धूप में नहलाएं। साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें। सप्ताह में एक बार चूना और राख मिलाकर सतह पर छिड़कें और साफ करें।
Pashupalan: ठंड बढ़ने पर कम हो जाती है दूध की मात्रा, करें ये काम
जानवर मौसम के उतार-चढ़ाव को बर्दाश्त नहीं कर पाते। ऐसे में ठंड के कारण दूध का उत्पादन कम हो सकता है. दूध की मात्रा बनाए रखने के लिए प्रतिदिन 250 ग्राम गुड़ दें। पशुओं के आहार का ध्यान रखें। सूखा चारा एवं हरा चारा दो से एक के अनुपात में रखें। दो भाग सूखा तथा एक भाग हरा चारा दें। सूखा चारा शरीर में ऊर्जा बनाए रखता है। पशुओं को सेंधा नमक खिलाएं। इसे खिलाने से प्यास बढ़ेगी और शरीर हाइड्रेट रहेगा।
Pashupalan: पशुओं में खुरपका-मुँहपका रोग एवं रोकथाम
पशुपालकों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण होगा कि खुरपका और मुंहपका रोग क्या है। इससे मुंह और खुरों में घाव हो जाते हैं। इससे पशु चलने में असमर्थ हो जाता है और खाने में कठिनाई होती है। यदि पशु चारा नहीं खाएंगे तो शरीर कमजोर हो जाएगा। अगर यह किसी भी जानवर के साथ एक बार हो जाए तो इसका असर जीवन भर रहता है। यदि यह जानवर की शिशु अवस्था में है, तो उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है। वयस्कों की तुलना में बच्चों में मृत्यु दर अधिक है। यह बैक्टीरिया से फैलता है. यदि यह किसी व्यक्ति के साथ होता है, तो यह अन्य जानवरों के साथ भी हो सकता है। Also Read: Correct mix NPK Boron fungicide: गेहूं में एनपीके बोरोन और फंगीसाइड को मिला कर स्प्रे करने के क्या है फायदे नुकसान, जानें यहा Pashupalan
Pashupalan: गायों में थनैला रोग एवं रोकथाम
विदेशी गायों में मास्टिटिस से पीड़ित होने की अधिक संभावना होती है। क्योंकि यह अधिक दूध देता है. ज्यादातर मामलों में, यह गर्भधारण के 10-15 दिनों के भीतर होता है। बचाव के लिए दूध दोहने के बाद रूई को बीटाडीन में भिगोकर थन के सिरे पर लगाएं। साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें।