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Wheat Crop: जानें गेहूं में लगने वाले पट्टी रोली रोग प्रबंधन के उपाय और लक्षण

 
Wheat Crop: देश में अधिकतर किसान अपने खेतों में गेहूं की खेती करते हैं। गेहूं की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए किसान को कई तरह के काम करने पड़ते हैं, जिनमें से सबसे आम है स्ट्रिप रोली रोग का प्रकोप। गेहूं की फसल में किसानों की परेशानी को समझते हुए राजस्थान कृषि विभाग ने गेहूं की फसल में लगने वाले स्ट्रिप रोली रोग के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। Also Read: What is excel breed lab: मात्र 65 दिन में तैयार होगी गेहूं की फसल, नई तकनीक का बीज तैयार
Wheat Crop: गेहूं की फसल में पट्टी रोली रोग के लक्षण
गेहूं की फसल में इस रोग का प्रकोप होने पर फसल की पत्तियों का रंग फीका पड़ने लगता है। पत्तियों पर बहुत छोटे पीले बिंदु जैसे छाले भी दिखाई देते हैं। इस रोग के कारण फसल की पूरी पत्तियों पर चूर्ण जैसे धब्बे पड़ जाते हैं। गेहूं की फसल में पट्टी रोली रोग पहले 10-15 पौधों में गेंद के आकार में फैलता है और फिर धीरे-धीरे पूरी फसल में फैल जाता है।
Wheat Crop: पट्टी रोली रोग प्रबंधन के उपाय
गेहूं की फसल को पट्टी रोली रोग से बचाने के लिए किसान को कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। राजस्थान कृषि विभाग की ओर से जारी सूचना के मुताबिक, खेतों में पानी भरा होने की स्थिति में किसानों को नाइट्रोजन से अधिक उर्वरकों का प्रयोग करने से बचना चाहिए. कृषकों को अपने खेतों में उर्वरक एवं कीटनाशकों की मात्रा का प्रयोग विभागीय/अनुभागीय अनुशंसा के अनुरूप ही करना चाहिए। इसके अलावा किसान को गेहूं की फसल का नियमित निरीक्षण करना चाहिए। यदि किसान को फसल में कोई संदेह महसूस हो तो उसे तुरंत अपने नजदीकी कृषि विभाग/कृषि विज्ञान केंद्र/कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क करना चाहिए। Also Read: Indian Army news: सेना के जवानों को लगेंगे जा रहे पंख, जेटपैक सूट पहनकर भरेंगे उड़ान
Wheat Crop: फफूंदनाशक का छिड़काव
यदि फसल पट्टी रोली रोग से संक्रमित हो तो किसान को अनुशंसित फफूंदनाशक का छिड़काव करना चाहिए। जैसे प्रोपिकोनाज़ोल 25 ई.सी. या टेबुकोनाजोल 25.9 ई.सी. 1 मिली का. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर 200 लीटर घोल प्रति एकड़ छिड़काव करें। फिर किसान को 15 दिन के अंतराल पर दूसरा छिड़काव करना चाहिए। इससे फसल पर पट्टी रोली रोग का प्रभाव कम हो जाता है।