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मूली की खेती देगी कम समय और लागत में अधिक मुनाफा! जानें कैसे

 
Aapni Agri, Farming मूली का जड़वाली सब्जियों में 1 महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है, क्योंकि इसका इस्तेमाल भारत के हर घर में होता है. कभी सलाद के रूप कभी अचार तो कभी सब्जी के रूप में इसको उपयोग में लाया जाता है. मूली को विटामिन सी और खनिजों का 1 अच्छा स्रोत भी माना जाता है. इसलिए इसे हर घर में पंसद किया जाता है. ये जहां आम लोगों के लिए महत्वपूर्ण है तो वहीं किसानों के लिए भी बहूत अहम मानी जाती है.
मूली किसानों के लिए अहम फसल
मूली की किसानों खेती के लिए अहम इसलिए हैं क्योंकि इसकी खेती कम खर्च और कम टाईम में ही अधिक मुनाफा देने वाली फसल होती है. लेकिन किसानों के पास समस्या जब आती है जब इसकी फसल में रोग और कीट लग जाते हैं और किसानों के पास इसका सही उपचार या प्रबंधन कुछ नहीं होता है. ऐसे में आपके लिए इस लेख के माध्यम से मूली की फसल को लगने वाली बिमारी और उसके प्रबंधन की जानकारी लेकर आया है. इसके लिए आप पूरा लेख जरूर पढ़िए. Also Read: Cardamom Crop: इलायची की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग व उपचार
मूली में लगने वाले रोग व कीट और प्रबंधन
यहां आपको ये बता दें कि मूली की खेती में रोग और कीटों का प्रकोप ज्यादा नहीं होता है, लेकिन कई बार ऐसा भी प्रकोप देखने को मिलता है, जिससे उत्पादन में भारी कमी भी आ जाती है और जिसका खामियाजा किसानों को नुकसान के तौर पर चुकाना भी पड़ता है. ऐसे में आपको मूली में लगने वाले कीट और उसके प्रबंधन की जानकारी होनी चाहिए. इसलिए हम आपको यहां नीचे मूली में लगने वाली मुख्य कीट व रोग और उसके प्रबंधन की जानकारी दे रहे हैं.
माहू कीट और उसका प्रबंधन
किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग मध्य प्रदेश की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, मूली की फसल में माहू कीट भी लग जाता है. ये कीट हरे सफेद छोटे-छोटे भी होते हैं और ये पत्तियों से रस चूसकर उसे पीला भी कर देते हैं, इससे फसल की उपज में काफी ज्यादा कमी देखने को मिलती है. इस कीट के नियंत्रण के लिए मैलाथियान 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव भी करें. इसके साथ ही आप चाहें तो 4 प्रतिशत नीम गिरी के घोल में किसी चिपकने वाला पदार्थ जैसे चिपको या सेण्ड़ोविट को मिलाकर इसके घोल का भी छिड़काव कर सकते हैं.
रोयेंदार सूंडी और उसका प्रबंधन
मूली में लगने वाला ये सूंडी या कीड़ा भूरे रंग का होता है और वह रोयेदार होता है. ये सूंडी भी मूली की पत्तियों को खाकर उसे नुकसान भी पहुंचाती हैं. इसके प्रबंधन के लिए मैलाथियान 10 प्रतिशत चूर्ण को 20 से 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह के टाईम में भुरकाव करने की सलाह दी जाती है. आप चाहें तो इसे Profex super दवा का स्प्रे करके भी नियंत्रण कर सकते हैं.
अल्टेरनेरिया झुलसा और उसका प्रबंधन
ये रोग बीज वाली फसल पर अधिक बार लगती है. इस बिमारी के लगने के बाद पत्तियों पर छोटे घेरेदार गहरे काले धब्बे भी बन जाते हैं. इसके प्रबंधन के लिए बीजोपचार करना बहुत जरूरी होता है. इसके लिए कैप्टान 2.5 ग्राम प्रति किलो को बीज की दर से इस्तेमाल भी कर सकते है. इसके साथ ही प्रभावित पत्तियों को तोड़कर जला भी दें. पत्ती तोड़ने के बाद मैन्कोज़ेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर को पानी में घोलकर उसकी स्प्रे अवश्य करें.