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गर्मी और सूखे का फसलों और जानवरों पर प्रभाव और उनका निपटान, विस्तार से पढ़ें

 
Aapni Agri, Farming गर्मी ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है ऐसे में किसानों और पशुपालकों को अपनी फसलों और पशुओं की चिंता सताने भी लगी है. क्योंकि इसे झुलसाने वाली गर्मी फसलों और पशुओं को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है. क्योंकि कई अध्ययनों में ये बताया गया है कि गर्मी और सूखे जैसी मौसम की स्थिति कृषि पर कई नकारात्मक प्रभाव डालती है. इससे पैदावार कम होने की भी संभावना भी बढ़ जाती है. तो ऐसे में आइये जानते हैं गर्म मौसम की वजह से कृषि में कहा-कहा ज्यादा प्रभाव पड़ता है.
फसलों पर गर्मी और सूखे का प्रभाव
आपको ये बता दें कि गर्म जलवायु की वजह से मिट्टी शुष्क और कम उपजाऊ भी हो सकती है और इसके अलावा गर्मी में कार्बन डाइऑक्साइड भी बढ़ती है. जिसकी वजह से कई खरपतवार, कीट और कवक पनपने भी शुरू हो जाते हैं. जो पौधों की वृद्धि को काफी ज्यादा हद तक प्रभावित करते हैं. जिससे ज्यादातर पौधों की प्रजातियों में प्रोटीन और आवश्यक खनिजों की सांद्रता कम हो सकती है. Also Read: बिना पेट्रोल-डीजल और बिजली के चलेगा यह ट्रैक्टर, जानें इसकी खासियत
पशुधन पर गर्मी और सूखे का प्रभाव
अगर हम पशुधन की बात करें, तो गर्मी और सूखे की वजह से पशुपालकों को काफी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है. क्योंकि गर्मी की वजह से जानवरों में तनाव में पैदा हो सकता है जोकि आगे चल कर जानवरों की बीमारी के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ा सकता है. इससे उनकी प्रजनन क्षमता और दूध उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा भी कम भी हो सकती है. इसके अलावा सूखे की वजह से चारागाह और पशुओं के चारे की आपूर्ति को भी खतरा हो सकता है. क्योंकि यह चरने वाले पशुओं के लिए उपलब्ध गुणवत्तापूर्ण पत्ते की मात्रा को कम कर देता है जिससे पशुओं को सही टाईम पर पौष्टिक चारा नहीं मिल पाता है.
खेतों में गर्मी और सूखा-सहिष्णु फसलें लगाएं
अगर किसान भाई गर्मी के मौसम में खेती करते हैं तो किसान भाई गर्मी में ऐसी फसलें का चुनाव करें जो गर्मी और सूखा-सहिष्णु हों. क्योंकि कई फसलें ऐसी भी होती हैं जिससे उच्च तापमान को सहन कर सकती हैं. इनको सिंचाई की ज्यादा जरुरत नहीं होती है. सीमित जल संसाधनों वाले क्षेत्रों में भी इस प्रकार की फसलें वास्तव में काफी उपयोगी मानी जाती हैं.
पलवार यानि मल्चिंग तकनीक अपनाएं
मल्चिंग 1 ऐसी कृषि तकनीक है जिसके द्वारा हम मिट्टी की जलधारण क्षमता को बेहतर बनाने और प्रतिकूल मौसम की स्थिति से फसलों को बचाने के लिए मिट्टी की सतह को कार्बनिक या अकार्बनिक सामग्री से ढक दिया जाता है. इससे खरपतवार में वृद्धि पर भी रोक लगती है और मिट्टी की पोषण मात्रा में भी सुधार होता है. क्योंकि गर्मी में उच्च तापमान होने की वजह से मिट्टी जल्दी ही सूखने भी लगती है. जिससे पौधों की जड़ों को काफी नुकसान भी पहुँचता है और पौधों को पोषक तत्व ग्रहण करने में भी काफी समस्या का सामना भी करना पड़ता है. आपको ये बता दें कि मल्चिंग तकनीक मिट्टी और सूर्य के बीच 1 बाधा के रूप में कार्य करती है. यह मिट्टी द्वारा अवशोषित की जाने वाली गर्मी की मात्रा को काफी ज्यादा हद तक कम करती है, जिससे पौधों की जड़ों को गर्मी के तनाव से सुरक्षित भी रखा जा सकता है.
फसलों को छाया प्रदान करें
सभी किसान भाई फसलों पर गर्मी के तनाव के प्रभाव को कम करने के लिए पौधों को पर्याप्त छाया प्रदान करें. क्योंकि गर्मी के तनाव से पत्तियां और फूल टाईम से पहले ही मुरझा सकते हैं उनका विकास काफी हद तक रुक सकता है और उपज में भी कमी आ सकती है. इसके अलावा काफी लंबे टाईम तक धूप के संपर्क में रहने की वजह से पौधे की पत्तियां ज्यादा तापमान बढ़ने की वजह से फसल जल भी सकती हैं. इसलिए छाया प्रदान करके हम पौधे तक पहुँचने वाली सीधी धूप की मात्रा को काफी कम कर सकते हैं, जिससे फसल को पर्यावरणीय तनाव से बचाकर हम फसल की उपज में काफी सुधार भी कर सकते हैं.