भिंडी की खेती में सफलता के लिए रोग नियंत्रण और कीट प्रबंधन!
भिंडी की फसल में लगने वाले 4 खतरनाक रोग और उनके उपाय कुछ इस प्रकार हैं
- ख़स्ता फफूंदी रोग:
यह रोग शुष्क मौसम में पत्तियों को प्रभावित करता है, जिससे पत्तियों पर सफेद परत बनने लगती है और पत्तियां धीरे-धीरे झड़ने लगती हैं। इस रोग को नियंत्रण में रखने के लिए प्रति लीटर पानी में 3 ग्राम सल्फर पाउडर घोलें और इस मिश्रण का खेतों में छिड़काव करें
- पीला मोज़ेक रोग
यह रोग सफेद मक्खी द्वारा फैलता है, जिससे पत्तियों की नसें पीली पड़ने लगती हैं और पूरा पौधा पीला पड़ जाता है। इस रोग से बचने के लिए 2 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड प्रति लीटर पानी में घोलकर खेतों में छिड़काव करें
- बोरिंग कीड़े
यह कीट भिंडी के फल में घुसकर उसमें अंडे देता है और इसकी संख्या तेजी से बढ़ती है। इस कीट से बचने के लिए प्रति 3 लीटर पानी में 1 ग्राम थायमेथोक्साम घोलकर फसल पर छिड़काव करें
- कटुआ कीट
यह कीट भिंडी के पौधे के तने को काटने लगता है और पौधा टूटकर गिरने लगता है। इस कीट से बचने के लिए मिट्टी में कीटनाशक मिलाकर प्रयोग करें, जैसे थायमेट-1जी और कार्बोफ्यूरान 3जी को 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिलाना होगा
इन रोगों से बचने के लिए किसानों को अपनी फसल पर नियमित रूप से निगरानी रखनी चाहिए और समय पर उपाय करने चाहिए। इसके अलावा, किसानों को अपनी फसल को कीटनाशकों का छिड़काव करने के बाद कटाई करते समय सावधानी बरतनी चाहिए और कम से कम 5 से 7 दिन तक कटाई नहीं करनी चाहिए ¹।