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Mustard Crop Growth Tips: सरसों की पहली सिंचाई कब करें, जानें कौनसी खाद से बढ़ेगी फसल की पैदावार

सरसों की फसल में पहली सिंचाई का सही समय और खाद का महत्व क्या है? जानें कैसे सही देखभाल से आप अपनी उपज को दोगुना कर सकते हैं।
 
 
सरसों की पहली सिंचाई का सही समय बुवाई के 25-35 दिन बाद होता है।
DAP, SSP और सल्फर का पहली सिंचाई के समय उपयोग करने से पौधों की वृद्धि होती है।
NPK स्प्रे से सरसों की फसल में पोषण बढ़ता है, जिससे फसल की गुणवत्ता सुधरती है।

Mustard Crop: किसान भाइयों, यदि आप सरसों की खेती करते हैं तो आपको पता ही होगा कि अच्छी पैदावार के लिए पहली सिंचाई का सही समय और खाद का सही चुनाव कितना महत्वपूर्ण होता है। सरसों की फसल में पहली सिंचाई का समय और इसके साथ प्रयोग की जाने वाली खाद का प्रभाव प्रत्यक्ष तौर पर yield और crop quality पर पड़ता है।

लेकिन हमारे देश के लगभग 90 फीसदी किसान इस जानकारी से अनभिज्ञ हैं, जिसके चलते उनकी फसल की उत्पादकता पर नेगेटिव प्रभाव पड़ता है। आज के Aapni Agri के इस लेख में हम सरसों की पहली सिंचाई, खाद का चुनाव और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें विस्तार से जानेंगे ताकि आप optimal crop management कर सकें।

सरसों की पहली सिंचाई का सही समय: क्यों है जरूरी?

सरसों की फसल में पहली सिंचाई का समय बहुत ही जरूरी होता है और यह समय आमतौर पर बुवाई के 25 से 35 दिन बाद होता है। Mustard crop में पहली सिंचाई का मुख्य उद्देश्य पौधों की शुरुआती वृद्धि को मजबूत बनाना है ताकि उनका तना मोटा व शाखाएं मजबूत बन सकें। क्योंकि इन शाखाओं पर ही आगे चलकर फली बनती हैं, जो फसल की गुणवत्ता और पैदावार को बढ़ाती हैं।

रेतीली मिट्टी में सिंचाई का समय

रेतीली मिट्टी में पानी ज्यादा समय तक रुक नहीं पाता है। इसलिए, अगर आपके खेत में भी मिट्टी रेतीली है, तो पहली सिंचाई का समय थोड़ा और पहले भी रख सकते हैं। वहीं यदि  आपके खेत में मिट्टी अधिक नमी धारण करने वाली है, तो सरसों की फसल में पहला पानी कुछ दिनों के अंतराल के बाद भी लगा सकते हैं।

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Crop management के लिहाज से देखा जाए तो यह फैसला मिट्टी की गुणवत्ता, climate conditions, और तापमान के आधार पर किया जाना चाहिए।

पहली सिंचाई में सामान्य तौर पर की जाने वाली गलतियां

कई किसान पहली सिंचाई में कुछ सामान्य गलतियाँ कर देते हैं, जिनसे बचना बहुत ही जरूरी है। जो कि इस प्रकार है।

जल्दी या देरी से सिंचाई करना

कई बार कुछ किसान जल्दबाजी में सिंचाई कर देते हैं, जिससे पौधे ठीक से बढ़वार नहीं ले पाते हैं। दूसरी तरफ, कई किसान सिंचाई में देरी भी कर देते हैं जिससे पौधों का तना पतला रह जाता है और उनके अंदर मुरझाने जैसी समस्याएँ बढ़ जाती है।

खाद का गलत उपयोग

सिंचाई के समय खाद का सही प्रकार और मात्रा का निर्धारण भी नहीं करने से सरसों के पौधे को पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे उनकी वृद्धि रुक जाती है।

पहली सिंचाई का उद्देश्य और फसल की स्थिति के मुताबिक पानी देना

पहली सिंचाई का उद्देश्य सरसों के पौधों को पोषक तत्व और नमी प्रदान करना होता है। यदि आपकी फसल मुरझाई हुई दिखाई दे रही है या फिर पौधों का रंग हल्का नीला पड़ने लग जाए तो यह संकेत है कि पौधों को तुरंत पानी की आवश्यकता है। यह लक्षण बताता है कि मिट्टी में नमी कम हो गई है और पौधा सही तरह से पोषण नहीं ले पा रहा है।

पौधों की आपसी दूरी और उनकी वृद्धि में संतुलन

Plant density का ध्यान रखना भी बहुत ही जरूरी है। अगर पौधे बहुत ज्यादा नजदीक नजदीक हैं तो इसमें हवा और प्रकाश का आवागमन रुक जाता है। इस वजह से पौधे में रोग, जैसे White rust लगने का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है। White rust एक फंगस बीमारी है जो पौधों के तने को प्रभावित करती है और पौधों पर सफेद पाउडर जैसा परत बना देती है।

सिंचाई के दौरान कौन-सी खादें देंगी अधिक लाभ?

जब आप पहली सिंचाई करते हैं, तो उस दौरान खाद का उपयोग करना भी बहुत जरूरी होता है। पहली सिंचाई के साथ दी गई खाद पौधों की जड़ों तक आसानी से पहुँचती है और फसल को पोषण प्रदान करती है।

DAP, सिंगल सुपर फास्फेट और सल्फर का उपयोग

पहली सिंचाई के वक्त DAP (Diammonium Phosphate), Single Super Phosphate (SSP) और Sulfur का उपयोग करना लाभदायक होता है। यदि आपने बिजाई के दौरान इन खादों का प्रयोग नहीं किया था तो पहली सिंचाई के साथ इनका उपयोग आवश्यक करें। यह खाद पौधों की जड़ों तक पहुँचती हैं और उनकी वृद्धि को बढ़ावा देती है। इससे पौधों के तने मोटे और शाखाएं मजबूत होती है।

यूरिया और जिंक का महत्व

जिन किसानों ने बिजाई के समय DAP, SSP और सल्फर दिए थे, उन्हें पहले पानी के समय केवल Urea और Zinc का उपयोग करना चाहिए। यूरिया पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करता है, जो उनकी बढ़वार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ज़िंक का प्रयोग लगभग 10 से 15 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से करना चाहिए। इससे पौधों की जड़ों में पोषक तत्वों की बढ़वार शुरू सुचारू रूप से चल पड़ती है।

NPK स्प्रे के रूप में फसल को अतिरिक्त पोषण देने का बेहतरीन तरीका

सिंचाई के बाद 2-4 दिन में NPK (Nitrogen, Phosphorus, Potassium) 19:19:19 या 20:20:20 का स्प्रे करना पौधों को जरूरी foliar nutrition प्रदान करता है। यह स्प्रे पौधों की पत्तियों द्वारा सीधे ग्रहण किया जाता है और नवांकुरित पौधे की बढ़वार को तेज करता है।
इस स्प्रे का उपयोग करते समय ध्यान रखें कि फसल की पत्तियाँ चौड़ी होती हैं और इसे आसानी से ग्रहण कर सकती हैं। इसके अलावा, यदि आप Micronutrients जैसे ज़िंक, बोरॉन, मैग्नीशियम का उपयोग करना चाहते हैं तो इसे स्प्रे में मिलाकर उपयोग कर सकते हैं। इससे पौधों की गुणवत्ता और पैदावार yield में सुधार होगा।

मिट्टी की क्वालिटी के अनुसार करें सिंचाई व खाद का प्रबंधन

यदि खेत की मिट्टी रेतीली है, तो उसमें नमी लंबे समय तक नहीं रह पाती है। ऐसे खेतों में यदि बारिश की नमी को बचाकर नहीं रखा गया है तो पौधों का रंग हरे से नीला पड़ जाएगा व उनका तना पतला होकर ऊपर की ओर बढ़ता दिखाई दे सकता है। ये लक्षण बताते हैं कि फसल को तुरंत सिंचाई की जरूरत है। ऐसे खेतों में जल्दी सिंचाई कर पौधों को पोषक तत्व देना बेहद जरूरी है ताकि उनकी growth अच्छी रहे। मिट्टी की स्थिति के अनुसार ही किसान को खाद का चयन करना चाहिए और मात्रा में संतुलन बनाए रखना भी काफी जरूरी है।

सरसों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए जरूरी टिप्स व सुझाव

सरसों की फसल में अधिक पैदावार और गुणवत्ता के लिए निम्नलिखित बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए।

सही समय पर सिंचाई: पहली सिंचाई का सही समय फसल की अच्छी शुरुआत के लिए बहुत जरूरी है। बिजाई के 25 से 35 दिन बाद पहली सिंचाई करना ज्यादातर स्थितियों में उचित होता है।

सिंचाई के समय सही खाद का उपयोग: DAP, SSP, सल्फर, यूरिया, और जिंक का उपयोग सही मात्रा में ही करें ताकि पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते रहें।

NPK स्प्रे: सिंचाई के 2 से 4 दिन बाद NPK स्प्रे का उपयोग जरूर करें। यह फसल के लिए अतिरिक्त पोषण का जबरदस्त साधन है।

मिट्टी की स्थिति का ध्यान: अगर मिट्टी रेतीली है या फिर उसमें नमी की कमी है तो सिंचाई और खाद का प्रबंधन उसी हिसाब से करें।

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