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Kisan Career: प्राकृतिक खेती में युवाओं के लिए बेहतर भविष्य, 12वीं के बाद बेस्ट है ये कोर्स, फीस है सिर्फ नाम मात्र

कृषि क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को नए भविष्य के रूप में देखा जा रहा है, वहीं जैविक खेती को भी तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल पंजाब के पटियाला में चुनावी रैली के दौरान कहा कि केंद्र सरकार मिट्टी के पोषक तत्वों को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती पर ध्यान केंद्रित कर रही है। वहीं, पिछले कई सालों में पूरी दुनिया में प्राकृतिक खेती और जैविक खेती तेजी से बढ़ी है।
 

कृषि क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को नए भविष्य के रूप में देखा जा रहा है, वहीं जैविक खेती को भी तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल पंजाब के पटियाला में चुनावी रैली के दौरान कहा कि केंद्र सरकार मिट्टी के पोषक तत्वों को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती पर ध्यान केंद्रित कर रही है। वहीं, पिछले कई सालों में पूरी दुनिया में प्राकृतिक खेती और जैविक खेती तेजी से बढ़ी है।

भारत में हिमाचल प्रदेश सरकार भी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना चला रही है। इसी प्रकार अन्य सरकारें भी कार्यक्रम एवं योजनाएँ चला रही हैं। प्राकृतिक खेती के बेहतर भविष्य और इसके बढ़ते उपयोग के कारण इस क्षेत्र में अध्ययन करने वाले युवाओं की मांग तेजी से बढ़ी है। नेचुरल फार्मिंग में बैचलर, मास्टर्स और सर्टिफिकेट कोर्स उपलब्ध हैं, जिनमें 12वीं के बाद प्रवेश लिया जा सकता है।

प्राकृतिक खेती में फसलों पर किसी भी प्रकार के रासायनिक कीटनाशकों या दवाइयों का प्रयोग नहीं किया जाता है। प्राकृतिक रूप से उपलब्ध उर्वरकों का उपयोग पारंपरिक तरीकों से किया जाता है। इसमें मिट्टी की नमी और पोषण के आधार पर खेती की जाती है. प्राकृतिक खेती से मिट्टी के पोषण मूल्य को नुकसान नहीं पहुंचता, बल्कि उसमें सुधार होता है। जबकि प्राकृतिक रूप से उगाई गई फसलों में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्व अपने मूल रूप में ही रहते हैं। कृषि उपज का इस प्रकार उपयोग स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बताया गया है।

रेगुलर और डिस्टेंस दोनों मोड में पढ़ाई कर सकते हैं

प्राकृतिक खेती का अध्ययन करने वाले पेशेवरों की इस क्षेत्र में तेजी से बढ़ती मांग को देखते हुए कई विश्वविद्यालयों ने युवाओं के लिए विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश शुरू कर दिया है। हिमाचल प्रदेश की वाईएस परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री युवाओं को नेचुरल फार्मिंग बैचलर कोर्स उपलब्ध करा रही है। वहीं, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय यानी इग्नू घर बैठे जैविक खेती का सर्टिफिकेट कोर्स उपलब्ध करा रहा है। इग्नू पीआरओ राजेश शर्मा के मुताबिक, इग्नू ने अपने कृषि विद्यालय के माध्यम से ओपन एंड डिस्टेंस मोड (ओडीएल) के तहत पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी है।

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बैचलर कोर्स में एडमिशन का मौका

वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के प्रवक्ता सुचेत अत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती को तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है। इस क्षेत्र में बेहतरीन करियर ग्रोथ को देखते हुए युवाओं के लिए पढ़ाई के लिए कोर्स उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी में बैचलर ऑनर्स कोर्स 4 साल की अवधि के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है. इसमें 12वीं पास छात्र प्रवेश ले सकते हैं।

घर बैठे इग्नू से सीखें प्राकृतिक खेती

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय यानी इग्नू और एपीडा यानी कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने संयुक्त रूप से जैविक खेती की पढ़ाई के लिए सर्टिफिकेट इन ऑर्गेनिक फार्मिंग (सीओएफ) कोर्स शुरू किया है। यह भारत में अपनी तरह का पहला कोर्स भी है। इस पाठ्यक्रम को शुरू करने का उद्देश्य कृषि और खाद्य क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता प्रबंधन पेशेवरों के लिए बढ़ती मानव संसाधन आवश्यकताओं को पूरा करना है। इग्नू के इस कोर्स में प्रवेश के लिए 12वीं पास होना जरूरी है।

बैचलर कोर्स की अवधि और फीस

 कोर्स - बैचलर ऑफ नेचुरल फार्मिंग (ऑनर्स) - वाईएस परमार यूनिवर्सिटी
 अवधि - 4 वर्ष
 सामान्य सीट के लिए फीस- 70 हजार रुपये प्रति वर्ष (35 हजार रुपये प्रति सेमेस्टर)
 सेल्फ फाइनेंस सीट के लिए फीस- 1.50 लाख रुपये प्रति वर्ष
 प्रवेश योग्यता - 12वीं पास
 प्रवेश की अंतिम तिथि- 1 जून-28 जून 2024।

सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम और शुल्क (इग्नू)

 कोर्स - जैविक खेती में सर्टिफिकेट कोर्स (सीओएफ)
 अवधि - न्यूनतम 6 माह, अधिकतम 2 वर्ष
 कोर्स फीस- 4,800 रुपये
 प्रवेश योग्यता - 12वीं पास
 आवेदन की अंतिम तिथि- 30 जून 2024.