पशुपालकों के लिए बड़ी खुशखबरी, शेड बनाने के लिए सरकार दे रही है सब्सिडी
किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार उन्हें खेती के साथ-साथ पशुपालन करने के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है. इसी कड़ी में राज्य सरकार पशु आवास, जिसे शेड भी कहा जाता है, बनाने के लिए 70 लाख रुपये तक की सब्सिडी दे रही है.
ऐसे में राज्य के किसान पशुओं के लिए गौशाला खोलकर और उनके लिए घर या शेड बनवाकर सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकते हैं। राज्य सरकार का मानना है कि पशुपालन की प्रगति के बिना गांवों का संपूर्ण विकास संभव नहीं है. इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश में पशुपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
यह सब्सिडी गौशाला खोलने पर दी जाएगी, जिसमें 1000 पशुओं को रखने के लिए गौशाला खोलने पर सरकार 70 लाख रुपये का अनुदान देगी.
दो से चार पशुओं के शेड के लिए भी अनुदान मिलता है।
मनरेगा योजना के तहत किसानों और पशुपालकों को गौशाला में पशु शेड बनाने के अलावा 2 या 4 जानवरों के लिए आश्रय स्थल बनाने के लिए भी पैसे दिए जाते हैं. इसके तहत 2 जानवरों के लिए शेड बनाने के लिए 75,000 रुपये और 4 जानवरों के लिए शेड बनाने के लिए 1.60 लाख रुपये की सब्सिडी दी जाती है.
पशु शेड पर सब्सिडी का लाभ कैसे उठाया जा सकता है?
योजना के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप अपने जिले के पशुपालन विभाग से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा ग्राम पंचायत के माध्यम से मनरेगा योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए आपको नजदीकी ग्राम पंचायत से इस योजना का आवेदन पत्र प्राप्त करना होगा।
इसमें पूछी गई सभी जानकारी भरनी होगी और मांगे गए सभी जरूरी दस्तावेज इसके साथ लगाने होंगे। इसके बाद इस आवेदन को पंचायत कार्यालय में जमा करना होगा. आपका आवेदन मनरेगा विभाग को भेज दिया जाएगा।
यहां विभाग के अधिकारी आपके आवेदन का सत्यापन करेंगे। यदि सब कुछ ठीक रहा और आप इस योजना के लिए पात्र पाए गए तो आपको इस योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा। आपको पशु शेड हेतु अनुदान स्वीकृत किया जायेगा।
किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार उन्हें खेती के साथ-साथ पशुपालन करने के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है. इसी कड़ी में राज्य सरकार पशु आवास, जिसे शेड भी कहा जाता है, बनाने के लिए 70 लाख रुपये तक की सब्सिडी दे रही है.
ऐसे में राज्य के किसान पशुओं के लिए गौशाला खोलकर और उनके लिए घर या शेड बनवाकर सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकते हैं। राज्य सरकार का मानना है कि पशुपालन की प्रगति के बिना गांवों का संपूर्ण विकास संभव नहीं है. इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश में पशुपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है।