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Cow Breed: भारत में पाई जाती हैं 50 से ज्यादा गाय की नस्लें, लेकिन इन 5 की है सबसे ज्यादा मांग, जानें वजह

भारत एक ऐसा देश है जहां देशी गोजातीय पशुओं की संख्या काफी ज्यादा है। यहां गायों की 50 से ज्यादा और भैंसों की 17 से ज्यादा नस्लें हैं। ये नस्लें कई पीढ़ियों में विकसित हुई हैं। कुछ देशी नस्लों के वयस्क नर पशु अपने भार ढोने के गुणों के लिए जाने जाते हैं। तो इनमें से कुछ नस्लें अपने अधिक दूध और वसा उत्पादन के लिए जानी जाती हैं।
 
Cow Breed: भारत में पाई जाती हैं 50 से ज्यादा गाय की नस्लें, लेकिन इन 5 की है सबसे ज्यादा मांग, जानें वजह

भारत एक ऐसा देश है जहां देशी गोजातीय पशुओं की संख्या काफी ज्यादा है। यहां गायों की 50 से ज्यादा और भैंसों की 17 से ज्यादा नस्लें हैं। ये नस्लें कई पीढ़ियों में विकसित हुई हैं। कुछ देशी नस्लों के वयस्क नर पशु अपने भार ढोने के गुणों के लिए जाने जाते हैं। तो इनमें से कुछ नस्लें अपने अधिक दूध और वसा उत्पादन के लिए जानी जाती हैं। हालांकि, उचित देखभाल और नस्लों के सही चयन के अभाव में समय के साथ इन पशुओं की उत्पादकता में कमी आई है। जिसे सुधारना बेहद जरूरी है।

शायद यही वजह है कि इतनी सारी नस्लों के बीच पशुपालकों द्वारा कुछ ही नस्लों को महत्व दिया जाता है। इसी कड़ी में जानते हैं गायों की उन 5 नस्लों के बारे में जिनकी मांग सबसे ज्यादा है। गिर नस्ल की गाय गिर नस्ल की गाय का मूल स्थान गुजरात है। गिर गाय भारत की सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय मानी जाती है इस गाय का मूल स्थान काठियावाड़ (गुजरात) के दक्षिण में गिर का जंगल है, जिसके कारण इसका नाम गिर गाय पड़ा है। भारत के अलावा विदेशों में भी इस गाय की काफी मांग है। इन गायों को मुख्य रूप से इजराइल और ब्राजील में पाला जाता है।

साहिवाल नस्ल

साहिवाल भारत की सबसे अच्छी नस्ल है। इसका मूल स्थान पंजाब और राजस्थान है। यह गाय मुख्य रूप से हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पाई जाती है। यह गाय सालाना 2000 से 3000 लीटर दूध देती है, जिसके कारण ये दूध व्यवसायी इन्हें बहुत पसंद करते हैं। एक बार बछड़े के जन्म के बाद यह करीब 10 महीने तक दूध देती है। अगर इसकी अच्छी तरह से देखभाल की जाए तो यह कहीं भी रह सकती है।

राठी नस्ल

इस नस्ल का मूल स्थान राजस्थान है। भारतीय राठी गाय की नस्ल अधिक दूध देने के लिए जानी जाती है। राठी नस्ल का नाम राठी राठ जनजाति के नाम से लिया गया है। यह गाय राजस्थान के गंगानगर, बीकानेर और जैसलमेर इलाकों में पाई जाती है। यह गाय प्रतिदिन 8-10 लीटर दूध देती है।

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लाल सिंधी नस्ल

गाय की यह नस्ल पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु में पाई जाती है। यह लाल गाय अपने उच्च दूध उत्पादन के लिए जानी जाती है। इसके लाल रंग के कारण इसका नाम लाल सिंधी गाय पड़ा। पहले यह गाय केवल सिंध क्षेत्र में पाई जाती थी। लेकिन अब यह गाय पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और ओडिशा में भी पाई जाती है। भारत में इनकी संख्या बहुत कम है। साहीवाल गायों की तरह लाल सिंधी गाय भी सालाना 2000 से 3000 लीटर दूध देती है।

नागोरी नस्ल

गाय की यह नस्ल राजस्थान के नागौर जिले में पाई जाती है। इस नस्ल के बैल अपनी विशेष गुणवत्ता भार वहन क्षमता के कारण बहुत प्रसिद्ध हैं। निमरी (मध्य प्रदेश) निमरी का मूल स्थान मध्य प्रदेश है। इसका रंग हल्का लाल, सफेद, लाल, हल्का बैंगनी होता है। इसकी त्वचा हल्की और ढीली होती है, माथा उभरा हुआ, शरीर भारी, सींग नुकीले, कान चौड़े और सिर लंबा होता है। यह नस्ल एक ब्यांत में औसतन 600-954 किलोग्राम दूध देती है तथा दूध में वसा की मात्रा 4.9 प्रतिशत होती है।