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इन पांच तकनीकों से करें आम के पौधे में ग्राफ्टिंग, एक ही पेड़ पर लगा सकेंगे कई किस्में

इन पांच तकनीकों से करें आम के पौधे में ग्राफ्टिंग, एक ही पेड़ पर लगा सकेंगे कई किस्में
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हम हमेशा यह चाहते हैं कि हमारे छोटे से बाग़ में बहुत से फल-फूल के पौधे हों लेकिन जगह की कमी होने के कारण आप कुछ ही पौधों को अपने बगीचे में जगह दे पाते हैं. लेकिन ग्राफ्टिंग 1 ऐसी तकनीक है जिसके चलते हम एक ही फल की बहुत सी किस्मों को एक ही पौधे में लगा सकते हैं इससे हमको कम जगह में बहुत से फलों का स्वाद 1 ही बगीचे से मिल जाता है.

वेनरी ग्राफ्टिंग
इस तकनीक में हम आम के पौधे में छेद भी करते हैं. जिसके बाद दूसरे पेड़ की कलम को कुछ इस प्रकार सेट करते हैं कि वह उस किए गए छेद में पूरी तरह से फिट भी हो जाए. पूरी तरह से सेट हो जाने के बाद आपको यह छेद के आस-पास अच्छी तरह से बंद कर देना है. कुछ ही दिनों में आप इसमें 1 नए किस्म के आम को देख पाओगे .

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विप ग्राफ्टिंग
इस तकनीक में आपको 1 पेड़ की छाल को छील कर ग्राफ्टिंग भी
करनी पड़ती है. जिसके लिए आपको पूरी सावधानी के साथ
काम भी करना होता है. आपको इस ग्राफ्टिंग में सबसे पहले
एक आम के पेड़ की छाल को थोड़ा छीलकर भी उसमें दूसरे आम के
पौधे की जड़ समेत कुछ इस तरह से बांधना होता है
जो कि उसमें बाहरी हवा भी न लगे.
सही तरीके से बांधे गए पौधों को कुछ ही
टाईम बाद आप अच्छी तरह से बढ़ता हुआ देखेंगे.

बड ग्राफ्टिंग

इस तकनीक में हमको सबसे पहले मौसम का ध्यान रखना होता है. यह ग्राफ्टिंग मुख्य रूप से जुलाई से सितंबर के मध्य की जाती है. इसमें दूसरे पौधे की कलम से सभी पत्तियों को हटाकर इसमें सेट करके बांध दिया जाता है. इसकी देखभाल भी आपको समय-समय पर करते रहना होगा.

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साइअन ग्राफ्टिंग

इस तकनीक में, 1 प्रजननी पौधे (स्कूटल) का चयन किया जाता है
और इसका ऊपरी हिस्सा भी काट दिया जाता है.
जिसके बाद हम एक अन्य पौधे की ग्राफ्टिंग उस कटे हुए स्थान पर करते हैं.
साथ ही इसको सही तरीके से बांध देते है.

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टॉप वेनीर ग्राफ्टिंग

यह ग्राफ्टिंग करने के बाद पुराने पौधे के स्थान पर एक नए पौधे को लगा दिया जाता है. लेकिन यह प्रक्रिया ज्यादातर ग्राफ्टिंग पर ही आधारित होती है. जिसमें कुछ समय बाद पुराने पेड़ को हटा दिया जाता है और उसके स्थान पर नए पेड़ को ग्राफ्टिंग की सहयता से बड़ा किया जाता है.

ये थीं कुछ आम ग्राफ्टिंग विधियाँ जो आम के पेड़ों में प्रयोग होती हैं. ग्राफ्टिंग के अलावा भी अन्य विधियाँ भी मौजूद हैं, जो आम के पेड़ों के लिए विशेष आवश्यकताओं और परिस्थितियों पर आधारित हो सकती हैं.

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