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प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ा रुझान, तीन साल में 90 फीसदी कम हुई रासायनिक खाद की खपत

प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ा रुझान, तीन साल में 90 फीसदी कम हुई रासायनिक खाद की खपत
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प्राकृतिक खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ रहा है। यही कारण है कि पिछले तीन वर्षों में बिलासपुर जिले में कृषि विभाग के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक रासायनिक उर्वरकों की खपत में 90 प्रतिशत की कमी आई है।
पिछले तीन साल से कृषि विभाग में आने वाली रासायनिक खाद और कीटनाशकों की खेप में कमी आई है।
विभाग में हर साल 80 से 90 लाख रुपये की रासायनिक खाद पहुंचती थी।
अब यह आंकड़ा 10 से 12 लाख तक पहुंच गया है. इनमें स्प्रे पंप और अन्य उपकरण भी शामिल हैं.
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कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पूरे देश में बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है.
भारत सरकार द्वारा आत्मा परियोजना के तहत किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इस परियोजना के तहत जिले में 5100 किसान 600.80 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं।
इन किसानों को पहले ट्रेनिंग दी जाती है. जिले में कुल 65,000 किसान खेती से जुड़े हैं.

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176 पंचायतों में प्राकृतिक खेती के मॉडल लगाए

इस परियोजना के तहत अब तक 11,230 किसानों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
जिले की 176 पंचायतों में प्राकृतिक खेती के मॉडल लगाए गए हैं।
इनमें सोयाबीन, मक्का, उड़द और अरहर बोई गई है।
विभाग का प्रयास है कि सभी किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ें, ताकि रसायनों के दुष्प्रभाव से बचा जा सके।

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गाय के गोबर-गोमूत्र से बनी खाद एवं कीटनाशक

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किसान 150 बीघे जमीन पर उसके गोबर और गोमूत्र से जीवामृत, घनजीवामृत, अस्त्र आदि घटक तैयार कर खाद और कीटनाशक बनाकर खेती कर सकते हैं।
इसके लिए विभाग की ओर से देसी गाय खरीदने के लिए अनुदान भी दिया जाता है.

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सितारा पोर्टल पर 3104 किसानों का पंजीकरण

किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिले, इसके लिए पूर्णतया प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों का सितारा पोर्टल पर पंजीकरण किया जा रहा है।
जिले में अब तक 3104 किसानों का इस पोर्टल पर पंजीकरण हो चुका है।
पंजीकरण के बाद किसानों को प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।

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कृषि विभाग बिलासपुर के उपनिदेशक डाॅ. विनय कुमार सोनी के मुताबिक प्राकृतिक खेती से पशुपालन को बढ़ावा मिल रहा है
प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को गोमूत्र की आवश्यकता होती है। इसलिए उन्हें देशी नस्ल की गायें पालनी पड़ती हैं.

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यही कारण है कि जितना अधिक प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जायेगा, उतना ही अधिक पशुपालन को बढ़ावा मिलेगा।

आत्मा परियोजना के तहत किसानों को गाय खरीदने के लिए अनुदान भी प्रदान किया जाता है।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे भारतीय नस्ल की गाय को अधिक प्रोत्साहन मिल रहा है।
विभाग के पास अब रासायनिक खाद की खेप कम आ रही है।
इसका मुख्य कारण यह है कि जिले में कई किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं।
प्राकृतिक खेती स्वस्थ जीवन के लिए उपयुक्त है।

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