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गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए अपनाएं ये उपाय, उत्पादन होगा बेहतर

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किसान भाई फसल कोई भी हो, अच्छा मुनाफा कमाने और उत्पादन के लिए पहले से योजना बनाकर उसमें सिस्टम का अहम योगदान रहता है गेहूं की अच्छी पैदावार के उपायों में खेत की तैयारी, बीज का चयन, जैविक खाद, समय पर जुताई, सिंचाई, खाद, कीट नियंत्रण, फसल को पकाना आदि के अलावा फसल को अच्छे बाजार तक पहुंचाना शामिल है।

गेहूँ की अच्छी उपज के उपाय

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गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए आपको अपने क्षेत्र की जलवायु परिस्थितियों के अनुसार गेहूं की अच्छी उन्नत किस्मों के बीज बोने चाहिए

हर साल एक ही खेत में एक ही फसल न बोएं, फसल चक्र अपनाएं

खेत की तैयारी से पहले मिट्टी की जांच करा लें, फिर जुताई के समय आवश्यक कारकों की कमियों को दूर कर लें

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बीज बोने से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करना होगा, खेत को कम से कम 2-3 बार जुताई करके समतल कर लेना चाहिए.

गेहूं की बुआई समय पर करें और आपको गेहूं की बुआई सीडड्रिल कृषि यंत्र से करनी होगी

ध्यान दें बुआई के समय मिट्टी में नमी सामान्य होनी चाहिए, नमी की दर कम या ज्यादा नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इस स्थिति में बीज का पूर्ण अंकुरण नहीं हो पाता है।

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उपचारित बीजों का उपयोग बुआई में करना चाहिए, घरेलू बीजों को बीजोपचार करके बोना चाहिए, इससे शत प्रतिशत बीज अंकुरित होंगे।

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कम तापमान अर्थात बुआई के समय क्षेत्र में तेज धूप में बुआई न करें

गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए समय-समय पर सिंचाई की आवश्यकता होती है

फसल में हर 15 दिन में खेत से अनावश्यक खरपतवार निकालें और फसल में रोग व कीटों की जांच करें

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गेहूं की फसल में कीट एवं रोगों का नियंत्रण समय रहते करना चाहिए

गेहूं की फसल में अधिक उपज के लिए आप रासायनिक खाद/उर्वरकों का प्रयोग 2 से 3 बार भी कर सकते हैं

गेहूं में पहली सिंचाई मिट्टी पर निर्भर करती है, हल्की मिट्टी में 20 दिन बाद तथा भारी अंधेरी मिट्टी में बुआई के 25 दिन के बीच सिंचाई करनी चाहिए।

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फूल/फल लगने तथा फसल पकने के समय सिंचाई नहीं करनी चाहिए

गेहूं की फसल में अंतिम पानी/सिंचाई दाना/दूध भरते समय देना चाहिए

गेहूं की पैदावार पर प्रभाव डालने वाले कारक

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किसान भाइयों गेहूं की अच्छी पैदावार को प्रभावित करने वाले कई कारक हो सकते हैं, जैसे खेत की मिट्टी, मौसम-जलवायु, बुआई का समय, बुआई की विधि, बीज की किस्म/प्रकार, जैविक एवं रासायनिक उर्वरकों की मात्रा, सिंचाई का समय और कुल कितनी सिंचाई, खरपतवार प्रबंधन , कीट और बीमारी की रोकथाम, जल्दी/देर से कटाई का समय आदि गेहूं की उपज क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं

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अगर आप गेहूं की अच्छी पैदावार चाहते हैं तो आपको सबसे पहले खेत की मिट्टी की जांच कर उसका उचित उपचार करना होगा और अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार बीज का चयन करना होगा।

फसल की समय पर सिंचाई एवं खरपतवार प्रबंधन के साथ-साथ समय-समय पर खाद-उर्वरक का भी ध्यान रखना चाहिए

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गेहूं की खेती में उर्वरक की मात्रा कितनी होनी चाहिए?

मृदा परीक्षण जांच के अनुसार सर्वोत्तम तरीके से खाद-उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए सामान्य परिस्थितियों में गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए आप 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम पोटाश और 60 किलोग्राम फास्फोरस/हेक्टेयर की दर से डाल सकते हैं।

गेहूं की फसल की जैविक विधि में दूसरी बुआई के समय 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी हुई खाद का उपयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है।

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गेहूं की खराब फसल के कारण?

गेहूं की फसल खराब होने के कई कारण हैं जैसे- अत्यधिक धूप, अत्यधिक ठंढ/सर्दियों का मौसम, फसल पकने के दिनों में अत्यधिक वर्षा, अत्यधिक हवा/तूफान, रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग, गेहूं में कीट और रोग गेहूं की फसल खराब होने का कारण बनते हैं।

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गेहूं की खेती में उर्वरक प्रबंधन कैसा होना चाहिए?

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गेहूं की फसल में मुख्य रूप से सिंचाई एवं मिट्टी में आवश्यक उर्वरकों का प्रबंधन करना आवश्यक माना गया है

खेत की तैयारी के समय पकी हुई गोबर की खाद, केंचुआ खाद की खाद, तालाब के तल की ऊपरी परत आदि का प्रयोग जैविक खादों में सर्वोत्तम माना गया है। किसान रासायनिक उर्वरकों की मदद से मिट्टी की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं

गेहूं में यूरिया कितनी बार डालना चाहिए?

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गेहूं की अच्छी पैदावार पाने के लिए खेत में यूरिया डालना आम बात हो गई है। सिंचाई के बाद खड़ी फसल पर 100 लीटर पानी में 2 किलो यूरिया के साथ आधा किलो जिंक का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। यूरिया का उपयोग गेहूं की फसल के पूरे समय में 2 बार किया जा सकता है, जिसे 40-45 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव किया जा सकता है।

गेहूं की अच्छी पैदावार के उपाय – शीर्ष गेहूं के बीज?

आज कई प्रकार के शीर्ष गेहूं के बीज आ गए हैं, जो अलग-अलग क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी में अपनी बेहतर उपज देने के लिए तैयार हैं –

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