Wheat Crop: गेहूं की फसल में जिंक की कमी के कारण अक्सर किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। हरियाणा कृषि विभाग ने गेहूं की फसल में जिंक की कमी के लक्षण एवं उपचार पर कृषि सलाह जारी की है। जिससे किसान समय रहते इस पर नियंत्रण कर अच्छी पैदावार प्राप्त कर सके।
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रबी सीजन के दौरान देश के किसान अपने खेतों में मुख्य रूप से गेहूं उगाते हैं। गेहूं की फसल से अधिक उपज पाने के लिए किसान कई तरह के उपाय करते हैं। ताकि गेहूं की फसल अच्छे से विकसित हो सके। हालाँकि, अक्सर देखा गया है कि गेहूं की फसल में जिंक होने से इसकी पैदावार कम हो जाती है, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है। इसी संदर्भ में आज हम आपके लिए गेहूं की फसल में जिंक की कमी के लक्षण और इसके उपचार की जानकारी लेकर आए हैं।
Wheat Crop: गेहूं की फसल में जिंक की कमी के लक्षण
पत्तियों का पीला पड़ना: गेहूं की फसल में जिंक की कमी से फसल की पत्तियां पीली हो जाती हैं, जिससे फसल का सामान्य हरा रंग पीला हो जाता है। पत्तियाँ सूखना: जिंक की कमी के कारण पत्तियाँ सूखने लगती हैं, जिससे पौधे ठीक से प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पाते, जिससे उत्पादन कम हो जाता है। बीज की शक्ति में कमी: जिंक की कमी से बीज की शक्ति में कमी आती है। इससे अच्छी गुणवत्ता वाली फसलों के विकास में भी दिक्कतें आती हैं।
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किसानों को 200 लीटर पानी में 1 किलोग्राम जिंक सल्फेट (21 प्रतिशत) तथा 1/2 किलोग्राम चूना (बुझा हुआ) मिलाकर मलमल के कपड़े से छानकर प्रति एकड़ गेहूं की फसल में छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से किसान को गेहूं की पैदावार में अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।