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What is Mawatha: देश के अधिकांश जगहों पर बरस रहा मावठा, जिससे फसलों को हो रहा फायदा

 
What is Mawatha: देश के अधिकांश जगहों पर बरस रहा मावठा, जिससे फसलों को हो रहा फायदा
What is Mawatha:  देश के अलग-अलग राज्यों में लगातार बदल रहा मौसम कई फसलों के लिए अनुकूल है। गिरती मावठा और गिरते तापमान से जहां गेहूं को काफी फायदा होगा। इस बीच बादलों से दलहनी फसलों पर असर पड़ने की आशंका है। यहां मावठा का मतलब ठंड के दिनों में हल्की बारिश या बारिश की बौछार से है जिससे रबी की फसलों को फायदा होता है। इससे फसलों को सिंचाई का पानी तो मिलता ही है, साथ ही पाले से भी बचाव होता है। मावथा अधिकांश फसलों के लिए उपयोगी है। Also Read: Milk Subsidy: दूध बेचने वाले किसानों को सरकार का बड़ा तोहफा, प्रति लीटर 5 रुपये की सब्सिडी देगी सरकार
What is Mawatha:  सीजन की पहली बारिश
देश के कई हिस्सों में इस सीजन की पहली बारिश हुई है, जो गेहूं की फसल के लिए अमृत के समान है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक बारिश के साथ-साथ तापमान में भारी गिरावट गेहूं के लिए अच्छी साबित हो रही है। गन्ने के साथ-साथ दलहन के लिए भी मौसम अच्छा है। मावठे फसलों को प्राकृतिक नाइट्रोजन भी प्रदान करता है और किसानों को उर्वरक की लागत बचाता है।
सर्दी की बरसात यानी की मावठ का दौर फसलों के लिए अमृत है
What is Mawatha:  गेहूं के लिए तापमान बेहतर है
इस बार किसानों के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि मौजूदा मौसम गेहूं की फसल के लिए बिल्कुल बेहतर है। देश में गेहूं का क्षेत्रफल सबसे ज्यादा है, ऐसे में किसानों के लिए यह राहत भरी खबर है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं की वृद्धि के लिए सबसे अच्छा तापमान 5-6 डिग्री सेल्सियस से 10-12 डिग्री सेल्सियस है।
What is Mawatha: न्यूनतम तापमान 11-12 डिग्री सेल्सियस
पिछले तीन-चार दिनों से कई राज्यों में न्यूनतम तापमान 11-12 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है. जबकि अधिकतम तापमान में भी काफी गिरावट आयी है. ऐसे में गर्मी का प्रकोप कम हो गया है और इसका सीधा फायदा गेहूं के अच्छे उत्पादन के रूप में मिलेगा.
What is Mawatha:  मावठा नाइट्रोजन प्रदान करता है
देश के ज्यादातर हिस्सों में भारी बारिश हो रही है. कई हिस्सों में सिर्फ तेज बूंदाबांदी हुई लेकिन फिर भी आसमान से बरस रहा पानी फसलों के लिए अमृत साबित हो रहा है. वर्षा की बूंदें फसलों को प्राकृतिक नाइट्रोजन भी प्रदान करती हैं। यह नाइट्रोजन फसलों के लिए प्राकृतिक उर्वरक के रूप में कार्य करता है। विशेषकर गेहूँ की वृद्धि अच्छी है। मावठा गिरने से फसलों में यूरिया डालने की जरूरत नहीं है। मावठा की बात करें तो रबी की बुआई के बाद कड़ाके की ठंड के दौरान होने वाली हल्की बारिश को मावठा कहा जाता है. यह गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद है। Also Read: Weather Updates: देश के कई राज्यों में जारी रहेगा कोहरे ओर शीतलहर का प्रकोप, इन राज्यों में भारी बारिश का अनुमान
फसलों के लिए अमृत है मावठ की बूंदें - Mawth drops are nectar for crops
What is Mawatha:  उर्वरक की लागत बच गई
गेहूं गिरने से गेहूं की फसल में बढ़ोतरी होगी। साथ ही चना, मसूर, गन्ना की फसल को फायदा होगा। गिरते पानी से फसलों की सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती। इससे किसानों का बिजली बिल और उर्वरक लागत बच जाती है। मौसम विभाग के मुताबिक, करीब तीन दिनों तक बादल और बारिश का मौसम जारी रहेगा. कृषि विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार करीब 07 दिनों तक बादल छाये रहने और बारिश होने की संभावना है.