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500 एकड़ में फैला है आम का बाग, मंजर आते ही लगती हैं बोली, और कहीं नहीं मिलेगी इतनी वैरायटी।

बिहार में बांका जिले के किसान इन दिनों बागवानी पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. यही वजह है कि बांका के लोगों को अब भागलपुर पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है. यहां आम की अधिकांश वैरायटी आपको खाने के लिए मिल जाएगी.
 
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The mango orchard is spread over 500 acres, the moment you see it, you start saying, you will not find this much variety anywhere else.

AAPNI AGRI:  बिहार में बांका जिले के किसान इन दिनों बागवानी पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. यही वजह है कि बांका के लोगों को अब भागलपुर पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है. यहां आम की अधिकांश वैरायटी आपको खाने के लिए मिल जाएगी. बांका के कई ऐसे गांव हैं जहां आपको आम के बड़े-बड़े बागान देखने को मिल जाएंगे. उन्हीं में से एक गांव बांका जिला के अमरपुर प्रखंड स्थित महोता गांव है. इसे मैंगो ऑर्चर्ड विलेज ऑफ बांका कहा जाए तो कोई अचरज वाली बात नहीं है.

इस गांव के 500 एकड़ में आपको सिर्फ आम का बगीचा ही देखने को मिलेगा. इन आम के बगीचों में दर्जनों वैरायटी के आम मिल जाते हैं. यहां से आम की सप्लाई बिहार, सहित झारखंड और बंगाल में होती है. यहां के किसान आम की बागवानी से लाखों की कमाई कर रहे हैं.

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किसान मृत्युंजय शर्मा बताते हैं कि जमींदारी के समय से ही इस गांव में आम की बागवानी की जाती रही है. साल-दर-साल आम की बागवानी का रकबा बढ़ता ही जा रही है. हर साल अलग-अलग वैरायटी के सैकड़ों आम के पौधे लगाने का सिलसिला जारी है. यहां के किसान आम की बागवानी के साथ सिर्फ मौसमी फसल की खेती करते हैं. इससे गांव के किसानों को दोहरी कमाई हो जाती है.

महोता गांव में इतने आम के पेड़ हैं कि लोगों ने इस गांव को आम का गांव कहना शुरू कर दिया है. इस गांव के आम की क्वालिटी बेहतर रहती है, इसलिए डिमांड भी जबरदस्त है. किसान मृत्युंजय शर्मा ने बताया कि यहां के हर बगीचे में आपको मालदा, फैजली, आम्रपाली, सुकुल, मुंबईया, जर्दालु, चौसा, भारत भोग, गुलाब खास सहित अन्य आम की वैरायटी मिल जाएगी. वहीं, यहां आपको नवरात्रि के दौरान भी आम मिल जाएगा.

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इतनी बड़ी मात्रा में होता है उत्पादन
किसान शम्भू शर्मा बताते हैं कि पूर्वजों से आम की बागवानी की परंपरा चली आ रही है. उसी परंपरा को वर्तमान पीड़ी भी आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. यही वजह है कि इस गांव में ज्यादातर किसान आम की बागवानी लगाने में ही रूचि लेते हैं. जैसे ही आम के पेड़ में मंजर आना शुरू होता है, वैसे ही तमाम बगीचों की कीमत लगने लगती है. व्यापारी बेहतर कीमत देकर किसानों से बगीचा लीज पर ले लेते हैं. यदि मौसम की मार ना पड़े तो किसान के साथ-साथ व्यापारी को भी अच्छी-खासी बचत हो जाती है. उन्होंने बताया कि यहां के आमों की क्वालिटी भी है अलग है.

बलुआई मिट्टी होने की वजह से आम का पौधा आसानी से लग जाता है. यहां के आमों की खासियत यह है कि चमड़ी काफी पतली होती है. इसे लोग बेहद चाव से खाते हैं. आम के सीजन में यहां से कोलकाता, मुजफ्फरपुर, पटना, गोड्डा, देवघर जैसे बड़े शहरों में भारी मात्रा में सप्लाई होती है. यहां से रोजाना 8 से 10 ट्रक आम सीजन में निकलता है. इसी की कमाई से यहां कि किसानों का गुजारा आराम से चल जाता है.