Cotton Farming: कपास एक व्यापारिक एवं नकदी फसल है, जिसमें भारत नंबर एक उत्पादक है। इसे सफ़ेद सोना भी कहा जाता है क्योंकि इसकी खेती करने वाले अच्छा पैसा कमाते हैं। भारत लगभग 3.6 करोड़ गांठ कपास का उत्पादन करता है, जो विश्व के कपास उत्पादन का लगभग 24 प्रतिशत है। इसकी खेती के लिए काली उपजाऊ मिट्टी लाभकारी सिद्ध होती है। लेकिन उर्वरक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि पर्याप्त उर्वरकों का प्रयोग नहीं किया गया तो अच्छी उपज नहीं होगी। भारत में इसकी खेती महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में की जाती है। किसान इन्हें उगाने और कीटों से बचाने के लिए बड़ी मात्रा में उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग करते हैं।
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Cotton Farming: कौन सा उर्वरक अच्छा
अब सवाल यह है कि कपास के लिए कौन सा उर्वरक अच्छा है? विशेषज्ञों का कहना है कि पौधों की मांग और मिट्टी में कम उपलब्धता के कारण कपास की खेती में नाइट्रोजन (यूरिया) सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उर्वरक है। कपास की फसल में फूल आने की अवस्था के दौरान हर 15 दिन में 2 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से पोटेशियम नाइट्रेट (एनपीके 13:0:45) को 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
Cotton Farming: कपास के लिए कौन सी मिट्टी बेहतर है
कपास की खेती के लिए काली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है क्योंकि काली मिट्टी में नमी अधिक समय तक बरकरार रहती है और इसमें प्रचुर मात्रा में ह्यूमस होता है।
Cotton Farming: कपास में सबसे पहले किसका छिड़काव करना चाहिए
कपास की फसल पर सफेद मक्खी के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए सबसे पहले नीम आधारित कीटनाशक जैसे आनंद नीम तेल 300 मिलीलीटर को 150-200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
Cotton Farming: यूरिया उर्वरक कितने समय तक काम करता है
दानेदार यूरिया की नाइट्रोजन केवल एक सप्ताह तक ही उपयोगी होती है।
कपास के लिए कौन सा उर्वरक अच्छा है
पौधों की अधिक मांग और मिट्टी में कम उपलब्धता के कारण कपास की खेती में नाइट्रोजन (यूरिया) सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला उर्वरक है।
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Cotton Farming: कपास में कौन सा उर्वरक डालना चाहिए
कपास की फसल में फूल आने की अवस्था के दौरान हर 15 दिन में 2 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से पोटेशियम नाइट्रेट (एनपीके 13:0:45) को 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।