धान की रोपाई के झंझट को कहें God-बाय, इस प्रकार करें सीधी बुवाई! कम पानी में होगा डबल उत्पादन
धान की परंपरागत खेती, जिसमें पानी की खपत अधिक होती है। लेकिन अब वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को धान की सीधी बुआई करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। धान की सीधी बुआई से किसानों को आर्थिक लाभ भी होता है। इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए कई फायदे हैं। कई राज्य सरकारें धान की सीधी बुआई के लिए किसानों को सब्सिडी भी दे रही हैं। धान की सीधी बुआई करने से किसानों को अधिक उत्पादन भी मिलता है। कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के प्रभारी डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि अभी तक किसान परंपरागत तरीके से धान की खेती करते आ रहे हैं।
जिसमें पानी की खपत अधिक होती है। धान की रोपाई में मजदूरी का खर्च करीब 5 हजार रुपये आता है। लेकिन वैज्ञानिक तरीके से की गई धान की सीधी बुआई से 30% से 35% पानी की बचत होती है। साथ ही परंपरागत तरीके से की गई खेती की तुलना में ग्रीन गैस उत्सर्जन में भी 30% से 35% की गिरावट आती है। जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है। वहीं सीधी बुआई से किसानों को करीब 5 कुंतल अधिक उपज मिलती है, ऐसे में किसानों के लिए यह करीब 10 हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी हो जाती है। धान की सीधी बुआई मानसून से पहले 10 जून तक की जाती है।
ऐसे करें खेत की तैयारी
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि धान की सीधी बुआई के लिए गेहूं की कटाई के बाद खेत की अच्छी तरह जुताई कर उसे समतल कर लें। इसके बाद खेत में पानी छोड़ दें और सिंचाई करें। पर्याप्त नमी होने पर खेत की दोबारा जुताई कर उसे तैयार कर लें। खेत तैयार होने के बाद डीएसआर मशीन (डायरेक्ट सीडेड राइस) से धान की बुआई की जाती है। सीधी बुआई में प्रति एकड़ 8 से 10 किलो बीज लगता है। ध्यान रहे कि लाइन से लाइन की दूरी 9 इंच और गहराई 1.5 से 2 इंच होनी चाहिए। सीधी बुआई के लिए ट्रैक्टर वाले दो मजदूर एक दिन में 5 से 7 एकड़ धान की बुआई कर सकते हैं।
खरपतवार प्रबंधन बेहतर तरीके से करें
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि धान की सीधी बुआई के बाद जैसे ही खेत में पानी भर जाता है। उसके बाद धान के पौधों के साथ कई तरह के खरपतवार भी उग आते हैं। जो हमारी फसल के लिए नुकसानदायक होते हैं। ऐसे में सीधी बुआई के दौरान पहले से खरपतवार प्रबंधन करना बहुत जरूरी है। सीधी बुआई के तुरंत बाद 200 लीटर पानी में घोल बनाकर 1200 से 1500 मिली प्रति एकड़ की दर से पेंडीमेथालिन दवा का छिड़काव करें। जिससे खेत में खरपतवार नहीं उगेंगे।
गीली विधि से करें सीधी बुआई
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि अगर आपके पास डीएसआर मशीन उपलब्ध नहीं है तो आप गीली विधि से भी धान की सीधी बुआई कर सकते हैं। खेत की जुताई और समतलीकरण करने के बाद उसमें पानी भरकर धान के बीज छिड़कें। पहला पानी 20 से 22 दिन बाद डालें। उसके बाद खरपतवार नियंत्रण के लिए 80 से 100 मिली नोमिनी गोल्ड प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। जिससे धान की फसल में उग रहे खरपतवार नष्ट हो जाएंगे।
सीधी बुआई से पहले करें ये उपचार
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि धान की सीधी बुआई करते समय अच्छी किस्मों का चयन करना बहुत जरूरी है। किसानों को ध्यान रखना चाहिए कि वे प्रमाणित बीज ही बोएं। जिससे उन्हें अच्छा उत्पादन मिल सके। डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि बीज उपचार भी बहुत जरूरी है। किसान 10 लीटर पानी में 8 किलो बीज डालें और 1 किलो पिसा हुआ नमक डालें। इसके बाद हल्के बीज तैरकर ऊपर आ जाएंगे, जिन्हें अलग कर देना चाहिए। धान के बीजों को 2 से 3 बार ताजे पानी में धो लें। बीजों को साफ करने के बाद उन्हें फिर से पानी में भिगो दें। भरे हुए पानी में 20 ग्राम कार्बेन्डाजिम और 2 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन डालकर 24 घंटे के लिए रख दें। बाद में बीजों को निकालकर छाया में सूखने के लिए रख दें। बीज सूख जाने के बाद आप उन्हें खेत में बो सकते हैं।

