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यूपी में अब बंजर जमीन पर अंजीर की खेती करेंगे किसान, सरकार ऐसे करेगी मदद

 
यूपी में अब बंजर जमीन पर अंजीर की खेती करेंगे किसान, सरकार ऐसे करेगी मदद
Aapni Agri, Farming उत्तर प्रदेश में 10 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन बंजर हो चूकी है. इन जमीनों पर किसान बहुत कम खेती करते हैं. क्योंकि बहुत मेहनत करने के बाद भी ऐसी जमीनों पर फसल उगाकर किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पाते हैं. खास बात ये है कि सबसे अधिक बंजर और ऊसर जमीन बुंदेलखंड और विंध्य रेंज में है. लेकिन अब बुंदेलखंड और विंध्य रेंज के किसानों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. अब उनकी ऊसर जमीनें भी ‘सोना’ उगलेंगी. इसके लिए केंद्र सरकार ने बंजर जमीन पर बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के लिए बहुत ही बड़ा मिशन शुरू कर दिया है. दरअसर, केंद्र सरकार पूरे देश में बागवानी क्षेत्र का विस्तार करने के लिए राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजनाओे को लागू कर रही है. इस योजना के तहत किसानों को क्षेत्रीय जलवायु और मौसम के हिसाब से र्साथ में फ्रूट्स की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. इसके तहत किसानों को 50 प्रतिशत या उससे भी अधिक सब्सिडी भी दी जाती है. कई राज्यों में किसानों ने इस योजना का भरपूर लाभ भी उठाया है. अब बुंदेलखंड और विंध्य रेंज के किसानों की बारी आ चूकी है. Also Read: बड़े काम का होता है गुग्गुल का पौधा, यहां से विदेशों में भी होता है इसका निर्यात
इन फ्रूट्स की करेंगे खेती
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि बुंदेलखंड और विंध्य रेंज के किसानों और आदिवासी समुदाय के लोग चिरौंजी की खेती से अपनी किस्मत बदल देंगी. साथ ही बुंदेलखंड के इन 7 जिलों में अंजीर, ड्रैगन फ्रूट, आंवला और नींबू की खेती पर फोकस भी किया जाएगा. इन जिलों में किसानों को इन फ्रूट्स की खेती करने पर बंपर सब्सिडी दी जाएगी. उत्तर प्रदेश सरकार का यह मानना है कि अंजीर, ड्रैगन फ्रूट, आंवला और नींबू की खेती से किसानों की इनकम 4 गुनी बढ़ोतरी हो जाएगी.
बुंदेलखंड का मौसम और मिट्टी बागवानी फसलों के अनुकूल है
वहीं, कृषि वैज्ञानिकों का यह मानना है कि बुंदेलखंड इलाके में मौसम और मिट्टी बागवानी फसलों की खेती के अनुकूल है. यही कारण है कि योगी सरकार बागवानी मिशन के तहत फ्रूट्स की खेती पर ज्यादा फोकस भी कर रही है. खास बात ये है कि चित्रकूट के जंगली इलाकों में चिरौंजी की खेती शुरू भी हो गई है. अब व्यावसायिक तरीकों से किसानों को जोड़ने का उपयोग किया जा रहा है.
50 किलो तक ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन हो सकेगा
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बेर, चिरौंजी, बेल, आंवला और महुआ ड्राई श्रेणी में आते हैं. यानी कि इन फसलों को बहुत ही कम सिंचाई की जरूरत भी पड़ती है. वहीं, शोध में ये भी पता चलता है कि बुंदेलखंड का मौसम ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए काफी अनुकूल होता है. यहां के किसान 1 हेक्टेयर में ड्रैगन फ्रूट के 550 से अधिक पौधे भी लगा सकते हैं. हर पौधे से 50 किलो तक ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन हो सकता है. इस तरह किसान ड्रैगन सहित इन फ्रूट्स की खेती कर लाखों रुपये की कमाई भी कर सकते हैं.