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क्या है पाकिस्तान का गेहूं घोटाला जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया, क्यों हड़ताल पर गए किसान?

भारत के अलावा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के हज़ारों किसान इस समय विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. ये किसान सरकार के गेहूं न खरीदने के फ़ैसले से नाराज़ हैं और इस वजह से कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इस विरोध प्रदर्शन की वजह से इन किसानों को आय में भारी नुकसान हो रहा है. पंजाब पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है और इसे 'अन्न की टोकरी' भी कहा जाता है.
 

भारत के अलावा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के हज़ारों किसान इस समय विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. ये किसान सरकार के गेहूं न खरीदने के फ़ैसले से नाराज़ हैं और इस वजह से कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इस विरोध प्रदर्शन की वजह से इन किसानों को आय में भारी नुकसान हो रहा है. पंजाब पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है और इसे 'अन्न की टोकरी' भी कहा जाता है.

पंजाब के किसानों की मांग है कि सरकार गेहूं का आयात बंद करे. आयात की वजह से बाज़ार में गेहूं की बाढ़ आ गई है. किसानों को इस समय गेहूं की बंपर फसल की उम्मीद है. सोमवार को लाहौर में हुए विरोध प्रदर्शन में पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज किया, जिसकी वजह से यह विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया. विरोध प्रदर्शन के बाद दर्जनों लोगों को गिरफ़्तार किया गया.

क्यों नाराज़ हैं किसान

पिछले साल की दूसरी छमाही और इस साल के पहले तीन महीनों में गेहूं के आयात को लेकर किसान नाराज़ हैं. इसकी वजह से बाज़ार में गेहूं की अधिकता हो गई और कीमतें गिर गईं. भारत की तरह पाकिस्तान में भी खेती आय का सबसे अहम क्षेत्र है. यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब 23 प्रतिशत का योगदान देता है. कुल आय में गेहूं का हिस्सा दो प्रतिशत है। वर्ष 2022 में पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़ आई थी, जिसके बाद गेहूं की खेती प्रभावित हुई थी। इसके कारण वर्ष 2023 की शुरुआत में गेहूं की कमी हो गई थी।

पिछले साल सबसे बड़ा संकट पाकिस्तान में हर साल करीब 30 मिलियन टन गेहूं की खपत होती है। जबकि वर्ष 2022 में सिर्फ 26.2 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ। इससे कीमतें बढ़ गईं और इसका नतीजा यह हुआ कि लोग गेहूं खरीदने के लिए शहरों में लंबी-लंबी कतारों में लगने लगे। यहां तक ​​कि गेहूं तक पहुंचने की कोशिश में लोगों के भीड़ में कुचल जाने की घटनाएं भी हुई हैं। उस समय सरकार पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) की थी। सरकार ने अपना कार्यकाल खत्म होने से ठीक एक महीने पहले जुलाई 2023 में निजी क्षेत्र को गेहूं आयात करने की अनुमति देने का फैसला किया। क्या कहते हैं आंकड़े

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राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं अनुसंधान मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2023 से मार्च 2024 के बीच, अंतरराष्ट्रीय बाजार से पाकिस्तान में 35 लाख टन से अधिक गेहूं का आयात किया गया, जिसकी कीमतें यहां काफी कम हैं। इस अधिकता के परिणामस्वरूप, इस वर्ष अप्रैल की शुरुआत में, जब पाकिस्तानी किसानों ने अपने गेहूं की कटाई शुरू की, तो देश के राष्ट्रीय और प्रांतीय खाद्य भंडारण विभागों के पास 43 लाख टन से अधिक गेहूं का भंडार था।

क्या कहते हैं किसान

सरकार ने घोषणा की है कि वह पाकिस्तानी किसानों से केवल दो लाख टन गेहूं खरीदेगी। किसानों के संगठन पाकिस्तान किसान इत्तेहाद (पीकेआई) के अध्यक्ष और पंजाब के मुल्तान शहर के किसान खालिद महमूद खोखर ने कहा कि बंपर फसल के साथ, इस साल लगभग 32 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं पैदा होने की उम्मीद है। लेकिन सरकार का खजाना पहले से ही गेहूं से भरा हुआ है। हम अपनी फसल का 50 प्रतिशत से अधिक नहीं बेच पाएंगे। इससे करीब 380 अरब रुपये या 1.4 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।

उत्पादन लागत में वृद्धि

देश के विशेषज्ञों के अनुसार, हर साल घरेलू गेहूं की सरकारी खरीद से यह तय होता है कि किसानों का बचा हुआ गेहूं बाजार में आटा मिलों और अन्य को किस कीमत पर बेचा जाएगा। पंजाब के खानेवाल में 4.8 हेक्टेयर (12 एकड़) जमीन के मालिक गेहूं और कपास के किसान इश्फाक जाट ने कहा कि गेहूं उगाने के लिए खाद, पानी और अन्य जरूरतों की ऊंची कीमतों के कारण गेहूं की उत्पादन लागत तेजी से बढ़ी है। किसान घाटे में हैं

किसानों का कहना है कि उन्हें भी बिचौलियों को बहुत कम दरों पर गेहूं बेचना पड़ता है, जिससे उन्हें नुकसान होता है। उनके अनुसार, अगर वे अपनी फसल से कमाई नहीं कर पाएंगे, तो वे अपनी अगली फसल कैसे बोएंगे। कई किसानों को लगता है कि वे अब सरकार पर भरोसा नहीं कर सकते, इसलिए वे भविष्य में गेहूं की बुवाई से बचना चुन सकते हैं। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने गेहूं संकट की जांच के आदेश दिए हैं।

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