Dharwadi Buffalo: देश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अलावा, उन्हें विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गाय और भैंस खरीदने के लिए सब्सिडी का लाभ भी प्रदान किया जाता है ताकि वे सर्वोत्तम नस्ल की गाय या भैंस का पालन करके बेहतर पैसा कमा सकें। अगर आप भी पशुपालन से मुनाफा कमाना चाहते हैं तो आपको ऐसी अच्छी नस्ल की गाय या भैंस का चयन करना चाहिए जो अधिक दूध देती हो और रख-रखाव के खर्च में किफायती हो। गाय और भैंस की कई नस्लें हैं जो अधिक दूध देती हैं। साथ ही इनके रखरखाव का खर्च भी कम आता है.
Also Read: Pashudhan Bima Yojana: शुरू हुई पशुधन बीमा योजना, यहां करें जल्दी आवेदन आज हम आपको Aapni News के माध्यम से भैंस की एक ऐसी नस्ल के बारे में जानकारी दे रहे हैं जो 1500 लीटर दूध देती है और इसके रखरखाव का खर्च भी बहुत कम है, तो आइए जानते हैं भैंस की इस नस्ल के बारे में पूरी जानकारी।
Dharwadi Buffalo
यह भैंस की कौन सी नस्ल है?
Dharwadi Buffalo: भैंस की कई नस्लें हैं जो अच्छा दूध उत्पादन देती हैं। इन्हीं नस्लों में से एक है धारवाड़ी भैंस जो कम लागत में ज्यादा दूध देती है। दरअसल, यह भैंस एक ब्यांत में औसतन 972 लीटर दूध देती है। लेकिन, अगर इसकी अच्छे से देखभाल की जाए तो इससे 1500 लीटर तक दूध प्राप्त किया जा सकता है। यह भैंस मध्यम आकार की भैंस है। इसका रंग गहरा काला है. इस भैंस को मुख्यतः दूध के लिए पाला जाता है। खास बात यह है कि इस भैंस के दूध का इस्तेमाल प्रसिद्ध धारवाड़ पेड़ा बनाने में किया जाता है जिसे जीआई टैग मिला हुआ है.
Dharwadi Buffalo की विशेषताएं क्या हैं?
Dharwadi भैंस को राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो द्वारा भी मान्यता दी गई है, जो दूध उत्पादन के मामले में अच्छा है। Dharwadi भैंस की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं
Also Read: PM Kisan Yojana: सरकार देगी हर महीने 3 हजार रूपये, आवेदन से पहले जानें नियम व शर्तें Dharwadi Buffalo की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह भैंस कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी आसानी से रह सकती है। ऐसे में यह भैंस उन इलाकों के लिए बेहद उपयुक्त है जहां बारिश कम होती है. इसका सिर सीधा और कान सीधे खड़े होते हैं। इसका थन मध्यम आकार का होता है। इसके सींग अर्धवृत्ताकार होते हैं। इस भैंस का थन मध्यम एवं बेलनाकार होता है। इसके दूध में 6.9 प्रतिशत वसा की मात्रा होती है। यह भैंस एक दिन में 3 से 8 लीटर तक दूध दे सकती है. इसके दूध का उपयोग पेड़ा बनाने में किया जाता है. इसके दूध से बने पेड़े को जीआई टैग मिल गया है. देश में धारवाड़ी भैंस सबसे अधिक कहाँ पाली जाती है? धारवाड़ी भैंस कर्नाटक में पाई जाती है। यहां बागलकोट, बेलगाम, दाहरवाड, बेल्लारी, गडग, विजयपुरा, बीदर, चित्रदुर्ग, कालाबुरागी, हावेरी, कोपल, रायचूर और यादगित जिलों में इसका पालन किया जाता है।
Dharwadi Buffalo
भैंस की अन्य प्रसिद्ध नस्लें
Dharwadi Buffalo के साथ-साथ भैंस की कई प्रसिद्ध नस्लें हैं जो अधिक दूध देने के लिए प्रसिद्ध हैं, जो इस प्रकार हैं
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मुर्रा नस्ल की भैंस अधिक दूध देने के लिए प्रसिद्ध है। इस नस्ल को अधिकतर हरियाणा और पंजाब में पाला जाता है। इसके दूध में वसा की मात्रा लगभग 7 प्रतिशत होती है। इसका दूध गाढ़ा होता है. यह भैंस प्रतिदिन 20 से 30 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है. यह भैंस एक बछड़े में 1600-1800 लीटर दूध देती है। इस नस्ल के भैंसे का औसत वजन 430 किलोग्राम होता है, जबकि इस नस्ल के बैल का औसत वजन 575 किलोग्राम होता है.
Murrah buffalo
जाफराबादी भैंस jafarabadi buffalo
जाफराबादी भैंस गिर के जंगलों में पाई जाती है। इसका प्रजनन क्षेत्र गुजरात के कच्छ और जामनगर जिले हैं। इस नस्ल की भैंस का पहले ब्यांत में दूध उत्पादन 2239 किलोग्राम है। यह नस्ल आम तौर पर आगरा, इटावा और ग्वालियर जिलों में पाली जाती है। इस नस्ल की औसत दूध उत्पादन क्षमता 1294 किलोग्राम है। इसके दूध में वसा की मात्रा 6 से 12.8 प्रतिशत तक होती है।
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सुरती भैंस की गिनती भी अधिक दूध देने वाली भैंसों में होती है। इसका दूध उत्पादन 900 से 1300 लीटर तक होता है। इसका पहला ब्यांत 40-56 माह में होता है तथा अंतिम ब्यांत अवधि 400 से 535 दिन की होती है। इसके दूध में वसा की मात्रा 8 से 12 प्रतिशत होती है। यह भैंस ज्यादातर गुजरात के कैरा और बड़ौदा जिलों में पाली जाती है।
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