{"vars":{"id": "114513:4802"}}

Wheat Crop: पछेती गेहूं में तुरंत करें ये काम, नहीं घटेगी पैदावार

 
Wheat Crop:  अभी रबी का सीजन चल रहा है। रबी में गेहूँ सबसे महत्वपूर्ण फसल है। कुछ किसानों ने समय पर तो कुछ ने देर से गेहूं की बुआई की है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि देर से बुआई करने पर फसल की पैदावार पर क्या असर पड़ेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि गेहूं की बुआई देर से की गई तो ठंड के कारण इसकी पैदावार प्रभावित हो सकती है। देरी से बुआई करने पर गेहूं की फसल पर पाले का असर बढ़ सकता है। इसे देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि किसानों को फसल को नुकसान से बचाने के लिए कुछ उपाय करने चाहिए. Also Read: wheat crop: जनवरी में गेहूं मे ब्लैक फ्रॉस्ट की पड़ सकती है मार, बचाव का है ये तरीका
Wheat Crop:  कृषि वैज्ञानिकों की सलाह
कृषि वैज्ञानिकों की सलाह है कि यदि देर से बोई गई गेहूं की फसल 21-25 दिन की हो तो पहली सिंचाई आवश्यकतानुसार करनी चाहिए तथा नाइट्रोजन की शेष मात्रा का छिड़काव 3-4 दिन बाद करना चाहिए। यदि गेहूं की फसल में दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो किसानों को क्लोरपाइरीफॉन 20 ई.सी. का प्रयोग करना चाहिए। @ 2.0 लीटर. प्रति एकड़ 20 किग्रा. रेत में मिलाकर शाम के समय खेत में छिड़काव करें तथा सिंचाई करें। इससे फसल के नुकसान की भरपाई हो सकेगी।
Wheat Crop: फसल को ठंड एवं पाले से बचाएं
देरी से बुआई करने पर सरसों की बुआई पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। देर से बोई गई सरसों की फसल में निराई-गुड़ाई एवं खरपतवार नियंत्रण की आवश्यकता होती है। वर्तमान मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सरसों की फसल में सफेद झुलसा और चेपा कीट की नियमित निगरानी करें। इससे बचाव के लिए किसानों को फसलों पर दवा का छिड़काव करने की जरूरत है। जानिए कुछ अन्य फसलों के बारे में जिन्हें ठंड, पाले और कोहरे से बचाने की जरूरत है। चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी के लिए उन खेतों में जहां 10-15 प्रतिशत पौधों में फूल आ गए हों, फेरोमोन स्प्रे प्रति एकड़ 3-4 स्प्रे की दर से करें। फसल की सुरक्षा के लिए खेत में विभिन्न स्थानों पर "टी" अक्षर के आकार के पक्षी बसेरा लगाएं।
Wheat Crop:  किसानों के लिए सलाह
गोभी की फसल में डायमंड बैक लिजर्ड, मटर में फली छेदक और टमाटर में फल छेदक कीट की निगरानी के लिए खेतों में 3-4 स्प्रे प्रति एकड़ की दर से फेरोमोन स्प्रे करें। तैयार पत्तागोभी, फूलगोभी, फूलगोभी आदि की रोपाई घास के मैदानों में की जा सकती है। इस मौसम में पालक, धनिया, मेथी की बुआई की जा सकती है। पत्ती वृद्धि के लिए 20 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर से यूरिया का छिड़काव किया जा सकता है। Also Read: Crime News: पति और जेठ को लुढ़का कर आई हूं… हाथ में पिस्टल लेकर थाने पहुंची महिला, कुर्सी छोड़ झट से खड़े हो गए पुलिसवाले
Wheat Crop:  आलू एवं टमाटर
इस मौसम में आलू एवं टमाटर में झुलसा रोग की सतत निगरानी रखें। लक्षण दिखाई देने पर कार्बोनिज्म 1.0 ग्राम/लीटर पानी या डायथेन-एम-45 2.0 ग्राम/लीटर पानी का छिड़काव करें। इस मौसम में प्याज के समय से बोई गई फसलों में थ्रिप्स संक्रमण की निगरानी करना जारी रखें। प्याज में बैंगनी फूल रोग पर नजर रखें। रोग के लक्षण पाए जाने पर डायथेन-एम-45 @ 3 ग्राम/लीटर दें। टीपोल आदि चिपकने वाले पदार्थ (1 ग्राम प्रति लीटर घोल) में पानी मिलाएं और स्प्रे करें। मटर की फलियों की संख्या बढ़ाने के लिए मटर की फसल पर 2% यूरिया के घोल का छिड़काव करें। कद्दूवर्गीय सब्जियों की अगेती फसल के पौधे तैयार करने के लिए बीजों को ग्रीनहाउस में छोटे पॉलिथीन बैग में रखें।