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केंचुआ खाद कैसे बनती है? आइएं जानतें आसान तरीका और इसके जबरदस्त फायदे

हम सभी स्कूल के दिनों से ही सुनते और पढ़ते आ रहे हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। हमारा देश कई फसलों के उत्पादन में दुनिया में नंबर वन है। खेती ने भारत को पूरी दुनिया में एक खास पहचान दिलाने के साथ ही देश की सबसे बड़ी आबादी को रोजगार भी दिया है। खेती करने वाला हर किसान हमेशा फसलों से पैदावार चाहता है लेकिन वह अनाज की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देता।
 

हम सभी स्कूल के दिनों से ही सुनते और पढ़ते आ रहे हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। हमारा देश कई फसलों के उत्पादन में दुनिया में नंबर वन है। खेती ने भारत को पूरी दुनिया में एक खास पहचान दिलाने के साथ ही देश की सबसे बड़ी आबादी को रोजगार भी दिया है। खेती करने वाला हर किसान हमेशा फसलों से पैदावार चाहता है लेकिन वह अनाज की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देता। सवाल यह है कि गुणवत्ता को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है? इसका जवाब है जैविक खेती। इसका मतलब है ऐसी खेती जिसमें रासायनिक खादों की जगह जैविक खादों का इस्तेमाल किया जाता है।

जब जैविक खाद की बात आती है तो केंचुओं से बनी वर्मीकम्पोस्ट सबके दिमाग में आती है। हम सभी ने इसके फायदों के बारे में तो खूब सुना है लेकिन ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि वर्मीकम्पोस्ट कैसे बनती है। इस खबर में हम वर्मीकम्पोस्ट बनाने की आसान विधि जानेंगे।

ऐसे बनती है वर्मीकम्पोस्ट

केंचुआ खाद जिसे केंचुआ खाद कहते हैं, बनाने की विधि बहुत आसान है। इसके लिए सबसे पहले हमें गाय-भैंस का गोबर इकट्ठा करना होगा और इस गोबर को करीब 10 दिन तक ठंडा करना होगा। आप ईंट या हरी पॉली से जमीन में एक ढांचा तैयार करें और उसमें गोबर भर दें और उसे केले के पत्तों या जूट के बोरे से ढक दें और उसमें पानी डालकर उसे अच्छे से सड़ने दें। अब आपको सड़े हुए गोबर से एक बेड तैयार करना है जिसे कब्रनामा बेड कहते हैं।

गोबर से बने इस बेड की लंबाई 30 फीट, चौड़ाई 3-4 फीट और ऊंचाई करीब डेढ़ फीट होनी चाहिए। एक बेड में करीब 15 किलो केंचुए छोड़े जाते हैं। केंचुओं को छोड़ने के बाद इस बेड को हरे तिरपाल या जूट के बोरे से ढक दें ताकि केंचुए अपना काम कर सकें।

केंचुओं के विकास के लिए ये है आहार
गोबर से बने बेड में छोड़े गए केंचुओं की प्रजनन क्षमता बढ़ती है और कुछ ही महीनों में उनकी संख्या लगभग दोगुनी हो जाती है। केंचुओं के विकास के लिए उनके भोजन पर विशेष ध्यान देना पड़ता है। वैसे तो केंचुओं का मुख्य आहार गाय का गोबर है, लेकिन एक किलो गुड़, एक किलो बेसन और एक लीटर छाछ को 20 लीटर पानी में मिलाकर क्यारी पर छिड़कने से केंचुओं की वृद्धि और विकास तेजी से होता है।

इतने दिनों में तैयार हो जाती है खाद
गाय का गोबर खाने के बाद केंचुए क्यारी में जो अपशिष्ट तैयार करते हैं, उसे वर्मीकम्पोस्ट कहते हैं। वर्मीकम्पोस्ट बिल्कुल चाय में डाली जाने वाली चाय की पत्तियों की तरह दिखता है। केंचुओं की उर्वरता भी गाय के गोबर को खाद में बदलने पर निर्भर करती है। इस प्रक्रिया को पूरा होने में करीब ढाई महीने का समय लगता है, जिसके बाद इस खाद का इस्तेमाल खेत में किया जा सकता है।

केंचुआ खाद के इस्तेमाल के फायदे

केंचुओं से बनी वर्मीकम्पोस्ट खेतों के लिए काफी उपयोगी बताई जाती है। इस खाद को बनाने में किसी भी तरह के रसायन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, जिसके बाद मिलने वाली उपज हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होती है। वर्मी कम्पोस्ट मिट्टी के प्रदूषण को कम करता है और उसकी उर्वरता बढ़ाता है। यह रासायनिक खादों के इस्तेमाल से होने वाले वायु और जल प्रदूषण को भी रोकता है।