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Artificial Intelligence: तेजी से मॉडर्न होता जा रहा खेती करने का तरीका, हो रहा नई नई तकनीक का इस्तेमाल

 
Artificial Intelligence: कृषि में नित नई तकनीकों का प्रयोग हो रहा है। वर्तमान समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) भी जोरों पर है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है। इसी कड़ी में अब कृषि के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग किया जा रहा है। दरअसल, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने भारत में किसानों की मदद के लिए कृषि क्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सिस्टम तैनात किया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने फरवरी में राज्यसभा में एक लिखित जवाब में यह खुलासा किया Also Read: Bhiwani News: बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा झटका, कटेंगे ये बिजली कनेक्शन
Artificial Intelligence: एआई के अंतर्गत अपनाए गए कुछ पहलू
किसान ई-मित्र
'किसान ई-मित्र' प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के बारे में प्रश्नों में किसानों की सहायता करने के लिए एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) संचालित चैटबॉट है। यह समाधान कई भाषाओं में सहयोग करता है और अन्य सरकारी कार्यक्रमों का समर्थन करने के लिए विकसित किया जा रहा है।
Artificial Intelligence: राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली
जलवायु परिवर्तन के कारण उपज को होने वाले नुकसान से निपटने के लिए राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली लागू की गई है। यह प्रणाली फसल की समस्याओं का पता लगाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग का उपयोग करती है, जिससे स्वस्थ फसलों के लिए समय पर सहायता मिलती है।
Artificial Intelligence: मिट्टी की नमी डेटासेट का उपयोग
चावल और गेहूं की फसल के लिए उपग्रह, मौसम और मिट्टी की नमी डेटासेट का उपयोग करके फसल स्वास्थ्य मूल्यांकन और फसल स्वास्थ्य निगरानी के लिए क्षेत्र छवियों का उपयोग करके कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित विश्लेषण। Also Read: Business Idea: सिर्फ 25,000 रुपये में शुरू करें मोबाइल से जुड़ा ये दमदार बिजनेस, हर महीने कमाएं 40 से 50 हजार रुपये
Artificial Intelligence: इससे किसानों को फायदा होगा
उत्तर प्रदेश में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की मदद से गन्ना समेत कई सब्जियों की खेती की जाएगी। इस तकनीक के उपयोग से सब्जियों और गन्ने की फसलों में कीटों के हमलों का शीघ्र पता लगाया जा सकेगा। यह आपको मौसम का पूर्वानुमान भी बताएगा। यह तकनीक सिंचाई, मिट्टी का नमूना लेने और फसल बोने समेत कई तरह से मदद करेगी। इससे किसानों को यह जानने में भी मदद मिलेगी कि मिट्टी में कितना पानी डालना है, कितना उर्वरक डालना है, किस प्रकार का उर्वरक लगाना है और कितना डालना है।