Wheat: गेहूं की ये किस्में 40 क्विंटल तक दे सकती हैं पैदावार, जानें 2025 में कौन सी किस्म रहेगी सबसे बेहतर
किसान साथियों धान और कपास की फसल के बाद किसान अब गेहूं की बुवाई के लिए तैयारियां करने लगते हैं। बाजार में गेहूं की अनेक किस्में उपलब्ध होने के कारण किसानों को यह चुनने में अक्सर मुश्किल होती है कि कौन सी किस्म उनके खेत के लिए सबसे उपयुक्त है। अक्सर जल्दबाजी में की गई गलत पसंद किसानों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए किसान भाइयों के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि वे ऐसी किस्में चुनें जो कम लागत में अधिक उत्पादन दें। आज हम कुछ ऐसी ही उन्नत गेहूं की किस्मों के बारे में चर्चा करेंगे जो किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकती हैं। इन किस्मों का चयन करते समय किसानों को अपनी मिट्टी और जलवायु की स्थिति को ध्यान में रखना चाहिए ताकि उन्हें अधिकतम उत्पादन प्राप्त हो सके।
1.करण वंदना
गेहूं की एक ऐसी किस्म के बारे में जो न केवल उत्पादन में अधिक है बल्कि बीमारियों के प्रति भी प्रतिरोधी है। इस किस्म का नाम है 'करण वंदना' जिसे DBW 187 के नाम से भी जाना जाता है। इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत आने वाले भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने विकसित किया है। करण वंदना किस्म की सबसे बड़ी खासियत इसकी उच्च उत्पादन क्षमता है। इस किस्म से एक हेक्टेयर में लगभग 95 क्विंटल तक गेहूं का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसके अलावा, यह किस्म पीले रतुआ और ब्लास्ट जैसी बीमारियों के प्रति काफी प्रतिरोधी है
2.करण श्रिया
करण श्रिया गेहूं की एक नई और बेहतर किस्म है, जिसे डीबीडब्ल्यू 252 के नाम से भी जाना जाता है। इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत आने वाले भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा विकसित किया गया था और जून 2021 में किसानों के लिए लॉन्च किया गया था। यह किस्म कम समय में तैयार होने वाली किस्मों में से एक है और मात्र 127 दिनों में तैयार हो जाती है। करण श्रिया को सिर्फ एक बार सिंचाई की आवश्यकता होती है और यह सूखे के प्रति सहनशील है। इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत इसकी उच्च उत्पादकता है। एक हेक्टेयर में इस किस्म से लगभग 55 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
3 करण नरेन्द्र
गेहूं की उन्नत किस्मों में करण नरेंद्र (DBW-222) एक प्रमुख नाम है। इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत आने वाले भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म अपनी उच्च उत्पादन क्षमता के लिए जानी जाती है और एक हेक्टेयर में औसतन 82.1 क्विंटल तक उत्पादन दे सकती है। करण नरेंद्र गेहूं की गुणवत्ता भी काफी अच्छी होती है और इसे रोटी, ब्रेड और बिस्किट बनाने के लिए आदर्श माना जाता है। इस किस्म की बुवाई अगेती की जा सकती है, हालांकि फसल तैयार होने में थोड़ा अधिक समय लेती है, जो लगभग 140-145 दिनों का होता है। यह किस्म उत्तर भारत के कई राज्यों जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और जम्मू के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
4.श्रीराम सुपर 272
एक ऐसी गेहूं की किस्म के बारे में बात करने जा रहे हैं जो अगाती और पछेती दोनों ही बुवाई के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की खास बात यह है कि यह दोनों ही स्थितियों में अच्छी पैदावार देती है। आप इस किस्म को दिसंबर महीने तक भी बो सकते हैं। यह लगभग 140 से 150 दिन में पककर तैयार हो जाता है। अगर आप इस किस्म को अगाती बोते हैं तो आपको प्रति एकड़ 40 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होगी और यदि आप इसे पछेती बोते हैं तो आपको 50 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होगी। यह किस्म हल्की, भारी या मध्यम, किसी भी प्रकार की मिट्टी में अच्छी तरह से उग सकती है। इस किस्म में रोगों का खतरा बहुत कम होता है और यह 28 से 30 क्विंटल प्रति एकड़ तक की पैदावार दे सकती है।
5.श्रीराम सुपर 303
श्रीराम सुपर 303 गेहूं की एक बेहद लोकप्रिय और उच्च उत्पादक किस्म है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे आप चाहे जल्दी बोएं या देरी से, दोनों ही स्थितियों में यह अच्छी पैदावार देती है। अगर आप जल्दी बोते हैं तो प्रति एकड़ 40 किलो और देरी से बोते हैं तो 50 किलो बीज की आवश्यकता होती है। यह किस्म मात्र 130-135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। श्रीराम सुपर 303 में रोगों का प्रकोप बहुत कम होता है। शुरुआत में एक बार दवा का छिड़काव करने से रोगों से बचा जा सकता है। इस किस्म की बालियां लंबी होती हैं और दाने मोटे और भारी होते हैं, जिससे उत्पादन बढ़ता है। यह किस्म प्रति एकड़ 27 से 30 क्विंटल तक उत्पादन देने की क्षमता रखती है।
6.W 187
W187 धान की किस्म किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है। इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत इसकी उच्च पैदावार और मजबूत पौधा है। यह किस्म परिपक्व होने में लगभग 140 से 150 दिन लेती है और इसे 4-5 सिंचाई की आवश्यकता होती है। इस किस्म के लिए 40-45 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। W187 किस्म रोग प्रतिरोधी है, जिससे किसानों को फसल को लेकर कम चिंता करनी पड़ती है। इस किस्म की बालियां बड़ी और दाने मोटे होते हैं। अनुकूल परिस्थितियों में यह किस्म 30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार दे सकती है।
7.WH 1402
विश्वविद्यालय ने गेहूं की एक नई किस्म विकसित की है जिसका नाम डब्ल्यूएच 1402 है। इस किस्म की सबसे खास बात यह है कि इसे रेतीली मिट्टी में भी आसानी इसे रेतीली मिट्टी में भी आसानी से उगाया जा सकता है और इसे पकने के लिए सिर्फ दो बार पानी देने की ही जरूरत होती है। पहली सिंचाई आपको बीज बोने के 20 से 25 दिन बाद करनी है और दूसरी सिंचाई 80 से 85 दिनों के बीच में। इस किस्म की बुवाई अक्टूबर के आखिरी सप्ताह से नवंबर के पहले सप्ताह तक की जा सकती है। बीज की मात्रा प्रति एकड़ 40 किलोग्राम लेनी चाहिए। डब्ल्यूएच 1402 की पैदावार 50 से 70 मन प्रति एकड़ तक हो सकती है।