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धान से भी महंगा है ये मोटा अनाज... इस प्रकार करें खेती! नहीं होगी ज्यादा पानी की जरूरत

बाजरा यानि मोटा अनाज जिसे श्री अन्न के नाम से जाना जाता है। मोटे अनाज की खेती प्राचीन काल से ही होती आ रही है। एक समय में यह अनाज हमारे खाने का मुख्य हिस्सा हुआ करता था। लेकिन समय बदलने के बाद मोटा अनाज हमारी थाली से गायब हो गया।
 

बाजरा यानि मोटा अनाज जिसे श्री अन्न के नाम से जाना जाता है। मोटे अनाज की खेती प्राचीन काल से ही होती आ रही है। एक समय में यह अनाज हमारे खाने का मुख्य हिस्सा हुआ करता था। लेकिन समय बदलने के बाद मोटा अनाज हमारी थाली से गायब हो गया।

मोटे अनाज में दूसरे अनाजों के मुकाबले ज्यादा पोषक तत्व होते हैं। वहीं अब सरकार भी किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इतना ही नहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें अपने खाने में मोटे अनाज को शामिल करना चाहिए।

5 मार्च 2021 को संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को 'मोटे अनाज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष' घोषित किया। भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के प्रयासों से किसानों का मोटे अनाज की खेती की ओर झुकाव बढ़ने लगा है। विशेषज्ञों के मुताबिक मोटा अनाज लोगों की सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। बाजरे की श्रेणी में आने वाला कोदो खरीफ सीजन में आसानी से उगाया जा सकता है। तो आइए कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं खरीफ सीजन में कोदो की खेती करने के तरीकों के बारे में।

ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती

कृषि के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव रखने वाले रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी शिव शंकर वर्मा (बीएससी एजी डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद) बताते हैं कि बाजरे की श्रेणी में आने वाला कोदो खरीफ सीजन की मुख्य फसल है. जो पूरी तरह से बारिश पर निर्भर है. बारिश पर आधारित इस फसल की बुवाई जुलाई के अंत तक कर देनी चाहिए. यह बेहद कम लागत में तैयार होने वाली फसल है. जिससे किसानों को अच्छी आमदनी होती है. इतना ही नहीं कोदो में अन्य अनाजों की तुलना में अधिक पोषक तत्व भी होते हैं. कोदो की बुवाई के लिए कृषि विभाग की ओर से किसानों को मिनी बीज किट भी मुफ्त में दी जाती है.

ऐसे करें खेत की तैयारी

शिव शंकर वर्मा ने बताया कि कोदो की बुवाई के लिए किसानों को सबसे पहले खेत की अच्छी तरह जुताई कर लेनी चाहिए. इसके बाद खेत को समतल करके कोदो की बुवाई कर देनी चाहिए. एक हेक्टेयर में 8 से 10 किलो बीज की जरूरत होती है. साथ ही किसानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसकी बुवाई पंक्तियों में की जाए. जिसमें पंक्तियों के बीच की दूरी 15 से 20 सेमी और पौधों के बीच की दूरी 10 सेमी होनी चाहिए। इससे पौधे की अच्छी ग्रोथ होगी।

60 से 80 दिन में तैयार हो जाती है कोदो

शिव शंकर वर्मा ने बताया कि कोदो की फसल बुवाई के 60 से 80 दिन में तैयार हो जाती है। यह फसल एक हेक्टेयर में 15 से 20 क्विंटल पैदावार देती है। उन्होंने आगे जानकारी देते हुए बताया कि कोदो बाजारों में 2400 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल आसानी से बिक जाता है। जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है। जबकि धान की एमएसपी 2300 रुपये से शुरू होती है।