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ये हैं धान की 3 किस्में जो ब्लाइट और ब्लास्ट रोग से मुक्त हैं, प्रति एकड़ 3000 रुपए तक की बचत

देश के लगभग सभी राज्यों में मानसून ने दस्तक दे दी है। इसके साथ ही खरीफ फसलों की खेती शुरू हो गई है। वहीं, कई राज्यों के किसान जुलाई की शुरुआत में ही धान की बुवाई शुरू कर देते हैं।
 

देश के लगभग सभी राज्यों में मानसून ने दस्तक दे दी है। इसके साथ ही खरीफ फसलों की खेती शुरू हो गई है। वहीं, कई राज्यों के किसान जुलाई की शुरुआत में ही धान की बुवाई शुरू कर देते हैं। ऐसे में किसान कई ऐसी किस्मों की खेती करते हैं, जो अपनी खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर हैं।

इनमें बासमती की किस्में भी शामिल हैं। बासमती चावल पर बैक्टीरियल ब्लाइट और ब्लास्ट रोग लगता है, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। इस नुकसान को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा ने तीन ऐसी किस्में विकसित की हैं, जिनमें बैक्टीरियल ब्लाइट और ब्लास्ट रोग नहीं लगता। ये बासमती की पुरानी किस्में हैं, जिनमें सुधार करके उन्हें रोग प्रतिरोधक बनाया गया है।

इससे इन रोगों के लिए कीटनाशकों पर प्रति एकड़ 3000 रुपये तक का खर्च बच जाता है। ये किस्में रोगों के प्रति प्रतिरोधक हैं, इसलिए कीटनाशकों और दवाओं का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता। इससे किसानों का खर्च बच जाता है।

तीन रोग प्रतिरोधक किस्में

1. पूसा बासमती 1847: बासमती की यह किस्म बैक्टीरियल ब्लाइट और ब्लास्ट रोग प्रतिरोधक है। यह एक जल्दी पकने वाली और अर्ध-बौनी बासमती चावल की किस्म है, जिसकी औसत उपज 57 क्विंटल (5.7 टन) प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म को 2021 में व्यावसायिक खेती के लिए जारी किया गया था।

2. पूसा बासमती 1885: यह बासमती चावल की एक लोकप्रिय किस्म है। यह जीवाणुजनित झुलसा और ब्लास्ट रोग प्रतिरोधी किस्म है। इसका पौधा औसत ऊंचाई का होता है और इसमें पूसा बासमती 1121 के समान अतिरिक्त लंबे पतले दाने की गुणवत्ता होती है। यह मध्यम अवधि की किस्म है जो 135 दिनों में पक जाती है। उपज की बात करें तो औसत उपज 46.8 क्विंटल (4.68) टन प्रति हेक्टेयर है।

3. पूसा बासमती 1886: यह पूसा बासमती 6 (1401) का उन्नत रूप है जो जीवाणुजनित झुलसा और ब्लास्ट रोग के लिए प्रतिरोधी है। यह 145 दिनों में पक जाती है। वहीं, इसकी औसत उपज 44.9 क्विंटल (4.49 टन) प्रति हेक्टेयर है।

अन्य रोग मुक्त किस्में

पूसा बासमती 1692: पूसा बासमती 1692 की उपज 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। यह भी कम अवधि वाली किस्म है, जो 110 से 115 दिन में तैयार हो जाती है। इसमें कई तरह की बीमारियां नहीं लगती हैं।

पूसा बासमती 1509: पूसा बासमती 1509 की उपज 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यह कम अवधि वाली किस्म है, जो 115 से 120 दिन में तैयार हो जाती है। यह किस्म रोग प्रतिरोधक भी है।

पूसा बासमती 1718: पूसा बासमती 1718 की उपज 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। इसे पकने में 135 दिन लगते हैं। लेकिन इसमें बीएलबी रोग यानी बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट नहीं लगता है।