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किसानों की आय बढ़ाने आ गया खास सोयाबीन, मटर को देगा टक्कर!

 

वर्तमान समय में कृषि क्षेत्र में नई-नई किस्मों की खेती की जा रही है। अब मटर को टक्कर देने के लिए एक खास सोयाबीन आ गया है. करीब सात साल की रिसर्च के बाद इंदौर स्थित भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर) के वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की एक खास किस्म तैयार की है, जिसे हरी मटर की तरह सब्जी के रूप में खाया जा सकता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह प्रोटीन से भरपूर है और देश में कुपोषण को कम करने और किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है।

एनआरसी-188 नाम की इस किस्म को विकसित करने वाले दो लोग शोध दल में शामिल हैं। इस बारे में वैज्ञानिक डॉ. विनीत कुमार ने शुक्रवार को बताया कि सोयाबीन की इस किस्म की हरी फली के दानों में सुक्रोज मौजूद होने के कारण इसमें कुछ मिठास होती है. यह गुण सोयाबीन की अन्य किस्मों में नहीं पाया जाता है।

एनआरसी-188 किस्म की हरी फली के दानों को नमक के पानी में उबालकर सब्जी के रूप में उपयोग किया जा सकता है। कुमार के अनुसार, सोयाबीन के इस किस्म के दानों में हरी मटर की तुलना में तीन से चार गुना अधिक प्रोटीन होता है।

सोयाबीन उत्पादक किसान एनआरसी-188 बीन्स को सब्जियों के रूप में बेचकर मोटी कमाई कर सकते हैं। इसके अलावा इसकी फलियों को उचित पैकेजिंग के साथ रेफ्रिजरेटर में जमाकर निर्यात भी किया जा सकता है। कुमार ने कहा कि मध्य भारत में खरीफ सीजन के दौरान "एनआरसी-188" की खेती की सिफारिश की गई है।

आईआईएसआर में इस किस्म के विकास से जुड़ी एक अन्य प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनीता रानी ने कहा कि एनआरसी-188 के दाने का आकार सोयाबीन की अन्य किस्मों की तुलना में बड़ा और नरम है।

इसकी खेती में एक हेक्टेयर में सात से आठ टन हरी फलियां पैदा होती हैं. अनिता रानी ने कहा कि एनआरसी 188 को इस तरह विकसित किया गया है कि खेती के दौरान यह किस्म कीड़ों के हमले और आम पौधों की बीमारियों से मुक्त रहती है।