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flowering of a gram: चना की खेती में फूल आने के समय क्या करें और क्या नहीं, जानें यहाँ

 
flowering of a gram: चना देश की सबसे महत्वपूर्ण दलहनी फसल है। चने को दालों का राजा भी कहा जाता है. इसका उत्पादन उत्तर भारत में व्यापक रूप से किया जाता है। इसे संरक्षित नमी वाले शुष्क क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है। चना शुष्क एवं ठण्डी जलवायु की फसल है। इसे रबी मौसम में उगाया जाता है. मध्यम वर्षा (60-90 सेमी प्रति वर्ष) और ठंडी सर्दियों वाले क्षेत्र इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त हैं। इसकी खेती के लिए 24 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त माना जाता है. चना हल्की से भारी मिट्टी में उगाया जाता है। हालाँकि, उच्च जल धारण क्षमता और उचित जल निकासी वाली मिट्टी सर्वोत्तम होती है। Also Read: Govt Scheme: केंद्र सरकार महिलाओं को दिन व दिन बढ़ा रही आगे, अब महिलाओं को दिए जा रहे ड्रोन
flowering of a gram: फसल में पहले सिंचाई करें
चने की फसल में फूल आने से ठीक पहले पानी दें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि फूल आने के बाद पानगे। जिस मिट्टी में चना उगाया जाता है उस मिट्टी को ध्यान में रखकर सिंचाई करनी चाहिए। आवश्यकता होने पर ही सिंचाई करें अन्यथा छोड़ दें। चने की फसल में अधिक पानी लगने से भी फसल को नुकसान हो सकता है। जब फूलों से फलियाँ निकलें तो Also Read: mustard crop ruined: हरियाणा में बारिश के साथ ओलावृष्टि से कई जिलों में 80 फीसदी सरसों तो 70 प्रतिशत गेहूं की फसल हुई चौपट
flowering of a gram: फसल सुरक्षा का भी ध्यान रखें
चने की खेती करते समय फसल सुरक्षा का भी ध्यान रखना चाहिए। फसल को कीटों, अर्धवृत्ताकार कीटों और फली छेदक कीटों से खतरा है। कटवर्म भूरे रंग के कीड़े होते हैं, जो रात में निकलते हैं और नए पौधों को जमीन की सतह से काट देते हैं।