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किसानों के लिए फायदेमंद होती है भांग की खेती, जानिए कैसे मिलेगा लाइसेंस

 
Aapni Agri, Farming धान-गेहूं व फल-फूल की खेती से किसानों को उचित मुनाफा नहीं मिल पाता है. ऐसे में भांग की फसल अन्नदाताओं के लिए लाभदायक साबित हो सकती है. लेकिन भांग व गांजा की फसल के लिए राज्य में प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है. सरकार की तरफ से लाइसेंस मिलने के बाद ही किसान भाई भांग की खेती कर सकते हैं. तो आइए जानें भारत में बड़े पैमाने पर कहां-कहां होती है भांग की खेती व कैसे मिलता है लाइसेंस और कितना होता है फायदा.
कई राज्यों में भांग की खेती वैध
पहले पूरे देश में भांग की खेती पर प्रतिबंध भी था. हाल ही में कई राज्यों में भांग की खेती को वैध कर दिया गया है. फिर भी, इसकी खेती के लिए प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य है. लाइसेंस को लेकर हर राज्य में अलग-अलग नियम लागू किये गए हैं. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि भांग की खेती शुरू करते टाईम स्थानीय समाचारों पर गौर करना बहुत आवश्यक है क्योंकि प्रशासन आए दिन इसको लेकर नियमों में बदलाव होते रहते है. Also Read: मूली की खेती देगी कम समय और लागत में अधिक मुनाफा! जानें कैसे
ऐसे मिलती है अनुमति
उत्तराखंड के किसान चंदन यह कहते हैं कि उन राज्यों में भांग की खेती के लिए किसानों को सबसे पहले खेत का विवरण, क्षेत्रफल व भंडारण की व्यवस्था के बारे में लिखित रूप से डीएम को यह बताना होता है. कि उत्तराखंड में प्रति हेक्टेयर लाइसेंस शुल्क 1 हजार रुपये है. वहीं, अगर दूसरे जिले से भांग का बीज भी लाना होता है, तब भी किसान को डीएम से अनुमति लेनी पड़ती है. अधिकारी को कभी-कभी फसल का सैंपल भी देना पड़ता है. इसके अलावा, अगर भांग की फसल तय जमीन से ज्यादा इलाके में लगाई गई तो प्रशासन की तरफ से उस फसल को नष्ट कर दिया जाता है. वहीं, मानकों का उल्लघंन करने पर भी फसल को तबाह कर दिया जाता है. तो सरकार की तरफ से इसके लिए कोई मुआवजा भी नहीं मिलता है.
यहां होती है बड़े पैमाने पर खेती
आपको ये बता दें कि किसानों को भारत में बड़े पैमाने पर भांग की खेती उत्तर प्रदेश (मुरादाबाद, मथुरा, आगरा, लखीमपुर खीरी, बाराबंकी, फैजाबाद और बहराइच), मध्य प्रदेश (नीमच, उज्जैन, मांडसौर, रतलाम और मंदल), राजस्थान (जयपुर, अजमेर, कोटा, बीकानेर और जोधपुर), हरियाणा (रोहतक, हिसार, जींद, सिरसा और करनाल) और उत्तराखंड (देहरादून, नैनीताल, चमोली और पौड़ी) में होती है. भांग का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी किया जाता है. इससे कई दवाइयां बनाई जाती हैं. इसे मस्तिष्क संबंधी विकारों, निद्रा विकारों और श्वसन संबंधी बिमारियों का इलाज करने के लिए उपयोग किया जाता है. इसके अलावा भांग को पारंपरिक औषधि के रूप में भी उपयोग किया जाता है. इसे जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर दवा भी तैयार किया जाता है. जिसका अलग-अलग रोगों के इलाज में प्रयोग होता है. इससे आप यह भी अंदाजा लगा सकते हैं कि भांग की खेती किसान भाईयों के लिए कितनी फायदेमंद साबित हो सकती है.