मानसून से पहले तैयारी करें किसान, 4 गुना होगी धान की पैदावार
May 30, 2023, 10:03 IST
Aapni Agri, Farming भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, 4 जून तक केरल के तट पर मॉनसून दस्तक दे सकती है. कुछ ही हफ्तों में धान की बुवाई की शुरुआत हो जाएगी. हालांकि, उससे पहले किसानों को कुछ बातों का जरूर ध्यान देना होगा, जिसके चलते धान का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. Also Read: जून के महीने में करें इन सब्जियों की खेती, होगी मोटी कमाई सिंचाई के साधन पर नजर डालें किसानों को सबसे पहले ये ध्यान देना होगा कि उसके पास सिंचाई के क्या साधन हैं. धान की फसल ठीक-ठाक पानी की मांग करती है. ऐसे में सिंचाई नहीं मिलने के चलते धान की फसल बर्बाद हो सकती है. किसानों को यह ध्यान रखना होगा कि वे जितनी जल्दी धान की रोपाई शुरू करेंगे, उतनी जल्दी उनकी फसल भी तैयार होगी. Also Read: जानें पशुओं के रोगों की कैसे कर सकते हैं पहचान और बचाव फसल को रोग से बचाने के लिए कर लें बीजों का शोधन बुवाई करने से पहले किसानों को बीजों का शोधन कर लेना चाहिए. अगर वक्त रहते बीजों का उपचार हो जाता है तो फसल कई तरह के रोगों से बच सकती है. बीज शोधन की प्रकिया भी महंगी नहीं है. विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रति हेक्टेयर धान के बीज शोधन पर मात्र 25 से 30 रुपये लगते हैं. इसके लिए किसान हर 25 किलो बीज पर 4 ग्राम स्ट्रेपटोसाइक्लीन और 75 ग्राम थीरम मिलाकर उसे शोधित कर सकते हैं. Also Read: महिंद्रा और सोनालिका दोनों में से कौन सा है किसान के लिए बेस्ट ट्रैक्टर, देखें पूरी खबर बुवाई से पहले खेतों को कर लें तैयार धान की बुवाई करने से कुछ हफ्ते पहले किसानों को खेत तैयार करना होता है . किसानों को खेत की 2 से 3 बार जुताई करने से पहले मेड़बंदी कर लें. मेड़ सही तरीके बनाए जाने से खेत बारिश लंबे समय तक बना रहता है जो धान की फसल के लिए फायदेमंद है. अगर खेत में खरपतवार ज्यादा है तो बुवाई से ठीक पहले ही एक बार पानी भरकर जुताई कर उसे निकाल देना चाहिए. Also Read: DSR: धान की सीधी बिजाई को बढ़ावा देने के लिए सरकार दे रही मशीन पर 40 हजार रूपये की सब्सिडी रोग से बचने के लिए करें ये उपाय धान की नर्सरी तैयार करते वक्त उस पर कीटों का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. इससे बचाव के लिए आप प्रति हेक्टेयर पर 1.25 लीटर क्लोरोसाइपार या 250 एमएल इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव कर सकते हैं. फसल से खैरा रोग को बचाने के लिए 400 ग्राम जिंक सल्फेट को 1.6 किलो यूरिया या 2 किलो बुझे हुए चने के साथ 60 लीटर पानी में मिलाकर पौधों में डालें और रोग से बचाएं। Also Read: Subsidy on Fertilizers: किसानों के लिए अच्छी खबर, यूरिया-DAP के दामों में नहीं होगी बढ़ोतरी